हिन्दी मेला

कोलकाता की साहित्यिक संस्था सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन आयोजित एक वार्षिक हिन्दी साहित्योत्

हिन्दी मेला कोलकाता की साहित्यिक संस्था सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन द्वारा आयोजित एक वार्षिक हिन्दी साहित्योत्सव है,जो कोलकाता में आयोजित किया जाता है। 26 दिसम्बर 2020 से 1 जनवरी 2021 के बीच 7 दिवसीय ‘२४वें हिंदी मेला’ का आयोजन किया गया था। विगत 25 वर्षों से सफलतापूर्वक हिंदी मेले का आयोजन किया जा रहा है।

हिन्दी मेला भारतीय संस्कृति की एक टूट रही कड़ी को बचाने का प्रयास है। यह अपसंस्कृति के विरूद्ध एक आन्दोलन है। इस बहुदिवसीय मेले में लघु नाटक, कविता, वाद-विवाद प्रतियोगिता, आशु भाषण, राष्ट्रीय संगोष्ठी, चित्रकला प्रतियोगिता, कविता पोस्टर, हिंदी ज्ञान प्रतियोगिता, काव्य संगीत, लोक गीत, भाव नृत्य आदि को शामिल किया जाता है।

इतिहास को और विस्तृत किया
उल्लेखनीय है कि [[हिंदी मेला]] का आयोजन मुख्यतः आपसी आर्थिक सहयोग से होता है। मनुष्य के बाहर और भीतर जो जड़ता है, उससे यह एक लड़ाई है। [[कोलकाता]] और इसके आसपास के जिलों में इसकी खूब चर्चा हुई तो [[हिंदी मेला】】 में शिक्षण संस्थानों और हिंदी प्रेमियों का सहयोग बढ़ता गया। फिर एक सिलसिला बन गया हिंदी मेले का और इसका विस्तार तीन दिनों की जगह सात दिनों का हो गया। इसका मुख्य नारा बना- [['पढ़ना-लड़ना है']]।

2000 से [[हिंदी मेला]] का काफी विस्तार हुआ। साहित्यिक जगत के कई दिग्गज इससे जुड़े। इस घटना का देश के दूसरे हिस्सों में भी काफी प्रचार हुआ। इसमें बाहर से भी साहित्यकार आने लगे। कोलकाता के लेखक,शिक्षक और साहित्य प्रेमी तो जुड़े ही हुए थे।

[[हिंदी मेला]] के पीछे एक बुनियादी धारणा यह है कि हिंदी भारतीय भाषाओं का एक बड़ा आंगन है,जहाँ हिंदी के अलावा हिन्दीतर भाषाओं को भी अपनी साहित्यिक और सांस्कृतिक छवियों के साथ उपस्थित रहना है। हम देख सकते हैं कि हिंदी मेला में बांग्ला के महान कवि [[सुभाष मुखोपाध्याय]],कथाकार [[महाश्वेता देवी]], [[तसलीमा नसरीन]], [[नवारुण भट्टाचार्य]], [[गौतम घोष]] जैसे व्यक्तित्व आ चुके हैं। [[हिंदी मेला]] सबको जोड़ने वाला, सभी को साथ लेकर चलने वाला मेला है। हिंदी साहित्यकारों में [[नामवर सिंह]], [[परमानंद श्रीवास्तव]], [[केदारनाथ सिंह]], [[कल्याणमल लोढ़ा]], [[विष्णुकांत शास्त्री]], [[काशीनाथ सिंह]], [[मंगलेश डबराल]], [[अशोक वाजपेयी]],[[विजेंद्रनारायण सिंह]], [[नंदकिशोर नवल]], [[पी.एन. सिंह]],[[वीरेन डंगवाल]], [[अवधेश प्रधान]], [[अरुण कमल]],[[अरविंद चतुर्वेद]], [[कृपाशंकर चौबे]], [[विष्णुचंद्र शर्मा]], [[खगेन्द्र ठाकुर]],[[विजय मोहन शर्मा]],[[राजेन्द्र कुमार]],[[विजय बहादुर सिंह]],[[रविभूषण]],[[अरुण कुमार]],[[रंजना अरगड़े]] आदि आ चुके हैं। ये विविध तरह से सहयोग देते रहे हैं। [[ज्ञानपीठ पुरस्कार]] से सम्मानित कवि [[केदारनाथ सिंह]] तो अपने जीवन के अंतिम वर्षों तक इसमें लगातार आते रहे हैं और नई पीढ़ी के लेखकों की एक बड़ी कतार [[हिंदी मेला]] के सांस्कृतिक अभियान में शामिल रही है। इसमें [[श्रीप्रकाश शुक्ल]],[[बद्रीनारायण]],[[बसन्त त्रिपाठी]],[[वैभव सिंह]],[[रणेन्द्र]],[[आशीष मिश्र]] आदि कई नाम शामिल हैं। [[हिंदी मेला]] की चर्चा देश में दूर-दूर तक हुई है।

[[हिंदी मेला]] का संदेश है कि धर्म, जाति, क्षेत्रीयता से ऊपर उठकर हमारी एक उद्दात सामाजिक पहचान है। हमारे लक्ष्य हैं- मातृभाषा से प्रेम, साहित्य का लोकप्रियकरण और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण। हमारा मंच नई प्रतिभाओं को सामने लाने और उनमें साहित्यिक अभिरुचि पैदा करने के लिए है। [[हिंदी मेला]] के मंच से आरम्भिक प्रेरणा लेकर कई युवा साहित्यिक दुनिया के सितारे बने हैं और ऊँचे पदों पर प्रतिष्ठित हैं।

'''हिंदी मेला की प्रमुख घटनाएं हैं -'''

'''1996''' में विशेष रूप से 21वीं सदी की चुनौती का सामना और सांस्कृतिक नवजागरण के लिए [[हिंदी मेला]] हुआ। नई प्रतिभाओं का तीन दिवसीय [['कलकत्ता साहित्य प्रतियोगिता']] और [['युवा शिखर सम्मान 1996']] का आयोजन 12, 13, 14 जनवरी को महाजाति सदन (एनेक्स) में किया गया था। यह मेला लघु पत्रिका [['समकालीन सृजन']] द्वारा [['राज्यश्री स्मृति न्यास']] के सहयोग से सम्पन्न हुआ।

इस मेले के प्रमुख अतिथि थे- डॉ. पी.के. जायसवाल, श्रीनारायण पांडेय, इसराइल, मदन सूदन, चंद्रा पांडेय, सरला माहेश्वरी, प्रभा खेतान, राधाकृष्ण प्रसाद, अवध नारायण सिंह, अमित प्रकाश सिंह, विश्वम्भर नेवर, अजय राय आदि।

इसके सफल आयोजन में शंभुनाथ, मानिक बच्छावत, जगदीश प्रसाद साहा, अमरनाथ, वसुमती डागा, शिवनाथ पांडेय, अलका सरावगी आदि की भूमिका थी।

इस मेले में काव्य आवृति के लिए [[अज्ञेय पुरस्कार]], काव्य संगीत के लिए [[निराला पुरस्कार]], कविता के लिए [[अक्षय उपाध्याय पुरस्कार]], कहानी लेखन के लिए [[अलखनारायण पुरस्कार]], पत्रकारिता के लिए [[गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार]] दिया गया। इसमें प्रमुख सहयोग थे- मनीषा झा, राजेश मिश्र, वेदरमन, विवेकलाल, सत्य प्रकाश तिवारी, गीता दूबे, श्री निवास सिंह, संजय जायसवाल, अर्जुन ठाकुर, शिवकुमार झा, मनोज मिश्र, मनीषा साव आदि।

'''1997''' का मेला [['हिंदी की नई प्रतिभाओं का साहित्य मेला-97']] का आयोजन 9, 14, 15 और 16 फरवरी को हुआ। इसमें मेले की अवधि तीन से चार दिन का हो गया। इस बार मेले में चित्रांकन प्रतियोगिता को भी शामिल किया गया। सुलोचना सारस्वत और विक्की केशवानी इससे जुड़े। इस मेले के प्रमुख अतिथि थे- बी.आर. पनेसर, डॉ. कृष्ण बिहारी मिश्र, प्रभाकर क्षोत्रिय, छविनाथ मिश्र, विमल वर्मा, अरुण माहेश्वरी, ध्रुवदेव मिश्र पाषाण, श्रीहर्ष, अजय राय, गीतेश शर्मा, नवल जोशी, भगवान सिंह भदौरिया, आनंद कुमार सिन्हा, विजय कुमार सिंह, नूर मुहमद नूर और प्रफुल्ल कोलख्यान आदि।

'''1998''' में [[['कलकत्ता साहित्य प्रतियोगिता']] का [['कलकत्ता हिंदी मेला']] के नाम से आयोजन किया गया। इसी वर्ष [['सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन']] का नाम सामने आया और द्वारा आयोजित साहित्य प्रतियोगिता का चौथा गौरवशाली साल रहा। इस वर्ष मेले की बढ़ती लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए कार्यकारणी का विस्तार करते हुए नई कार्यकारिणी का गठन किया गया।

डॉ. शंभुनाथ-'''अध्यक्ष'''

जगदीश प्रसाद साहा-'''कार्यकारी अध्यक्ष'''

मानिक बच्छावत, डॉ. अमरनाथ, दिनेश साव-

''''उपाध्यक्ष'''

मदन सूदन,अरुण माहेश्वरी, शिवनाथ पांडेय,वसुमती डागा और गोरखनाथ ठाकुर- '''परामर्श'''

'''संचालक मंडल में'''- शिवकुमार झा (सचिव), अरविंद सिंह, इतु सिंह, माधवी गुप्ता, सुनीता गुप्ता, साधना सिंह, अजय सिंह, संजय जायसवाल, मालती जीवराजका, उमेश सिंह परमार, रमेश सिंह, अशोक सिंह, दीपक गुप्ता, मनोज मिश्र, सत्यप्रकाश तिवारी, मधु शर्मा, बीना पांडेय, बलवंत सिंह, दिलीप सिंह, उपेंद्र साव, विनोद साव, दिव्यांशु मालवीय, सोमा गुहा, कल्पित चटर्जी, पूनम जायसवाल, सोमा श्रीवास्तव, विकास साह, सीमा विजय, कल्पना ठाकुर, गणेश सरार्फ, जयप्रकाश शर्मा। [[हिंदी मेला]] के ये सभी लोग अब प्रतिष्ठित जगहों पर हैं। इनमें से कई अब [[हिंदी मेला]] के शीर्ष आयोजकों में हैं।

इस मेले के प्रमुख अतिथि थे- प्रो. कल्याणमल लोढ़ा तथा सनत कुमार चट्टोपाध्याय।

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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  • 2021-22 के हिंदी मेला में प्रो. कल्याणमल लोढ़ा शिक्षण सम्मान प्रो. सोमा बंद्योपाध्याय को