एंकी जल, ज्ञान (गेस्टु), शिल्प (गासम) और सृजन (नुदिमुद) के सुमेरियाई देवता हैं। बाद में उन्हें अक्कादियाई (असीरियाई-बेबीलोनियाई) धर्म में ईय या के नाम से जाना गया। वे मुख्य रूप से एरिडु शहर के कुलदेवता थे। बाद में उनके पंथ का प्रभाव पूरे मेसोपोटामिया में कनानियों, हित्तियों और हुरियनों तक फैल गया। उनकी परिकल्पना नक्षत्र के रूप में भी की गई जिसे ईय का तारा भी कहा जाता है।[2] दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के आसपास कभी-कभी उन्हें लिखित रूप में "40" की संख्या से दर्शाया जाता था इसे "पवित्र अंक" माना जाता था।[3]

एंकी
𒀭𒂗𒆠
सृजन, बुद्धि, शिल्प, प्रजनन क्षमता, वीर्य, जादू, शरारत के देवता

एडा सील से एंकी का विवरण, लगभग 2,300 ईसा पूर्व की एक प्राचीन अक्कादियाई सिलेंडर सील[1]
प्रतीक बकरी, मछली, समुद्री बकरी-मछली, चिमेरा
जीवनसाथी निनहुर्साग, दमकिना
माता-पिता अनु और नाम्मू
भाई-बहन एन्लिल
संतान मर्दुक, दुमुज़िद, निनसार, निनकुर्रा, उट्टू, निंटी

व्युत्पत्ति

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एंकी के नाम का सटीक अर्थ अनिश्चित है। इसका शाब्दिक अर्थ है - "भू-स्वामी"। सुमेरियाई एन (ईएन) का अर्थ है "स्वामी"। यह उपाधि मूल रूप से उच्च पुजारी को दी जाती थी। वहीं की (केआई) का अर्थ है "पृथ्वी"। अन्य स्रोतों के अनुसार यह किग या कुर है। किग का अर्थ अज्ञात है किंतु कुर का अर्थ है "टीला"। ईय नाम कथित तौर पर हुर्रियाई मूल का है।[4]

एंकी की उपासना करने वाला प्रमुख मंदिर ई-अब्ज़ु के नाम से जाना जाता था, जिसका अर्थ है - भूमिगत जल गृह। यह एक जिग्गुराट मंदिर था जो एरिदु में प्राचीन फारस की खाड़ी के तट के पास यूफ्रेटियाई दलदली भूमि से घिरा हुआ था।

  1. "The Adda Seal". ब्रिटिश म्यूज़ियम.
  2. रोजर्स, जे. एच. (1 फरवरी 1998). "ऑरिजिंस ऑफ़ द एंशियंट कॉन्सटेलेशंस: आई. द मेसोपोटामियन ट्रैडिशन". Journal of the British Astronomical Association. पपृ॰ 9–28. अभिगमन तिथि 18 जनवरी 2025.
  3. हिन्नेल्स, जॉन आर. (2007). अ हैंडबुक ऑफ़ एंशियंट रिलीजियंस (अंग्रेज़ी में). कैंब्रिज यूनिवर्सिटी प्रैस. पृ॰ 174. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-139-46198-6. अभिगमन तिथि 18 जनवरी 2025.
  4. हर्बर्ट बी., हुफ़मोन (1965). अमोराइट पर्सनल नेम्स इन द मैरी टैक्सट्स: अ स्ट्रक्चरल एंड लैक्सिकल स्टडी. बाल्टीमोरे, मैरीलैंड: द जॉन्स हॉप्किंस प्रैस.

बाहरी कड़ियाँ

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