झारखण्ड
झारखण्ड पूर्वी भारत का एक राज्य है। राँची इसकी राजधानी है। झारखण्ड की सीमाएँ पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश एवं छत्तीसगढ़, उत्तर में बिहार और दक्षिण में ओडिशा से लगती है। लगभग सम्पूर्ण प्रदेश छोटानागपुर के पठार पर अवस्थित है। सम्पूर्ण भारत में वनों के अनुपात में प्रदेश एक अग्रणी राज्य माना जाता है। क्षेत्रफल के आधार पर यह 15वां सबसे बड़ा राज्य है, और जनसंख्या के आधार पर 14वां सबसे बड़ा राज्य है। राज्य की आधिकारिक भाषा हिन्दी है। बिहार के दक्षिणी भाग को विभाजित कर झारखण्ड प्रदेश का सृजन किया गया है। इस प्रदेश के अन्य बड़े शहरों में धनबाद, बोकारो एवं जमशेदपुर शामिल हैं।[6]
नामकरण
संपादित करेंविभिन्न इंडो-आर्यन भाषाओं में "झार" शब्द का अर्थ है 'जंगल' और "खण्ड" का अर्थ 'भूमि' है, इस प्रकार "झारखण्ड" का अर्थ वन भूमि है। "छोटानागपुर पठार" में बसा होने के कारण इसे "छोटानागपुर प्रदेश" भी बोलते हैं। झारखण्ड को "जंगलों का प्रदेश" भी कहा जाता है। मुग़ल काल में इस क्षेत्र को कुकरा नाम से जाना था। झारखण्ड के आदिवासियों के अनुसार, झारखण्ड दो शब्द "जाहेर" (सारना स्थल) और "खोण्ड" (वेदी) शब्दों से मिलकर बना है।
प्राचीन काल में, सुतिया नामक मुण्डा के शासनकाल में इसे "जाहेरखोण्ड" नाम से जाना जाता था। मध्यकाल में, इस क्षेत्र को झारखण्ड के नाम से जाना जाता था। भविष्य पुराण (1200 CE) के अनुसार, झारखण्ड सात पुण्ड्रा देश में से एक था। यह नाम पहली बार पूर्वी गंगवंश के नरसिंह देव द्वितीय के शासनकाल से ओडिशा क्षेत्र के केन्द्रपाड़ा में 13 वीं शताब्दी की ताम्बे की प्लेट पर पाया गया है। बैधनाथ धाम से पुरी तक की वन भूमि झारखण्ड के नाम से जानी जाती थी। अकबरनामा में, पूर्व में पंचेत से लेकर पश्चिम में रतनपुर तक, उत्तर में रोहतासगढ़ और दक्षिण में ओडिशा की सीमा को झारखण्ड के रूप में जाना जाता था।
इतिहास
संपादित करेंप्राचीन काल
झारखण्ड के हजारीबाग जिले में लगभग 5000 साल पुराना गुफा चित्र मिला है। इस राज्य में 1400 ईसा पूर्व काल के लोहे के औज़ार और मिट्टी के बर्तन के अवशेष मिले हैं। 325 ईसा पूर्व में भारत के उत्तरी इलाके बिहार से उत्पन्न मौर्य साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था। झारखण्ड में राज्य निर्माण की प्रक्रिया मुण्डा और भूमिज जनजातियों द्वारा शुरू किया गया था। छोटानागपुर में रिसा मुण्डा प्रथम मुण्डा जनजातीय नेता था, जिसने राज्य निर्माण की प्रक्रिया शुरू की। उसने सुतिया पाहन को मुण्डाओं का शासक चुना और सुतिया नागखण्ड नामक नये राज्य की स्थापना की। भूमिज जनजाति ने धालभूम, बड़ाभूम, पंचेत, सिंहभूम और मानभूम में भूमिज साम्राज्य की स्थापना की थी, जो झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के कुछ हिस्सों तक फैली थी। भूमिजों ने ब्रिटिश शासन के आगमन तक शासन किया।
मुण्डा सम्राज्य के अंतिम शासक मदरा मुण्डा थे, जिन्होंने फणि मुकुट राय को गोद लिया था। फणि मुकुट राय ने छोटानागपुर में नागवंशी वंश की स्थापना की थी।
मध्यकाल
मध्यकाल में इस क्षेत्र में चेरो राजवंश और नागवंशी राजवंश राजाओं का शासन था। मुगल प्रभाव इस क्षेत्र में सम्राट अकबर के शासनकाल के दौरान पहुंचा जब 1574 में राजा मानसिंह ने इस पर आक्रमण किया था। दुर्जन साल मध्य काल में छोटानागपुर महान नागवंशी राजा थे, उनके शासन काल में वे मुगल शासक जहांगीर के समकालीन के सेनापति ने इस क्षेत्र में आक्रमण किया था। राजा मेदिनी राय ने, 1658 से 1674 तक पलामू क्षेत्र पर शासन किया।
आधुनिक काल
1765 के बाद यहां ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी का प्रभाव पड़ा। ब्रिटिश कंपनी ने सर्वप्रथम धालभूम, बड़ाभूम, मानभूम और झाड़ग्राम के रियासतों पर आक्रमण कर झारखंड में प्रवेश किया। आंग्ल-मराठा युद्ध के बाद छोटा नागपुर पठार के कई राज्य ब्रिटिश ईस्ट इण्डिया कम्पनी के अधीन हो गए। उनमें नागवंश रियासत, रामगढ़ रियासत, गागंपुर, खरसुआं, साराईकेला, जाशपुर, सरगुजा आदि शामिल थे। ब्रिटिश राज में स्थानीय नागरिकों पर काफी अत्याचार हुआ, साथ ही अन्य प्रदेशों से आने वाले प्रवासी का वर्चस्व था। इस कालखंड में इस प्रदेश में ब्रिटिशों के खिलाफ बहुत से विद्रोह हुए, इनमें से कुछ प्रमुख विद्रोह थे:-
- 1766–1789: जगन्नाथ सिंह पातर और भूमिज सरदार-घटवाल-पाइक के नेतृत्व में भूमिजों का पहला चुआड़ विद्रोह; राजा जगन्नाथ धल का विद्रोह
- 1770–1771: चेरो बिद्रोह पलामू के जयनाथ सिंह के नेतृत्व में
- 1772–1780: पहाड़िया विद्रोह
- 1780–1785: तिलका मांझी के नेतृत्व में मांझी विद्रोह जिसमें भागलपुर में 1785 में तिलका मांझी को फांसी दी गयी थी।
- 1789-1831: भूमिजों का विद्रोह
- 1793–1796: मुंडा विद्रोह रामशाही के नेतृत्व में
- 1795–1821: तमाड़ विद्रोह
- 1800–1802: मुंडा विद्रोह
- 1812: बख्तर साय और मुंडल सिंह के नेतृत्य में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के बिरुद्ध बिद्रोह[7]
- 1831–34: भूमिज विद्रोह बड़ाभूम के गंगा नारायण सिंह के नेतृत्व में
- 1831–32: कोल विद्रोह
- 1832–33: खेवर विद्रोह भागीरथ, दुबाई गोसाई, एवं पटेल सिंह के नेतृत्व में
- 1855: लार्ड कार्नवालिस के खिलाफ सांथालों का विद्रोह
- 1855–1860: सिद्धू कान्हू के नेतृत्व में संथालों का विद्रोह
- 1857: नीलांबर-पीतांबर का पलामू में विद्रोह
- 1857: पाण्डे गणपत राय,
ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव, टिकैत उमराँव सिंह, शेख भिखारी एवं बुधु बीर का सिपाही विद्रोह के दौरान आंदोलन
- 1874: खेरवार आंदोलन भागीरथ मांझी के नेतृत्व में
- 1880: खड़िया विद्रोह तेलंगा खड़िया के नेतृत्व में
- 1895–1900: बिरसा मुंडा के नेतृत्व में मुंडा विद्रोह
इन सभी विद्रोहों के भारतीय ब्रिटिश सेना द्वारा फौजों की भारी तादाद से निष्फल कर दिया गया था। इसके बाद 1914 में जातरा भगत के नेतृत्व में लगभग छब्बीस हजार आदिवासियों ने फिर से ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ विद्रोह किया था जिससे प्रभावित होकर महात्मा गांधी ने आजादी के लिए सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ किया था।
झारखण्ड राज्य की मांग का इतिहास लगभग सौ साल से भी पुराना है जब 1938 इसवी के आसपास जयपाल सिंह जो भारतीय हॉकी खिलाड़ी थे और जिन्होंने खेलों में भारतीय हॉकी टीम के कप्तान का भी दायित्व निभाया था, ने पहली बार तत्कालीन बिहार के दक्षिणी जिलों को मिलाकर झारखंड राज्य बनाने का विचार रखा था। लेकिन यह विचार 2 अगस्त सन 2000 में साकार हुआ जब संसद ने इस संबंध में एक बिल पारित किया। राज्य की गतिविधियाँ मुख्य रूप से राजधानी राँची और जमशेदपुर, धनबाद तथा बोकारो जैसे औद्योगिक केन्द्रों से सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं। सन 2000, 15 नवम्बर को झारखंड राज्य ने मूर्त रूप ग्रहण किया और भारत के 28 वें प्रांत के रूप में प्रतिस्थापित हुआ ।
भौगोलिक स्थिति एवं जलवायु
संपादित करेंप्रदेश का ज्यादातर हिस्सा छोटानागपुर पठार का हिस्सा है, जो कोयल, दामोदर, ब्रम्हाणी, खड़कई, एवं स्वर्णरेखा नदियों का उद्गम स्थल भी है, जिनके जलक्षेत्र ज्यादातर झारखण्ड में है। प्रदेश का बड़ा हिस्सा वन-क्षेत्र है, जहाँ हाथियों की बहुतायत है। उत्तर पूर्व झारखंड में संथाल परगना का कुछ हिस्सा गंगा के मैदान में स्थित है, साहिबगंज झारखंड का एकमात्र जिला है जहां गंगा बहती है।
मिट्टी के वर्गीकरण के अनुसार, प्रदेश की ज्यादातर भूमि चट्टानों एवं पत्थरों के अपरदन से बनी है। जिन्हें इस प्रकार उप-विभाजित किया जा सकता है:-
- लाल मिट्टी, जो ज्यादातर दामोदर घाटी, एवं राजमहल क्षेत्रों में पायी जाती है।
- माइका युक्त मिट्टी, जो कोडरमा, झुमरी तिलैया, बड़कागाँव, एवं मंदार पर्वत के आसपास के क्षेत्रों में पायी जाती है।
- बलुई मिट्टी, ज्यादातर हजारीबाग एवं धनबाद क्षेत्रों की भूमि में पायी जाती है।
- काली मिट्टी, राजमहल क्षेत्र में
- लैटेराइट मिट्टी, जो राँची के पश्चिमी हिस्से, पलामू, संथाल परगना के कुछ क्षेत्र एवं पश्चिमी एवं पूर्वी सिंहभूम में पायी जाती है।
झारखंड के मुख्य खनिज भंडार
संपादित करेंझारखंड भारत का एक खनिज समृद्ध राज्य है। यह राज्य कोयला, लौह ,अभ्रक, बॉक्साइट, चूना पत्थर, तांबा, ग्रेफाइट, और कई अन्य खनिजों का घर है।
- कोयला : झारखंड भारत का सबसे बड़ा कोयला उत्पादक राज्य है। यहाँ देश के कुल कोयला भंडार का लगभग 25% पाया जाता है। झारखंड में कोयले के कई प्रमुख क्षेत्र हैं, जिनमें झरिया, बोकारो, जामाडोबा, और पकरी बरवाडीह शामिल हैं।[8]
- लौह अयस्क : झारखंड भारत का दूसरा सबसे बड़ा लौह अयस्क उत्पादक राज्य है। यहाँ देश के कुल लौह अयस्क भंडार का लगभग 17% पाया जाता है। झारखंड में लौह अयस्क के प्रमुख क्षेत्र हैं, जिनमें नोआमुंडी, लोहरदगा, और मधुपुर शामिल हैं।
- अभ्रक : झारखंड भारत का सबसे बड़ा अभ्रक उत्पादक राज्य है। यहाँ देश के कुल अभ्रक भंडार का लगभग 80% पाया जाता है। झारखंड में अभ्रक के प्रमुख क्षेत्र हैं, जिनमें कोडरमा, गिरिडीह, और रांची शामिल हैं।
- बॉक्साइट : झारखंड भारत का दूसरा सबसे बड़ा बॉक्साइट उत्पादक राज्य है। यहाँ देश के कुल बॉक्साइट भंडार का लगभग 10% पाया जाता है। झारखंड में बॉक्साइट के प्रमुख क्षेत्र हैं, जिनमें चाईबासा और खूंटी शामिल हैं।
झारखंड के खनिज भंडार राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं। इन खनिजों से राज्य को भारी आय होती है, और ये राज्य के औद्योगिक विकास में भी योगदान देते हैं।
वानस्पतिकी एवं जैविकी
संपादित करेंझारखण्ड वानस्पतिक एवं जैविक विविधताओं का भण्डार कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी। प्रदेश के अभयारण्य एवं वनस्पति उद्यान इसकी बानगी सही मायनों में पेश करते हैं। बेतला राष्ट्रीय अभयारण्य (पलामू), जो डाल्टेनगंज से 25 किमी की दूरी पर स्थित है, लगभग 250 वर्ग किमी में फैला हुआ है। विविध वन्य जीव यथा बाघ, हाथी, भैंसे साम्भर, सैकड़ों तरह के जंगली सूअर एवं 20 फुट लम्बा अजगर चित्तीदार हिरणों के झुण्ड, चीतल एवं अन्य स्तनधारी प्राणी इस पार्क की शोभा बढ़ाते हैं। इस पार्क को 1974 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत सुरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया गया था। सन 1986 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया।
जनसांख्यिकी
संपादित करेंजनगणना 2011 के अनुसार झारखण्ड की आबादी लगभग 3.29 करोड़ है। जो भारत की कुल जनसंख्या का 2.72% हैं। यहाँ का लिंगानुपात 947 स्त्री प्रति 1000 पुरुष है। प्रतिवर्ग किलोमीटर जनसंख्या का घनत्व लगभग 414 है।
झारखण्ड क्षेत्र विभिन्न भाषाओं, संस्कृतियों एवं धर्मों का संगम क्षेत्र कहा जा सकता है। आर्य, आस्ट्रो-एशियाई एवं द्रविड़ समूह की भाषायें यहां बोली जाती है। हिन्दी, सन्थाली, बंगाली, नागपुरी, खोरठा, पंचपरगनिया, कुड़मालि यहाँ की प्रमुख भाषायें हैं। इसके अलावा यहां कुड़ुख , मुण्डारी, हो, भूमिज बोली जाती है।[9] झारखण्ड में बसनेवाले स्थानीय आर्य भाषी लोगों को सादान कहा जाता है। झारखण्ड मॆं कई जातियां और जनजातियां हैं। यहाँ की आबादी में 26% अनुसूचित जनजाति, 12% अनुसूचित जाति शामिल हैं।
राज्य की बहुसंख्यक आबादी हिन्दू धर्म (लगभग 67.8%) मानती है। दूसरे स्थान पर (14.5%) इस्लाम धर्म है। राज्य की लगभग 12.8% आबादी सरना धर्म एवं 4.1% आबादी ईसाइयत को मानती है।
यहाँ की साक्षरता दर 64.4%है। जिसमें से पुरुष साक्षरता दर 76.8% तथा महिला साक्षरता दर 55.4% है।
राष्ट्रीय आयोग के तकनीकी समूह की रिपोर्ट के अनुसार, 1 जुलाई, 2024 तक झारखंड की जनसंख्या 40,129,000, या 40.13 मिलियन, या 4.01 करोड़ होने का अनुमान है। झारखंड भारत का 12 वां सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है। 2036 में झारखंड की जनसंख्या 4.53 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।[10]
सरकार एवं राजनीति
संपादित करेंझारखण्ड में राज्य स्तर पर सबसे बड़ा पद राज्यपाल का होता हैं, जो भारतीय गणराज्य के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। वास्तविक कार्यकारी शक्तियाँ मुख्यमन्त्री के हाथों में केन्द्रित होती है, जो अपनी सहायता के लिए एक मन्त्रिमण्डल का भी गठन करता है। राज्य का प्रशासनिक मुखिया राज्य का मुख्य सचिव होता है, जो प्रशासनिक सेवा द्वारा चुनकर आते हैं। न्यायिक व्यस्था का प्रमुख राँची स्थित उच्च न्यायलय के प्रमुख न्यायाधीश होता है।
प्रशासनिक जिला इकाइयाँ
संपादित करेंझारखण्ड राज्य में चौबीस जिले हैं। झारखण्ड के जिले:
1. राँची, 2. लोहरदग्गा, 3. गुमला, 4. सिमडेगा, 5. पलामू, 6. लातेहार, 7. गढ़वा, 8. पश्चिमी सिंहभूम, 9. सराईकेला खरसाँवा, 10. पूर्वी सिंहभूम, 11. दुमका, 12. जामताड़ा, 13. साहेेबगंज, 14. पाकुड़, 15. गोड्डा, 16. हज़ारीबाग, 17. चतरा, 18. कोडरमा, 19. गिरीडीह, 20. धनबाद, 21. बोकारो, 22. देवघर, 23. खूँटी, 24. रामगढ़
अर्थतन्त्र
संपादित करेंझारखण्ड की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से खनिज, वन सम्पदा और पर्यटन से निर्देशित है। नीति आयोग के ‘राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक आधार रेखा रिपोर्ट’ के अनुसार, राज्य में 46.16 प्रतिशत लोग गरीब हैं। वर्ष 2018-19 में झारखण्ड का सकल राज्य घरेलू उत्पाद 2011-12 की कीमतों पर 2,29,274 लाख करोड़ रुपए था।
वित्त वर्ष 25 में झारखंड की जीडीपी 7.7% बढ़ने का अनुमान: आर्थिक सर्वेक्षण इसमें कहा गया है कि मुद्रास्फीति दर ज्यादातर छह प्रतिशत की सीमा के भीतर रही है, जो आरबीआई की निर्धारित ऊपरी सीमा है। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2024-25 में झारखंड की अर्थव्यवस्था 7.7 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। [11]
उद्योग-धन्धे
संपादित करेंझारखण्ड में भारत के कुछ सर्वाधिक औद्योगिकृत स्थान यथा - जमशेदपुर, राँची, बोकारो एवं धनबाद इत्यादि स्थित हैं। झारखण्ड के उद्योगों में कुछ प्रमुख हैं :
- भारत का पहला और विश्व का पाँचवां सबसे बड़ा इस्पात कारखाना टाटा स्टील जमशेदपुर में।
- एक और बड़ा इस्पात कारखाना बोकारो स्टील प्लांट बोकारो में।
- भारत का सबसे बड़ा आयुध कारखाना गोमिया में।
- मीथेन गैस का पहला प्लांट।
कला और संस्कृति
संपादित करेंपर्व-त्यौहार
संपादित करेंझारखण्ड के कुछ प्रमुख त्योहार इस प्रकार हैं:-
- मागे परब
- सरहुल (बाः परब/बाहा परब/हादी परब/खाद्यी परब)
- रहइन परब
- करम परब
- जितिया
- बान्दना/सोहराय
- टुस पर्व
झारखण्ड के लोकनृत्य
संपादित करेंझुमइर, डमकच, पाइका, छऊ, फिरकल, जदुर, नाचनी, नटुआ, अगनी, चौकारा, जामदा, घटवारी, मतहा, झूमर, आदि।[12]
चित्रकला
संपादित करेंसोहराई चित्रकला सोहराई त्योहार के दौरान की जाती है। आंगनों और दीवारों पर विभिन्न बनावट चित्रित किए जाते हैं।[13] झारखण्ड में खरवार और पटकार चित्रकला भी मशहूर है।
सिनेमा
संपादित करेंझारखण्ड में अनेक भाषाओं में चलचित्र बनते हैं। इनमें मुख्य रूप से नागपुरी सिनेमा का निर्माण है। इसके अलावा खोरठा भाषा एवं सन्थाली में भी फिल्में बनती हैं। झारखण्ड के सिनेमा को झॉलीवुड कहा जाता है।
शिक्षण संस्थान
संपादित करेंझारखण्ड की शिक्षण संस्थाओं में कुछ अत्यन्त प्रमुख शिक्षा संस्थान शामिल हैं। जनजातिय प्रदेश होने के बावज़ूद यहां कई नामी सरकारी एवं निजी कॉलेज हैं जो कला, विज्ञान, अभियान्त्रिकी, मेडिसिन, कानून और मैनेजमेंट में उच्च स्तर की शिक्षा देने के लिये विख्यात हैं।
झारखण्ड की कुछ प्रमुख शिक्षा संस्थायें हैं :
विश्वविद्यालय
- डॉ ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी, राँची
- राँची विश्वविद्यालय राँची,
- नीलाम्बर पीताम्बर विश्वविद्यालय
- बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय,धनबाद
- सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका,
- विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग,
- बिरसा कृषि विश्वविद्यालय राँची,
- बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान मेसरा राँची,
- कोल्हान विश्वविद्यालय चाईबासा,
- केन्द्रीय विश्वविद्यालय झारखण्ड
अन्य प्रमुख संस्थान
- राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला जमशेदपुर, राष्ट्रीय खनन शोध संस्थान धनबाद, भारतीय लाह शोध संस्थान राँची, राष्ट्रीय मनोचिकत्सा संस्थान राँची, जेवियर प्रबन्धन संस्थान। एक्स एल आर आई जमशेदपुर
- आईआईटी (आईएसएम) धनबाद, भारतीय खनि विद्यापीठ विश्वविद्यालय या इंडियन स्कूल ऑफ़ माइन्स भारत के खनन संबंधी शोध संस्थानों में सबसे प्रमुख है। यह संस्थान झारखंड राज्य के धनबाद नामक शहर में स्थित है। इसकी स्थापना 1926 में लन्दन के रॉयल स्कूल ऑफ़ माईन्स के तर्ज पर की गई थी।
यातायात
संपादित करेंझारखण्ड की राजधानी राँची सम्पूर्ण देश से सड़क एवं रेल मार्ग द्वारा काफी अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग 2, 27, 33 इस राज्य से होकर गुजरती है। इस प्रदेश का दूसरा प्रमुख शहर टाटानगर (जमशेदपुर) दिल्ली कोलकाता मुख्य रेलमार्ग पर बसा हुआ है जो राँची से 120 किलोमीटर दक्षिण में बसा है। राज्य का में एकमात्र अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डा राँची का बिरसा मुण्डा अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो देश के प्रमुख शहरों; मुम्बई, दिल्ली, कोलकाता और पटना से जुड़ा है। इण्डियन एयरलाइन्स और एयर सहारा की नियमित उड़ानें आपको इस शहर से हवाई-मार्ग द्वारा जोड़ती हैं। सबसे नजदीकी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा कोलकाता का नेताजी सुभाषचन्द्र बोस हवाई अड्डा है। हाल ही देवघर हवाई अड्डा बन कर तैयार हो गया है और यातायात की शुरुआत हो चुकी हैं।
संचार एवं समाचार माध्यम
संपादित करेंराँची एक्सप्रेस एवं प्रभात खबर जैसे हिन्दी समाचारपत्र राज्य की राजधानी राँची से प्रकाशित होनेवाले प्रमुख समाचारपत्र हैं जो राज्य के सभी हिस्सों में उपलब्ध होते हैं। हिन्दी, बांग्ला एवं अंग्रेजी में प्रकाशित होने वाले देश के अन्य प्रमुख समाचारपत्र भी बड़े शहरों में आसानी से मिल जाते हैं। इसके अतिरिक्त दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, दैनिक हिन्दुस्तान, खबर मन्त्र, आई नेक्स्ट, उदितवाणी, चमकता आईना, उत्कल मेल, स्कैनर इंडिया, इंडियन गार्ड तथा आवाज जैसे हिन्दी समाचारपत्र भी प्रदेश के बहुत से हिस्सों में काफी पढ़े जाते हैं। इलेक्ट्रानिक मीडिया की बात करें तो झारखण्ड को केन्द्र बनाकर खबरों का प्रसारण ई टीवी बिहार-झारखण्ड, सहारा समय बिहार-झारखण्ड, जी बिहार झारखण्ड, साधना न्यूज, न्यूज 11 कशिश न्यूज आदि चैनल करते हैं। रांची में राष्ट्रीय समाचार चैनलों के ब्यूरो कार्यालय कार्यरत हैं।
जोहार दिसुम खबर झारखण्डी भाषाओं में प्रकाशित होने वाला पहला पाक्षिक अखबार है। इसमें झारखण्ड की 10 आदिवासी एवं क्षेत्रीय भाषाओं तथा हिन्दी सहित 11 भाषाओं में खबरें छपती हैं। जोहार सहिया राज्य का एकमात्र झारखण्डी मासिक पत्रिका है जो झारखण्ड की सबसे लोकप्रिय भाषा नागपुरी में प्रकाशित होती है। इसके अलावा झारखण्डी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा और गोतिया झारखण्ड की आदिवासी एवं क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाशित होने वाली महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाएं हैं।
राँची और जमशेदपुर में लगभग पांच रेडियो प्रसारण केन्द्र हैं और आकाशवाणी की पहुंच प्रदेश के हर हिस्से में है। दूरदर्शन का राष्ट्रीय प्रसारण भी प्रदेश के लगभग सभी हिस्सों में पहुँच रखता है। झारखण्ड के बड़े शहरों में लगभग हर टेलिविजन चैनल उपग्रह एवं केबल के माध्यम से सुलभता से उपलब्ध है।
लैंडलाइन टेलीफोन की उपलब्धता प्रदेश में भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल), टाटा टेलीसर्विसेज (टाटा इंडिकॉम) एवं रिलायंस इन्फोकॉम द्वारा हर हिस्से में की जाती है। मोबाइल सेवा प्रदाताओं में बीएसएनएल, एयरसेल, वोडाफ़ोन-आइडिया, रिलायंस, यूनिनॉर एवं एयरटेल प्रमुख हैं।
झारखण्ड के पर्यटन स्थल
संपादित करें- देवघर वैधनाथ मन्दिर
- पारसनाथ, गिरिडीह
- बासुकीनाथ मन्दिर,दुमका
- हुण्डरू जलप्रपात,रांची
- बेतला राष्ट्रीय उद्यान,लातेहार
- छिनमस्तिके मन्दिर, रजरप्पा
- श्री बंशीधर स्वामी मन्दिर, गढ़वा
- श्री माता चतुर्भुजी मन्दिर, गढ़वा
- लोध जलप्रपात
- तमासीन जलप्रपात
- देउड़ी मन्दिर, तामाड़
- दलमा अभयारण्य
- जुबली पार्क, जमशेदपुर
- पतरातू डैम, पतरातू
- पंचघाघ जलप्रपात,
- दशम जलप्रपात।
- हजारीबाग राष्ट्रीय अभयारण्य
- मैथन डेम, धनबाद
झारखण्ड के प्रसिद्ध व्यक्ति
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Jharkhand Profile 2011 Census" (PDF). Registrar General & Census Commissioner, India. मूल से 22 एप्रिल 2016 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 13 फ़रवरी 2017.
- ↑ "MOSPI Gross State Domestic Product". Ministry of Statistics and Programme Implementation, Government of India. 1 March 2019. मूल से 17 June 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 June 2019.
- ↑ "Report of the Commissioner for linguistic minorities: 52nd report (July 2014 to June 2015)" (PDF). Commissioner for Linguistic Minorities, Ministry of Minority Affairs, Government of India. पपृ॰ 43–44. मूल (PDF) से 15 नवम्बर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 फ़रवरी 2016.
- ↑ "Jharkhand gives second language status to Magahi, Angika, Bhojpuri and Maithili". The Avenue Mail. 21 March 2018. मूल से 28 March 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 April 2019.
- ↑ "Jharkhand notifies Bhumij as second state language". The Avenue Mail. 5 January 2019. अभिगमन तिथि 17 April 2022.
- ↑ "भगवान बिरसा मुंडा की वंशावली". प्रभात खबर. अभिगमन तिथि 27 नवंबर 2023.
- ↑ "No facilities of people in Village of Shahid Mundan Singh in Gumla". www.jagran.com. मूल से 2 मार्च 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 मार्च 2019.
- ↑ "झारखंड के पास अकूत खनिज संपदा, फिर छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड से पीछे क्यों?". प्रभात खबर. 16 नवंबर 2022. अभिगमन तिथि 12 दिसंबर 2023.
- ↑ "जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग में मातृभाषा दिवस मनाया गया". rashtriyakhabar.com. मूल से 24 फ़रवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 फ़रवरी 2019.
- ↑ "Population of Jharkhand".
- ↑ "Jharkhand GDP projected to grow 7.7% in FY 25: Economic survey".
- ↑ "Jharkhand : Repository of one of India's Richest Ethnic Cultures". मूल से 5 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 जुलाई 2024.
- ↑ "Jharkhand General Knowledge festivals".
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- झारखण्ड सरकार Archived 2009-05-13 at the वेबैक मशीन