हिरण्याक्ष एक असुर (दैत्य) था जिसका वध वाराह अवतारी विष्णु ने किया था। हिरण्यकशिपु उसका बड़ा भाई था। विष्णुपुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार दैत्यों के आदिपुरुष कश्यप और उनकी पत्नी दिति के दो पुत्र हुए। बड़े पुत्र का नाम था हिरण्यकश्यप और छोटे पुत्र का नाम था हिरण्याक्ष। हिरण्याक्ष माता धरती को रसातल में ले गया था जिसकी रक्षा के लिए आदि नारायण भगवान विष्णु ने वाराह अवतार लिया, कहते हैं वाराह अवतार का जन्म ब्रह्मा जी के नाक से हुआ था । कुछ मान्यताओं के अनुसार यह भी कहा जाता है कि हिरण्याक्ष और वाराह अवतार में कई वर्षों तक युद्ध चला। क्योंकि जो दैत्य स्वयं धरती को रसातल में ले जा सकता है आप सोचिए उसकी शक्ति कितनी होगी? फिर वाराह अवतार के द्वारा अपने नखों द्वारा उसके वक्ष को भेद दिया जिससे उसका अंत हुआ।

हिरण्याक्ष
वराह रूपी भगवान विष्णु हिरण्याक्ष रूपी विजय का वध करते हुए।
कहानी में जानकारी
परिवारप्रजापति कश्यप (पिता) , दिति (माता) , वज्रांगासुर (बड़ा भाई) , हिरण्यकशिपु (बड़ा भाई) , हयग्रीवासुर (बड़ा भाई) , धूम्रलोचन (छोटा भाई) , रक्तबीज (छोटा भाई) , मूर , अरुणासुर (बड़ा भाई) , दम्भासुर (छोटा भाई) , होलिका (छोटी बहिन) और मरुत (छोटे भाई)
जीवनसाथीरूसभानु
बच्चेकालनेमी, अन्धक (औरस पुत्र)