मुंडल सिंह
मुंडल सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने 1812 में ईस्ट इण्डिया कम्पनी के विरूद्ध विद्रोह किया था।[1]
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मुंडल सिंह Mundal Singh | |
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मृत्यु - 4 अप्रैल 1812 | |
जन्मस्थल : | पहाड़पानी, ब्रिटिश भारत (अब गुमला जिला, झारखंड) |
मृत्युस्थल: | कोलकाता, ब्रिटिश भारत (अब पश्चिम बंगाल) |
आन्दोलन: | 1812 विद्रोह |
राष्ट्रीयता: | भारतीय |
प्रारंभिक जीवन
संपादित करेंमुंडल सिंह का जन्म बंगाल प्रेसीडेंसी के गुमला जिले के पहाड़ पानी गाँव में एक रौतिया परिवार में हुआ था। वह पहाड़ पानी के परगनैत थे।[4]
विद्रोह
संपादित करेंब्रिटिश सरकार ने छोटानागपुर के राजा गोबिंद नाथ शाहदेव को 1812 में ईस्ट इंडिया कंपनी को 12000 रुपये का कर देने का आदेश दिया। बासुदेव के जागीरदार कोना बख्तर साय ने अत्यधिक कर के कारण नवागढ़ के किसानों की ओर से कर देने से इनकार कर दिया। तब रामगढ़ के मजिस्ट्रेट ने हजारीबाग से एक सेना भेजी। पहाड़ पानी के परगनाईट पनरी मुंडल सिंह नवागढ़ पहुंचे, युद्ध में बख्तर साय की मदद की और वे ब्रिटिश सेना को हराने में सफल रहे। एक महीने बाद रामगढ़ बटालियन के ई. रेफ्रीज बड़ी सेना लेकर नवागढ़ आए। लड़ाई तीन दिनों तक चली और बख्तर सई और मुंडल सिंह की सेना हार गई। 4 अप्रैल 1812 को कोलकाता में बख्तर सई और मुंडल सिंह को गिरफ्तार कर फाँसी पर लटका दिया गया था।[5]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Raghubar honours Simdega patriots". timesofindia.com.
- ↑ "सभ्यता व संस्कृती की सुरक्षा के लिए हों एकजुट : कुलदीप". Jagran.com. मूल से 6 मार्च 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जून 2020.
- ↑ "The amicable relationship some villagers have with the Maoists, panchayat institutions, as well as large NGOs operating in the vicinity of the villages seems an unusual co-existence in Jharkhand". thehindu.com. मूल से 30 दिसंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 मार्च 2019.
- ↑ "बख्तर साय एव मुंडल सिंह". gumla.nic. अभिगमन तिथि 17 अक्टूबर 2022.
- ↑ "वासुदेवकोना में लड़ी गई थी आजादी की पहली लड़ाई". jagran. 4 April 2012. अभिगमन तिथि 17 अक्टूबर 2022.