हिन्दी प्रचारिणी सभा, मॉरीशस

हिन्दी प्रचारिणी सभा की स्थापना मॉरीशस में १९२५ में हिन्दी की विधिवत शिक्षा के लिए हुई

हिन्दी प्रचारिणी सभा की स्थापना मॉरीशस में १९२५ में हिन्दी की विधिवत शिक्षा के लिए हुई जिसके प्रथम अध्यक्ष मुक्ताराम चटर्जी थे। इस सभा ने हिन्दी के प्रचार-प्रसार में अहम भूमिका निभाई। सभा हिन्दी साहित्य सम्मेलन की साहित्यरत्न परीक्षाएँ भी आयेजित करती है।

हिन्दी प्रचारिणी सभा एक शैक्षिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था है। यह लांग माउण्टेन (Long Mountain) में स्थित है। इसका ध्येयवाक्य है ‘भाषा गई तो संस्कृति गई'। इसकी स्थापना 12 जून 1926 को हुई थी। उस समय इसका नाम 'तिलक विद्यालय' था जो भारत के महान शिक्षाशास्त्री एवं स्वतंत्रता सेनानी बाल गंगाधर तिलक के नाम पर था। तिलक विद्यालय की स्थापना के पीछे मुक्तराम बोलराम चटर्जी और मुंगुर बंधु थे जिन्हें बाद में 'भगत' नाम से प्रसिद्धि मिलि। बाद में यही विद्यालय 'हिन्दी प्रचारिणी सभा' बना।

कुछ समय बाद हिन्दी प्रचारिणी सभा ने क्रीव कूर (Creve Coeur) में 'सरस्वती पाठशाला' की स्थापना की। इसमें कन्याओं के लिए पूर्णकालोक हिन्दी कक्षाएँ लगने लगीं। श्री सूर्य प्रसाद मुंगुर भगत हिन्दी प्रचारिणी सभा द्वारा नियुक्त प्रथम अध्यापक थे। उनके बाद श्री नेमनारायण गुप्त अध्यापक नियुक्त हुए।

  • पूरे मॉरीशस में हिन्दी विद्यालयों की स्थापना करना या स्थापना में सहयोग देना
  • प्राथमिक एवं माध्यमिक कक्षाओं की पाठ्यपुस्तकों का प्रकाशन करना
  • स्थानीय परीक्षाओं के लिए पाठ्यक्रम तथ प्रश्नपत्र तैयार करना
  • अध्यापकों के लिए कार्यशाला (वर्कशॉप) और सेमिनार आयोजित करना
  • विद्यार्थियों को अपने बौद्धिक और नैतिक विकास के लिए प्रेरित करना
  • प्राथमिक स्तर के विद्यार्थियों के लिए परीक्षाएँ आयोजित करना तथा प्रमाणपत्र प्रदान करना
  • विदेशों में हिन्दी की उच्च परीक्षाएँ आयोजित करना
  • हिन्दी की पुस्तकें एवं पत्रिकाएँ प्रकाशित करना
  • साहित्यिक प्रतियोगिताएँ आयोजित करना एवं पुरस्कार देना
  • हिन्दी के विकास के लिए कार्यरत व्यक्तियों एवं संस्थाओं को सम्मान स्वरूप प्रमाणपत्र देना
  • हिन्दी के उन्नयन के लिए राष्ट्रीय तथा अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित करना
  • कवि सम्मेलन, चर्चा तथा साहित्यिक क्रियाकलाप करना

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