वज्रंगासुर
वज्रांगासुर या वज्रांग एक प्राचीन दैत्य था। वह महर्षि कश्यप का दिति के गर्भ से उत्पन्न पुत्र था। वह इस संसार का प्रथम दैत्य और महर्षि कश्यप और दिति का ज्येष्ठ पुत्र था। वज्रांग किसी भी देवता द्वारा नहीं मारा गया था। उसकी पत्नी वारंगी तथा उसके पुत्र का नाम तारकासुर था।
वज्रांगासुर | |
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संबंध | दैत्य , असुर |
जीवनसाथी | वारंगी |
माता-पिता | |
भाई-बहन | हिरण्याक्ष, हिरण्यकश्यप, और कई अन्य भाई |
संतान | तारकासुर |
परिचय
संपादित करेंमहर्षि कश्यप ने दक्ष प्रजापति की सत्रह कन्याओं से विवाह किया। उन कन्याओं में से पहली कन्या अदिति ने इन्द्र को और दूसरी कन्या दिति ने वज्रांग को जन्म दिया तथा उसे गलत शिक्षा देकर उसके बड़े इन्द्र के विरुद्ध खड़ा कर दिया। वज्रांग ने स्वर्ग लोक पर हमला करके इन्द्र को बन्दी बना लिया। अन्त में महर्षि कश्यप ने उसे जीवन के सत्य से अवगत कराया। महर्षि कश्यप की उस बात को मान लिया और धर्म का आचरण शुरू किया। उसका विवाह असुर कुल में ही हुआ। उसकी पत्नी नहीं चाहती थी कि आदित्यों और दैत्यों में शत्रुता कम हो। इसलिए अपने गर्भ में पल रहे शिशु को भी उसने देवताओं के विरुद्ध करना शुरू किया। जब उसने बालक को जन्म दिया तो जन्म के वर्षों के पश्चात् ही उसने उस बालक को देवताओं के समान ही प्रशिक्षित किया और देवताओं को परास्त करने योग्य बनाया और देवताओं के विरुद्ध खड़ा कर दिया और वह बालक तारकासुर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। उसका वध भगवान शंकर के पुत्र महासेन ने किया था।