सिन्डर शंकु
सिंडर शंकु या राख शंकु एक ज्वालामुखी कृत स्थलरूप हैं। ज्वालामुखी उदभेदन के साथ शिलाखण्डो और राख की प्रधानता से शंकु बनते हैं। इनके किनारे उत्तल ढाल वाले होते हैं। इसी कारण सिन्डर शंकु इन्हे कहते हैं।
निर्माण
संपादित करेंइनका निर्माण राख धूल व असंगठित पदार्थों से होता है। अतः ये कम ऊँचे होते हैं। इनमें तरल (लावा) का अभाव होता है। इनका ढाल 30° से 45° तक होता है। मैक्सिको में जोरिनला व पारिक्यूटीन तथा लुजोन द्वीप में कैमिग्विन इसी प्रकार के शंकु है।[1]
संरचना
संपादित करेंउदाहरण
संपादित करें- सिसली का ज्वालामुखी
- हवाई द्वीप का ज्वालामुखी
- माउंट जोरल्लो (मेक्सिको)
आकृति
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंज्वालामुखी निसरण से बनी आकृति | |
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आश्रित शंकु | काल्डेरा शंकु | गुम्बद शंकु | मिश्रित शंकु | लावा शंकु | लावालव शंकु | शिल्ड शंकु | सिन्डर शंकु |
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- ↑ विद्या इंटरमीडिएट भौतिक एवं मानव भूगोल