चैतन्य चरितामृत
चैतन्यचरितामृत, बांग्ला के महान भक्तकवि कृष्णदास कविराज द्वारा रचित ग्रन्थ है जिसमें चैतन्य महाप्रभु (1486-1533) के जीवन और शिक्षाओं का विवरण है। यह मुख्य रूप से बांग्ला भाषा में रचित है किन्तु शिक्षाष्टकम समेत अन्य भक्तिपूर्ण काव्य संस्कृत छन्द में भी हैं। इसमें चैतन्य महाप्रभु के जीवनचरित, उनकी अन्तर्निहित दार्शनिक वार्ताओं, कृष्ण के नामों और हरे कृष्ण मंत्र के जप का भी विशेष विवरण हैं।
श्री चैतन्यचरितामृत गौडीय सम्प्रदाय का आधार ग्रन्थ है जिसमें गौडीय सम्प्रदाय के दर्शन का सार निहित है। अध्ययन-मनन के साथ-साथ यह विग्रह स्वरुप होकर बहुत से घरों में पूजित भी होता है। १७७५ के आसपास सुकल श्याम अथवा बेनीकृष्ण ने इस ग्रन्थ का इसी नाम से ब्रजभाषा में अनुवाद किया।
विषयवस्तु
संपादित करेंचैतन्यचरितामृत तीन खण्डों में विभक्त है, जिनके नाम हैं- आदिलीला, मध्यलीला और अन्त्यलीला।
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- चैतन्य चरितामृत
- The Complete Chaitanya Charitamrita Online - A. C. Bhaktivedanta Swami Prabhupada
- Krishna.com - Official site of the Bhaktivedanta Book Trust
- Find in a Library