सुषमा मुनीन्द्र

हिंदी साहित्य की चर्चित स्त्री कथाकार हैं। जन्म सन (1959 ई.) रीवा,मध्य प्रदेश में हुआ। मध्य प्रदेश से ही उच्च शिक्षा में बी.एस.सी, एम.एस.सी की शिक्षा हासिल करने के बाद स्वतंत्र लेखन शुरू किया। पिछले तीन–दशकों से साहित्य में इनका सार्थक हस्तक्षेप है। किंतु 21वीं सदी के प्रारंभ से इन्होंने व्यवस्थित लेखन शुरू किया। आपने दो–उपन्यास तथा 19 उत्कृष्ट कहानी–संग्रह प्रकाशित कर स्त्री लेखन की परंपरा को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। अपने विस्तृत लेखन में नारी के स्वत्व एवं अस्मिता की पड़ताल, स्त्री मन के अनेक परतों, तलों की तलाश में सफल रही है। समकालीन स्त्री–जीवन– यथार्थ, उसके जीवन अनुभव, सामाजिक सहभागिता, संबंधों को एक सूत्र में पिरोने की आपके लेखन में जबरदस्त कोशिश दिखाई देती है। नारी जीवन के बहुमुखी संकटों को उद्भाषित एवं परिभाषित करने में आपकी लेखनी सक्षम रही है।

सुषमा मुनींद्र जी का संपूर्ण कथा साहित्य स्त्री मन के गहराइयों में पैठकर तथा उनके संघर्ष के अवलोकन से उनकी सामाजिक आर्थिक व राजनीतिक क्षमता का लोहा मनवाने के उपक्रम में अग्रणी रही हैं। वस्तुतः सुषमा मुनींद्र ने 21वीं सदी के बदलाव व समाज के अंतिम सिरे की स्त्री के संबंधों से उपजी कहानियों को बुना है।

प्रमुख रचनायें

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इनकी प्रमुख रचनायें निम्नवत हैं:[1]

*उपन्यास

(1) छोटी-सी आशा, 2002

(2) गृहस्थी

*कहानी संग्रह

(1) मेरी बिटिया, 1997

(2) नुक्कड़ नाटक, 2000

(3) महिमा मण्डित, 2000

(4) मृत्युगंध, 2004

(5) अस्तित्व, 2006

(6) अन्तिम प्रहर का स्वप्न, 2008

(7) आँन लाइन रोमांस, 2010

(8) विलोम,

(9) जसोदा एक्सप्रेस,

(10) शानदार शख्सियत,

(11) अपना ख्याल रखना, 2012

(12) प्रेम संबंधों की कहानियाँ, 2017

(13) न नजर बुरी न मुँह काला,

(14) कायाकल्‍प,

(15) शुभ सात कदम,

(16) बना रहे यह अहसास,

(17) मुरादों वाले दिन,

इन्हें भी देखें

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  • [[हिन्दी गद्यकार]
  1. "हिंदी बुक सेंटर पर सुषमा मुनीन्द्र की रचनायें". hindibook.com (अंग्रेज़ी में). मूल से 26 दिसंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 दिसंबर 2015.