देवदास (2002 फ़िल्म)

२००२ में बनी संजय लीला भंसाली की हिन्दी फिल्म

देवदास भारतीय नाट्य रूमानी हिन्दी फिल्म है। इस फिल्म का निर्देशन संजय लीला भंसाली और निर्माण भरत शाह ने किया था। ये फिल्म शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास देवदास पर आधारित है। इसमें शाहरुख़ खान, ऐश्वर्या राय और माधुरी दीक्षित मुख्य किरदार में हैं। इसे 12 जुलाई 2002 को सिनेमाघरों में दिखाया गया। रिलीज पर भारत में मिश्रित समीक्षा प्राप्त करने के बावजूद, देवदास को पश्चिमी फिल्म आलोचकों के बीच समीक्षकों द्वारा प्रशंसित किया गया था, और इसे अब तक की सबसे महान फिल्मों में से एक माना जाता है। यह सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म के लिए भारत की ओर से अकादमी पुरस्कार में भी भेजी गई थी। देवदास ने फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार जीता था। फिल्म ने पांच राष्ट्रीय पुरस्कार और दस फिल्मफेयर पुरस्कार भी जीते। ऐसे यह दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे के साथ उस समय तक सबसे अधिक फ़िल्मफेयर पुरस्कारों को जीतने वाली फिल्म हुई थी (बाद में 2005 की भंसाली की ब्लैक ने कीर्तिमान तोड़ दिया)।

देवदास

देवदास का डीवीडी कवर
निर्देशक संजय लीला भंसाली
लेखक प्रकाश कपाड़िया
संजय लीला भंसाली
निर्माता भरत शाह
अभिनेता शाहरुख़ ख़ान
माधुरी दीक्षित
ऐश्वर्या राय
छायाकार बिनोद प्रधान
संपादक बेला सहगल
संगीतकार इस्माइल दरबार
निर्माण
कंपनियां
मेगा बॉलीवुड प्रा. लि.
रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट
वितरक मेगा बॉलीवुड प्रा. लि.
एसएलबी फिल्म्स
रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट
एरोस इंटरनैशनल लिमिटड (यूके)
प्रदर्शन तिथियाँ
23 मई, 2002 (कान)
12 जुलाई, 2002 (भारत)
लम्बाई
182 मिनट
देश भारत
भाषा हिन्दी
लागत 50 करोड़[1][2][3]
कुल कारोबार अनुमानित 99.8 करोड़

इस फिल्म को बनाने में कुल ₹50 करोड़ का खर्च आया और फिल्म रिलीज के समय ये बॉलीवुड की सबसे अधिक बजट वाली फिल्म थी। इसे हिन्दी के साथ साथ 6 अन्य भाषाओं में भी दिखाया गया। जिसमें अंग्रेजी़, गुजराती, फ्रांसीसी, मंदारिन, थाई और पंजाबी शामिल है। यह फिल्म भारत और विदेशों में एक व्यावसायिक सफलता थी और साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्म बन गई। शाहरुख खान ने अपने बैनर, रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट के तहत इस फिल्म के अधिकार खरीदे हैं।

ये कहानी 1900 के दशक की है। कौशल्या (स्मिता जयकर) को पता चलता है कि उसका छोटा बेटा, देवदास (शाहरुख खान) वापस घर आ रहा है। देवदास 10 साल पहले कानून की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड गया था। उसके लौटने की खुशी में ये बात कौशल्या अपनी पड़ोस में रहने वाली सुमित्रा (किरण खेर) को भी बता देती है। इस खबर से वो भी खुश हो जाती है।

जब देवदास लौटता है तो पारो (ऐश्वर्या राय) और उसके बीच की बचपन की दोस्ती प्यार में बदल जाती है। सभी को ऐसा लगता है कि उन दोनों की जल्द शादी हो जाएगी, लेकिन कौशल्या को देवदास की भाभी, कुमुद (अनन्या खरे) बताती है कि पारो की मातृ-संबंधी वंशावली नाचने वाली लड़की की है और उसे मुखर्जी परिवार में शामिल करना ठीक नहीं होगा। सुमित्रा सभी के सामने अपनी इच्छा रखती है कि देवदास और पारो की शादी हो जाये, पर कौशल्या सभी के सामने इस रिश्ते से मना कर देती है और कहती है कि वे लोग निचले दर्जे के लोग हैं। सुमित्रा इस बेइज्जती को सह नहीं पाती और पारो की शादी मुखर्जी परिवार से अमीर एक 40 साल के बुड्ढे, ठाकुर भुवन चौधरी (विजयेन्द्र घटगे) से तय कर देती है, जो तलाक़शुदा और 3 बच्चों का बाप है। वो ये शादी बस इस कारण तय करती है, क्योंकि उस बुड्ढे के पास मुखर्जी परिवार से ज्यादा पैसे हैं।

वहीं देवदास के पिता भी पारो के साथ देव की शादी के लिए मना कर देते हैं। इस कारण देव अपना घर छोड़ देता है और कोठे में रहने लगता है। वो पारो को एक झूठी चिट्ठी लिखता है कि उन दोनों के बीच कभी प्यार नहीं था। कोठे में उसकी मुलाक़ात चन्द्रमुखी (माधुरी दीक्षित) नाम की तवायफ़ से होती है, उसे देव से प्यार हो जाता है। जल्द ही देव को एहसास होता है कि उसने पारो को छोड़ कर गलती की है। वो उसके शादी के समय उसके पास वापस लौटता है, लेकिन पारो उसके साथ आने से मना कर देती है। वो उसे याद दिलाती है कि किस तरह उसने उसे अकेला छोड़ दिया था।

पारो को पता चलता है कि उसका पति उससे बस अपने बच्चों की माँ बनने के लिये शादी किया है, लेकिन उसे सिर्फ अपनी पहली पत्नी से ही प्यार है। वो अपनी ओर से उन बच्चों का पूरी तरह ख्याल रखती है। वहीं पारो को हमेशा के लिए खो देने के कारण देवदास का दिल टूट जाता है, और वो वापस कोठे में बस जाता है और शराबी बन जाता है। जब देवदास के पिता मरने की स्थिति में आ जाते हैं तो वो अपने बेटे को देखने की इच्छा प्रकट करते हैं, लेकिन देव उनके पास उनके मरने के बाद आता है, वो भी शराब के नशे में धुत हो कर, और चला भी जाता है।

शराब के कारण देवदास का हाल काफी बुरा हो जाता है और उसे पता चलता है कि अब शराब पीने से वो मर भी सकता है। वो ठीक होने के लिए अपने घर वापस आ जाता है। वहाँ उसे पता चलता है कि उसकी भाभी ने उसकी माँ से खानदान की तिजोरी की चाबी चुरा ली है। वो जब इस बारे में कुमुद से बात करता है तो वो उसकी माँ को बताती है कि देवदास ने ही चाबी चुराई है। उसकी माँ कुमुद की बातों में विश्वास कर लेती है और देवदास को घर से निकाल देती है। पारो को जब देवदास के हालत के बारे में पता चलता है तो वो चन्द्रमुखी के कोठे में आ कर उसे देवदास को शराब न पिलाने के बारे में कहती है, और उसे जल्द ही एहसास हो जाता है कि चन्द्रमुखी को देवदास से प्यार हो गया है। पारो अब देवदास से कहती है कि वो शराब पीना बंद कर दे, लेकिन वो उसकी कोई बात नहीं मानता और कहता है कि मरने से पहले अंतिम बार उसके घर के दरवाजे तक जरूर आएगा।

एक दिन ट्रेन में देवदास की मुलाक़ात उसके कॉलेज के दोस्त, चुन्नी बाबू (जैकी श्रॉफ) से होती है। वो उसे अपने दोस्ती के नाम पर शराब पीला देता है। देवदास ये जानते हुए भी शराब पीता है, कि वो इस बार शराब पीने के बाद नहीं बच पाएगा। वो पारो को किया वादा निभाने के लिए पारो के घर जाता है। वो बाहर के दरवाजे के पास वाले पेड़ के नीचे गिर जाता है। पारो उसे देख कर उसके पास आने की कोशिश करती है, पर भुवन उसे देख कर नौकरों को दरवाजा बंद करने बोल देता है। देवदास को पारो की एक धुंधली सी छवि दिखती है और दरवाजा बंद हो जाता है। दरवाजे के पीछे पारो रोने लगती है और वहीं धीरे धीरे देवदास मौत के करीब बढ़ता जाता है। उसके मरते साथ ही पारो का दीया भी बुझ जाता है।

मुख्य कलाकार

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अभिनेता/अभिनेत्री भूमिका
शाहरुख़ खान देवदास मुखर्जी
ऐश्वर्या राय पार्वती (पारो) चक्रवर्ती
माधुरी दीक्षित चन्द्रमुखी
जैकी श्रॉफ चुन्नीलाल (चुन्नीबाबू)
स्मिता जयकर कौशल्या मुखर्जी
किरण खेर सुमित्रा चक्रवर्ती
मनोज जोशी द्विजदास मुखर्जी
अनन्या खरे कुमुद मुखर्जी
मिलिन्द गुणाजी कालीबाबू
दीना पाठक भुवन की माँ
विजयेन्द्र घटगे भुवन चौधरी
टीकू तलसानिया धरमदास
अवा मुखर्जी देव की बडी़ माँ
जया भट्टाचार्य मनोरमा
सुनील रैगे नीलकांत चक्रवर्ती
विजय कृष्णा सर नारायण मुखर्जी
अमरदीप झा कालीबाबू की माँ
अपरा मेह्ता बडी़ आपा
मुनि झा काका
राधिका सिंह यशोमती

फिल्म साउंडट्रैक मुख्य रूप से इस्माइल दरबार द्वारा रचित किया गया, जबकि गीत नुसरत बद्र द्वारा लिखे गए थे। इसमें पार्श्व गायिका श्रेया घोषाल (पार्वती के रूप में), कविता कृष्णमूर्ति (चन्द्रमुखी के रूप में), और उदित नारायण (देवदास के रूप में) शामिल हैं।

श्रेया ने इस फिल्म के माध्यम से अपनी बॉलीवुड में शुरुआत की। उन्होंने संजय लीला भंसाली का ध्यान आकर्षित किया था, जिन्होंने उन्हें सा रे गा मा में एक प्रतिभागी के रूप में देखा और बाद में उन्हें पारो के चरित्र के लिए पार्श्वगायन करने का मौका दिया। श्रेया के गायन करियर में दर्ज पहला बॉलीवुड गीत "बैरी पिया" था। उन्होंने एल्बम में पांच गाने गाए और उनकी आलोचनात्मक प्रशंसा और सराहना हुई। उन्होंने "बैरी पिया" के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का प्रतिष्ठित राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार सहित कई पुरस्कार जीते।

क्र॰शीर्षकगीतकारसंगीतकारगायकअवधि
1."सिलसिला ये चाहत का"नुसरत बद्रइस्माइल दरबारश्रेया घोषाल5:26
2."मार डाला"नुसरत बद्रइस्माइल दरबारकविता कृष्णमूर्ति, केके4:40
3."बैरी पिया"नुसरत बद्रइस्माइल दरबारश्रेया घोषाल, उदित नारायण5:23
4."काहे छेड़"बिरजू महाराजबिरजू महाराजबिरजू महाराज, माधुरी दीक्षित, कविता कृष्णमूर्ति5:23
5."छलक छलक"नुसरत बद्रइस्माइल दरबारउदित नारायण, विनोद राठोड़, श्रेया घोषाल5:12
6."हमेशा तुमको चाहा"नुसरत बद्रइस्माइल दरबारकविता कृष्णमूर्ति, उदित नारायण6:02
7."वो चाँद जैसी लड़की"नुसरत बद्रइस्माइल दरबारउदित नारायण4:32
8."मोरे पिया"समीरइस्माइल दरबारजसपिंदर नरूला, श्रेया घोषाल5:40
9."डोला रे डोला"नुसरत बद्रइस्माइल दरबारश्रेया घोषाल, कविता कृष्णमूर्ति, केके6:35

नामांकन और पुरस्कार

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पुरस्कार वर्ग प्राप्तकर्ता और नामांकित व्यक्ति परिणाम
48वें फिल्मफेयर पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म भरत शाह जीत
सर्वश्रेष्ठ निर्देशक संजय लीला भंसाली
सर्वश्रेष्ठ अभिनेता शाहरुख ख़ान
सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री ऐश्वर्या राय
सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री माधुरी दीक्षित
नई संगीत प्रतिभा श्रेया घोषाल
सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका डोला रे डोला के लिये श्रेया घोषाल और कविता कृष्णमूर्ति
सर्वश्रेष्ठ छायाकार बिनोद प्रधान
सर्वश्रेष्ठ कला निर्देश नितिन चन्द्रकांत देसाई
सर्वश्रेष्ठ नृत्यकला निर्देश सरोज खान
50वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ मनोरंजन प्रदान करने वाली सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म भरत शाह और संजय लीला भंसाली जीत
सर्वश्रेष्ठ उत्पादन डिज़ाइन नितिन चन्द्रकांत देसाई
सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायन "बैरी पिया" के लिये श्रेया घोषाल
सर्वश्रेष्ठ नृत्यकला निर्देश सरोज खान
सर्वश्रेष्ठ वेष-भूषा डिजाइन नीता लुल्ला, अबू जानी, संदीप खोसला और रेजा शरीफी
  1. Box office :2.12 crore INR Chapman, James (2004). Cinemas of the World: Film and Society from 1895 to the Present. Reaktion Books. पृ॰ 346. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 1861895747. मूल से 30 अक्तूबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 August 2015.
  2. Sheela Raval and Anupama Chopra (20 May 2002). "Devdas: Bollywood's gamble". India Today. मूल से 8 मई 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 April 2016.
  3. Sharma, Devesh (2 November 2015). "All hail the King". Filmfare. मूल से 26 अप्रैल 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 April 2016.

बाहरी कडियाँ

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