सूरज प्रकाश
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सूरज प्रकाश (जन्म १४ मार्च, १९५२; देहरादून) हिन्दी और गुजराती के लेखक और कथाकार हैं।
सूरज प्रकाश | |
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जन्म | सूरज प्रकाश अरोड़ा 14 मार्च 1952 देहरादून, उत्तराखण्ड |
पेशा | लेखक और अनुवादक |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
विधा | कहानी और उपन्यास |
विषय | साहित्य |
उल्लेखनीय कामs | उपन्यास - हादसों के बीच (1998), देस बिराना (2000), कहानी संग्रह - अधूरी तस्वीर (1992), छूटे हुए घर (2002), खो जाते हैं घर (2012), मर्द नहीं रोते (2012), छोटे नवाब बड़े नवाब (2013), संकलित कहानियां (2015) |
परिचय
संपादित करेंसूरज प्रकाश का जन्म उत्तराखण्ड (तब के उत्तर प्रदेश) के देहरादून में हुआ था। सूरज प्रकाश ने मेरठ विश्वविद्यलय से बी॰ए॰ की डिग्री प्राप्त की और बाद में उस्मानिया विश्वविद्यालय से एम ए किया। तुकबंदी बेशक तेरह बरस की उम्र से ही शुरू कर दी थी लेकिन पहली कहानी लिखने के लिए उन्हें पैंतीस बरस की उम्र तक इंतजार करना पड़ा। उन्होंने शुरू में कई छोटी-मोटी नौकरियां कीं और फिर 1981 में भारतीय रिज़र्व बैंक की सेवा में बंबई आ गए और वहीं से 2012 में महाप्रबंधक के पद से रिटायर हुए। सूरज प्रकाश कहानीकार, उपन्यासकार और सजग अनुवादक के रूप में जाने जाते हैं। 1989 में वे नौकरी में सज़ा के रूप में अहमदाबाद भेजे गये थे लेकिन उन्होंने इस सज़ा को भी अपने पक्ष में मोड़ लिया। तब उन्होंने लिखना शुरू ही किया था और उनकी कुल जमा तीन ही कहानियाँ प्रकाशित हुई थीं। अहमदाबाद में बिताए 75 महीनों में उन्होंने अपने व्यक्तित्व और लेखन को संवारा और कहानी लेखन में अपनी जगह बनानी शुरू की। खूब पढ़ा और खूब यात्राएं कीं। एक चुनौती के रूप में गुजराती सीखी और पंजाबी भाषी होते हुए भी गुजराती से कई किताबों के अनुवाद किए। इनमें व्यंग्य लेखक विनोद भट्ट की कुछ पुस्तकों, हसमुख बराड़ी के नाटक ’राई नो दर्पण’ राय और दिनकर जोशी के बेहद प्रसिद्ध उपन्यास ’प्रकाशनो पडछायो’ के अनुवाद शामिल हैं। वहीं रहते हुए जॉर्ज आर्वेल के उपन्यास ’एनिमल फॉर्म’ का अनुवाद किया। गुजरात हिंदी साहित्य अकादमी का पहला सम्मान 1993 में सूरज प्रकाश को मिला था। वे इन दिनों मुंबई में रहते हैं। सूरज प्रकाश जी हिंदी, पंजाबी, अंग्रेजी, गुजराती, मराठी भाषाएं जानते हैं। उनके परिवार में उनकी पत्नी मधु अरोड़ा और दो बेटे अभिजित और अभिज्ञान हैं। मधु जी समर्थ लेखिका हैं।
कार्यक्षेत्र
संपादित करें1987 में लेखन शुरू करके सूरज प्रकाश ने लगभग 5 कहानियां और चार उपन्यास लिखे हैं। उनके दो व्यंग्य संग्रह भी हैं। गुजराती से उन्होंने 8 और अंग्रेजी से 67 किताबों के अनुवाद किये हैं। बैंक की सेवा में रहते हुए उन्होंने हिंदी में बैंकिंग साहित्य तैयार कराने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। उनके प्रयासों से पहली बार बैंकिंग से जुड़े विभिन्न विषयों पर हिंदी में राष्ट्रीय स्तर के सेमिनार शुरू किये गये और उनमें प्रस्तुत आलेखों को संपादित करके पुस्तक रूप में प्रकाशित किये गये। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा ये सेमिनार अभी भी नियमित रूप से आयोजित किये जाते हैं। बैंक के पुणे स्थित महाविद्यालय में अपनी तैनाती के दौरान सूरज प्रकाश ने बैंकरों के बीच साहित्य के प्रति रुचि जगाने के लिए कई प्रयास और प्रयोग किये। इनमें बैंकरों के बीच वरिष्ठ कथाकारों के कहानी पाठ, नाटकों के मंचन आदि शामिल हैं। गुजराती हिंदी साहित्य अकादमी से पहला सम्मान और महाराष्ट्र हिंदी साहित्य अकादमी से दो बार सम्मानित। सूरज प्रकाश ने अनुवाद के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण काम किया है। उन्होंने आत्मकथाओं के अनुवाद को अपनी प्राथमिकता बनाया और कई महत्वपूर्ण आत्मकथाओं के अनुवाद किये। चार्ल्स चैप्लिन की आत्मकथा, चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा, ऐन फ्रैंक की डायरी, मिलेना और गुजराती से महात्मा गांधी की आत्मकथा सत्य नो प्रयोगो उनके कुछ उल्लखेनीय अनुवाद हैं। इनके अलावा नोबल पुरस्कार प्राप्त लेखकों की कहानियों के अनुवाद, एनिमल फार्म का अनुवाद और कुछेक दूसरे उपन्यासों के उनके किये गये अनुवाद बेहद पसंद किये गये हैं। इधर के बरसों में फेसबुक जैसे सशक्त सोशल मीडिया के आगमन के साथ सूरज प्रकाश ने अपनी कथाओं के लिए एक नयी ज़मीन तलाशी है और फेसबुक को आधार बना कर कई लंबी और सार्थक कहानियां दी हैं। वे शायद हिंदी के अकेले लेखक हैं जिन्होंने फेसबुक को आधार बना कर लगातार महत्वपूर्ण कहानियां दी हैं। उनकी कहानियां विभिन्न भाषाओं में अनूदित हैं। छोटे नवाब बड़े नवाब और डर कहानियों को दूरदर्शन पर दिखाया गया है। सूरज प्रकाश के लेखन पर तसाी मफिल हो चुकी हैं और उनके काम को कई शोध प्रबंधों में शामिल किया गया है।
कुछेक छात्र उनके लेखन पर पीएचडी के लिए शोध कर रहे हैं।
प्रकाशित पुस्तकें
संपादित करेंउपन्यास
- हादसों के बीच (1998),
- देस बिराना (2000),
- नॉट इक्वल टू लव (हिंदी का पहला चैट उपन्यास) 2017,
- ख्वाबगाह 2019
- कहानी-संग्रह
- अधूरी तस्वीर (1992)
- छूटे हुए घर (2002)
- खो जाते हैं घर (2012)
- मर्द नहीं रोते (2012)
- छोटे नवाब बड़े नवाब (2013)
- संकलित कहानियां (2015),
- लहरों की बांरीस
इनके अलावा इनकी शोध आधारित किताब लेखकों की दुनिया उल्लेखनीय है। सूरज प्रकाश की जीवनी उम्र भर देखा किये का लेखन विजय अरोड़ा ने किया है। थ
- व्यंग्य-संग्रह
- ज़रा संभल के चलो (1999)
- दाढ़ी में तिनका (2011)
- अंग्रेजी से अनुवाद
- ऐन फ्रेंक की डायरी (2002)
- मिलेना (2004)
- चार्ली चैप्लिन की आत्मकथा (2006)
- चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा (2007)
- एनिमल फार्म (2013)
- क्रानिकल ऑफ ए डैथ फोरटोल्ड
- गुजराती से अनुवाद
- भूल चूक लेनी देनी (विनोद भट्ट के व्यंग्य)(1991)
- चेखव और बर्नार्ड शॉ (विनोद भट्ट के व्यंग्य) (1993)
- हसमुख बराड़ी का नाटक राई नो दर्पण राय (1994)
- प्रकाशनो पडछायो (महात्मा गांधी के बेटे हरिलाल के जीवन पर दिनकर जोशी का उपन्यास) (1998)
- दिवा स्वप्न (गीजू भाई बधेका की पुस्तक) (1996)
- मां बाप से (गीजू भाई बधेका की पुस्तक (1997)
- (गीजू भाई बधेका की दो सौ किशोर कहानियां (1998)
- महात्मा गांधी की आत्मकथा (2012)
- संपादन [संपादित करें]
- बंबई एक (बंबई पर आधारित कहानियां) (1999)
- कथा दशक (कथा यूके से सम्मानित लेखकों की कहानियां)
- कथा लंदन (लंदन में लिखी जा रही कहानियां)
- इसके अलावा बैंकिंग साहित्य से संबंधित 6 पुस्तकों का संपादन
देस बिराना
संपादित करेंदेस बिराना सूरज प्रकाश का महत्वपूर्ण उपन्यास है। यह एक ऐसे अकेले लड़के की कहानी है जो बचपन के एक छोटे से हादसे के कारण घर छोड़ देता है और आजीवन अपनी शर्तों पर अपनी तरह के घर की तलाश करता रहता है। उसका अपना घर ही अपना नहीं रहता और वह घर नाम की जगह की चाहत में बंबई और लंदन में भटकता रहता है। जो घर उसे मिलता है वह उस तरह का घर नहीं होता जो उसकी चाहत है। वह सोचता है कि जिदंगी भी हमारे साथ कैसे कैसे खेल खेलती है। हम बंद दरवाजों के बाहर खड़े होते हैं और भीतर खबर नहीं होती और कहीं और किन्हीं बंद दरवाजों के पीछे कोई हमारी राह देख रहा होता है और हमें ही खबर नहीं होती। 2000 में लिखे गये इस उपन्यास को बंबई की दृष्टिहीन व्यक्तियों के लिए काम करने वाली बंबई की संस्था नेशनल एसोसिएशन फॉर ब्लाइंड ने देश भर में फैले अपने सदस्यों के लिए ऑडियो उपन्यास के रूप मे रिकार्ड करवाया था। ये उपन्यास सूरज प्रकाश की वेबसाइट www.surajprakash.com पर ऑडियो रूप में भी उपलब्ध है।
सन्दर्भ
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- सूरज प्रकाश की रचनाएं (www.gadyakosh.org)
- सूरज प्रकाश की रचनाएं (www.hindisamay.org)
- सूरज प्रकाश (www.surajprakash.com)
- सूरज प्रकाश (www.kathaakar.blogspot.com/www.soorajprakaash.blogspot.com)