"जीव हत्या" सबसे बड़ा पाप हैं , अनावश्यक हरे पेड़ों को काटना भी पाप हैं। इसके बाद इन्सान की मानसिकता के सात घातक पाप जो प्रधान पापाचरणों या कार्डिनल पापों के रूप में भी जाने जाते हैं, सर्वाधिक आपत्तिजनक बुराइयों का एक वर्गीकरण है जो मानवता की पाप के प्रति (अनैतिक) झुकाव की प्रकृति से संबंधित अनुयायियों को शिक्षित करने तथा उपदेश देने के लिए क्रिश्चियन समय से ही प्रयुक्त होता रहा है। सूची के अंतिम संस्करण में क्रोध, लोभ, आलस, अभिमान, वासना, ईर्ष्या एवं लालच निहित हैं।

हैरोनिमस बॉश कि द सेवेन डेडली सिंस ऐंड फोर लास्ट थिंग्स

कैथोलिक चर्च ने पाप को दो प्रमुख वर्गों में विभक्त किया है: "क्षम्य पाप", जो अपेक्षाकृत क्षुद्र होते हैं और किसी भी प्रकार के संस्कारिक नियमों अथवा चर्च के परम प्रसाद संस्कार ग्रहण के माध्यम से क्षमा किए जा सकते हैं एवं जितने अधिक "घातक" या नश्वर पाप होंगे उतने ही अधिक संगीन होंगे. ऐसा मानना है कि नश्वर पाप जीवन की गरिमा को नष्ट कर देते है और अनंत निगृहित नरकवास का आतंक तब तक बनाए रखते हैं जब तक कि पाप स्वीकारोक्ति संस्कार के अथवा परिपूर्ण पश्चाताप के माध्यम से क्षमा प्रदान न कर दी जाए।

14वीं सदी की शुरुआत के प्रथम चरण में, उस समय के यूरोपीय कलाकारों में सात घातक पापों की विषय वस्तु की लोकप्रियता ने अंततः सामान्य रूप से विश्वभर में व्याप्त कैथोलिक संस्कृति तथा कैथोलिक चेतना को आत्मसात करने में सहायता प्रदान की है। आत्मसात करने के माध्यमों में से ऐसा ही एक स्मरक सृष्टि "SALIGIA" थी जो लैटिन में सात घातक पापों: सुपर्बिया, एवारिसिया, लक्सुरिया, इनविदिया, गुला, इरा, एसेडिया पर आधारित थी।[1]

बाइबिल में सूचियां

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कहावतों की पुस्तक में यह उल्लिखित है कि "प्रभु" विशेष रूप से छः बातों से घृणा करते हैं और सातवां उनकी आत्मा को गंवारा नहीं है।[2]

  • अहंकारी आंखे
  • मिथ्या बोलने वाली जीभ
  • जिन हाथों ने निर्दोष का रक्त पात किया
  • ऐसा दिल जो शातिर षड्यंत्रों की संरचना करता है
  • जो कदम कुमार्ग की दिशा में तेजी से दौड़ जाते हैं
  • एक कपटपूर्ण साक्ष्य जो मिथ्या का उच्चारण करता है
  • उसे जो बंधुओं के बीच वैमनस्य बोते हैं।

हालांकि उनमें से सात ही यहां प्रस्तुत हैं, यह सूची परंपरागत सूची से उल्लेखनीय रूप से भिन्न है, अहंकार ही एकमात्र पाप है जो दोनों सूचियों में शामिल है। इस बार गैलेशियन द्वारा प्रदत्त पपत्र में अन्य बुरी बातों की सूची में, पारंपरिक सात पापों से अधिक पाप शामिल हैं, हालांकि यह सूची वस्तुतः लम्बी है: व्यभिचारिता, परस्त्रीगमन, अस्वच्छता, कामुकता, मूर्ति-पूजा, जादू-टोना, घृणा, मतभेद, यंत्रानुकरण, क्रोध, कलह, राजद्रोह, मतान्तर, इर्ष्या, हत्याएं, नशाखोरी, रंगरेलियां एवं इसी "प्रकार के और भी पाप".[3]

पारंपरिक सात पापों का विकास

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सात घातक पापों की आधुनिक अवधारणा का संबंध चौथी सदी के सन्यासी एवाग्रियस पोंटिको, की रचनाओं से हैं, जिन्होनें ग्रीक में आठ बुरे विचारों की सूची तैयार की थी जो निम्न प्रकार हैं:[4]

  • [Γαστριμαργία] Error: {{Lang}}: unrecognized language code: gk (help)(गैस्ट्रिमार्जिया)
  • [Πορνεία] Error: {{Lang}}: unrecognized language code: gk (help)(पोर्निया)
  • [Φιλαργυρία] Error: {{Lang}}: unrecognized language code: gk (help)(फ़ाइलार्जिरिया)
  • [Λύπη] Error: {{Lang}}: unrecognized language code: gk (help)(लाइप)
  • [Ὁργῆ] Error: {{Lang}}: unrecognized language code: gk (help)(ओर्गे)
  • [Ἀκηδία] Error: {{Lang}}: unrecognized language code: gk (help)(एकेडिया)
  • [Κενοδοξία] Error: {{Lang}}: unrecognized language code: gk (help)(केनोडोक्सिया)
  • [Ὺπερηφανία] Error: {{Lang}}: unrecognized language code: gk (help)(हाइपरफेनिया)

इन्हें रोमन कैथोलिक आध्यात्मिक भक्तों (या कैथोलिक श्रद्धालुओं) द्वारा भाषांतरित किया गया, जो निम्न हैं:[5]

ये बुरे विचार तीन श्रेणियों में विभाजित किए जा सकते हैं:[5]

  • कामुक वुभुक्षा (लालसा, व्यभिचार एवं धनलोलुपता)
  • उग्रता (क्रोध)
  • प्रतिभा (अभिमान, विषाद, अहंकार और निरुत्साह)

ईस्वी सन् 590 में, इवाग्रियस पोप ग्रेगोरी प्रथम के कुछ वर्षों पश्चात् इस सूची को संशोधित कर अधिक आम सात घातक पापों की सूची तैयार की गई, निराशा की श्रेणी में विषाद/हतोत्साह अहंकार की श्रेणी में अहम्मन्यता और अंसयम तथा ईर्ष्या को अतिरिक्त शामिल कर धनलोलूपता को सूची से निकाल दिया गया है। पोप ग्रेगोरी और दांते अलिग्हियरि ने अपनी महाकाव्यात्मक रचना द डिवाइन कॉमेडी में धर्मसंख में व्यवहृत सात घातक पापों को निम्न अनुक्रम में रखा हैं:

  1. [luxuria] Error: {{Lang}}: text has italic markup (help)(अपव्यय)
  2. [gula] Error: {{Lang}}: text has italic markup (help)(लालसा)
  3. [avaritia] Error: {{Lang}}: text has italic markup (help)(धनलोलुपता/लोभ)
  4. [acedia] Error: {{Lang}}: text has italic markup (help)(निराशा/हतोत्साह)
  5. [ira] Error: {{Lang}}: text has italic markup (help)(क्रोध)
  6. [invidia] Error: {{Lang}}: text has italic markup (help)(ईर्ष्या)
  7. [superbia] Error: {{Lang}}: text has italic markup (help)(अहंकार)

सात घातक पापों की पहचान और परिभाषा के इतिहास की प्रक्रिया निरंतर प्रवाहमान है और इन सातों पापों में से प्रत्येक पाप समय-समय पर विकसित हुए हैं। अतिरिक्त रूप से अर्थान्तर, (सिमेंटिक चेंज) के फलस्वरूप:

  • वासना को विलासिता के बदले प्रतिस्थापित किया गया भाव वही रहा केवल नाम बदल गया
  • आलस्य (सुस्ती) को अनासक्ति के बदले प्रतिशापित किया गया

दांते इसी परिवर्द्धित सूची का व्यवहार करते हैं। (हालांकि, अपव्यय पर कोई अंकुश नहीं लगाया गया है - दांते के अनुसार अनावश्यक व्यय की सजा नरक के चौथे चक्र में है). अर्थपरिवर्तन की प्रक्रिया इस तथ्य के कारण प्रयोग में लाई गई है क्योंकि व्यक्तित्व के लक्षण न तो सामूहिक रूप से, न ही सुसंगत तरीके से और न ही विधिवित रूप से, लागू होते हैं, खुद बाइबल के द्वारा ही अन्य साहित्यिक एवं गिरजे-संबंधी रचनाओं की सहायता उन सूत्रों की तलाश के लिए ली गई जहां से परिभाषाएं ली जा सकती हैं। पुनर्जागरण के बाद से दांते की डिवाइन कॉमेडी का द्वितीय खंड पुर्गाटोरियो को लगभग सर्वमान्य सुनिश्चित सूत्र माना जाता रहा है।

आधुनिक रोमन कैथोलिक धर्मशास्त्र की प्रश्नोत्तरी में पापों की सूची में: अहंकार, धनलोलुपता, ईर्ष्या, क्रोध, वासना, लालसा तथा आलस्य/निराशा शामिल हैं .[6] इन सातों घातक पापों में से प्रत्येक पाप का अब सातों पवित्र गुणों (जिन्हें कभी-कभी विपरीत गुणों के रूप में भी सन्दर्भित किया जाता है) के तदनुसार विपरीत अर्थ निकलता है। जिन पापों का वे विरोध करते हैं, उनके समानांतर अनुक्रम में सात गुण; विनम्रता, दान, दया, धैर्य, संयम, मिताहार और श्रम हैं।

घातक पापों की ऐतिहासिक और आधुनिक परिभाषाएं

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अपव्यय (लैटिन में, [luxuria] Error: {{Lang}}: text has italic markup (help)) अनियंत्रित आधिक्य है। अपव्ययी आचरण में विलासिता की वस्तुओं की बारबार खरीद, तथा भ्रष्टाचार के रूप में किए जाने वाले आचरण शामिल हैं।

रोमांस की भाषाओं में, लक्सुरिया (पाप का लैटिन शब्द) के समानार्थियों में व्यापक यौन अर्थ समाहित है; पुरानी फ्रांसीसी समानार्थी को इंग्लिश में लक्ज़री के रूप में अपना लिया गया, लेकिन 14वीं सदी तक इसने यौन अर्थ खो दिया.[7]

वासना या व्यभिचार को आमतौर पर यौन प्रकृति की इच्छाओं अथवा अत्यधिक विचारों के रूप में जाना जाता है। अरस्तू की कसौटी दूसरों के प्रति अत्यधिक प्यार था, जिस कारण ईश्वर के प्रति प्रेम और भक्ति भाव को गौण मान लिया गया। दांते के पुर्गाटोरियो में, पश्चातापी लपटों के भीतर अपने अन्दर के कामुक विचारों और भावनाओं को परिष्कृत करने के लिए चलता है। दांते की "आग" में, वासना के पाप की अक्षम्य आत्माएं जलकर अविराम तूफ़ान में उनकी आर्थिक जीवन की वासनात्मक इच्छाओं की प्रतीकात्मक हवाओं में उड़ जाती हैं।

 
"अधिक"(अल्बर्ट एंकर, 1896)

लैटिन ग्लुट्यर ' से व्युत्पन्न ''ग्लूट्नी ', जिसका अर्थ गटक जाना या निगल जाना है, ग्लूट्नी (लैटिन,[gula] Error: {{Lang}}: text has italic markup (help)) का अर्थ नष्ट होने की अंतिम सीमा तक किसी वस्तु के प्रति अतिशय-आसक्ति एवं उसका अति-उपयोग है। ईसाई धर्म में, इसे पाप समझा जाता है क्योंकि भोजन की अत्यधिक इच्छा जरूरतमंद को भोजन पाने से वंचित कर देती है।[8]

संस्कृति के आधार पर इसे या तो पाप अथवा हैसियत का प्रतीक समझा जाता है। अन्न का जहां अपेक्षाकृत अभाव है, अधिक खाने की क्षमता पाकर कईयों को गर्व बोध हो सकता है। लेकिन कुछ क्षेत्रों में जहां अन्न की प्रचुरता है, इसे अतिशय-आसक्ति की लालसा को नियंत्रित करने के लिए आत्म-संयम का प्रतीक समझा जाता है।

मध्ययुगीन चर्च के रहनुमाओं (यथा, थॉमस अकिनास) ने लालसा के प्रति व्यापक दृष्टिकोण अपनाया,[8] इस सन्दर्भ में उनका तर्क था, कि भोजन के प्रति जुनूनी प्रत्याशा एवं सुस्वाद व्यंजनों तथा महंगे भोजनों को पाने और खाने की लगातार ललक बनाए रखना शामिल है।[9] अकिनास ने लालच में फंसने के छः तरीकों की एक सूची तैयार की है, जिनमें शामिल हैं:

  • Praepropere - अति शीघ्र भोजन करना.
  • Laute - अधिक कीमती भोजन करना.
  • Nimis - बहुत अधिक भोजन करना.
  • Ardenter - अधिक चाव से खाना.
  • tudiose - अति सुरुचिपूर्वक (उत्सुकतापूर्वक) भोजन करना.
  • Forente - बेतहाशा खाना (उबाऊ तरीके से).

ग्रीड (लैटिन, [avaritia] Error: {{Lang}}: text has italic markup (help)) जिसे लोलुपता अथवा धनलोलुपता के रूप में भी जाना जाता है, कामुकता और लालसा के रूप में ही, अतिशयता का पाप समझा जाता है। हालांकि, लालच (चर्च की दृष्टि से देखने पर) बहुत ही अधिक अथवा अतिरेक इच्छा एवं सम्पति, हैसियत और ताकत के पीछे भागने पर भी लागू होता है। सेंट थॉमस अकिनास ने लिखा कि लालच "परमेश्वर के विरूद्ध किया जाने वाला पाप है, जो सभी पार्थिव पापों की तरह ही हैं और जो उतना ही अधिक होता जाता है जितना मनुष्य नश्वर वस्तुओं को पाने के लिए चिरस्थायी वस्तुओं का निरादर करता जाता है।" दांते की पुर्गेटरी में, अनुतापियों को अपने चेहरों को जमीन में गाड़ लेना पड़ता है चूंकि उनलोगों ने पार्थिव चिंताओं पर अपने ध्यान अधिक केन्द्रित किए हैं। "एवेरिस" व्यंजित शब्दावली है जो अन्य अनेक लालची प्रकृतियों का वर्णन करने में अधिक सार्थक है। इनमें विश्वासघात, इच्छाकृत बेवफाई, या देशद्रोह शामिल है, जो निजी लाभ के लिए किए जाते हैं,[उद्धरण चाहिए] उदाहरण के लिए, रिश्वत के माध्यम से किया जाने वाला पाप. कूड़ा-कर्कट बटोरना[उद्धरण चाहिए] एवं सामानों या वस्तुओं की जमाखोरी चोरी और डकैती, खासकर जो हिंसा, प्रवचना, कपट या अधिकार का दुरूपयोग, ये सभी ऐसे कर्म हैं जो लालच से प्रेरित हो सकते हैं। ऐसे कुकर्म धर्म-विक्रय के अन्दर अंतर्भुक्त किए जा सकते हैं जहां कोई चर्च के यथार्थ अन्तर्निहित सामानों का प्रलोभन देकर लाभ उठाता है।

अनासक्ति

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एसिडिया (लैटिन, [लापरवाही] Error: {{Lang}}: text has italic markup (help)) (ग्रीक ακηδία से व्युत्पन्न) किसी को जो कुछ करना या ध्यान देना चाहिए उसके प्रति लापरवाही या निरादर है। इसका अनुवाद उदासीन निरुत्साहित, आनंदहीन अवसाद किया गया है। यह विषाद के समान है, हालांकि अनासक्ति (एसिडिया) आचरण अथवा व्यवहार की व्याख्या करता है, जबकि विषाद (मेलनकॉलि) उसे उत्पन्न करने वाली भावना को अभिव्यक्त करता है। आरंभिक इसाई विचारधारा में, आनंद के अभाव को प्रभु द्वारा सृष्ट अच्छाई का आनंद उपभोग की इच्छाकृत अस्वीकृति है; इसके विरोधामास में, उदासीनता को आध्यात्मिक मनस्ताप के रूप में माना गया है जो लोगों को उनकें धार्मिक कार्यों के प्रति निरुत्साहित करता है।

जब थॉमस अकिनास ने अपनी अनुसूची को प्रतिपादित करने के लिए 'अनासक्ति की व्याख्या की तो कम पापों जैसे कि बेचैनी और अस्थिरता के पूर्वज होने के कारण उन्होंने इसे दिमागी अशांति का ही एक रूप स्वीकार किया। दांते ने इस परिभाषा को और भी परिमार्जित करते हुए एसिडिया को प्रभु के प्रति पूरे मन से लगाव में असफलता, जिसमें मन और आत्मा एक दूसरे में लीन हो जाय, के रूप में व्याख्याचित किया; उनके अनुसार यह मध्यक्रम का पाप है, जिसे प्रेमाभाव अथवा प्रेम की अनुपस्थिति के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

विषाद (डेस्पेयर) (लैटिन, [Tristitia] Error: {{Lang}}: text has italic markup (help)) असंतुष्टि अथवा अतृप्ति के अनुभव का वर्णन करता है, जो किसी की मौजूदा स्थिति के प्रति दुःख का कारण बनता है, खासकर निराशा के विचारों में अपने आप को व्यक्त कर. चूंकि पाप का आतंरिक प्रतिफलन दुःख है इसलिए पाप को कभी-कभी उदासीनता से भी सन्दर्भित किया जाता रहा है। चूंकि उदासीनता अक्सर विषाद में भी प्रतिफलित होती है इसलिए पोप ग्रेगरी की सूची के संशोधन में डेस्पेयर को अनासक्ति में ही अंतर्भुक्त कर लिया गया है।

सुस्ती (काहिली)

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धीरे-धीरे निराशा के परिणामों पर ही न कि कारणों पर बात आकर केन्द्रित हो गई और इसीलिए 17वीं सदी तक आते-आते, वास्तव में घातक पाप को किसी की प्रतिमा अथवा उपहारों को व्यवहार में न ला पाने की असफलता के रूप में माना जाने लगा. [उद्धरण चाहिए] आचरण अथवा व्यवहार में, एकेडिया की तुलना में यह (लैटिन, [Socordia] Error: {{Lang}}: text has italic markup (help)) स्लॉथ के करीब माना जाने लगा. यहां तक कि दांते के समय में भी ऐसे परिवर्तनों के लक्षण दीख रहे थे; क्योंकि उन्होंने अपनी पुर्गाटोरियो में विषाद के अनुताप स्वरूप लगातार तेज रफ़्तार में दौड़ते जाने के रूप में चित्रित किया हैं।

आधुनिक दृष्टिकोण इससे आगे आलस्य और उदासीनता को विषय वस्तु की आन्तरिकता के लिहाज से पाप ही मानता है। चूंकि इसका इच्छाकृत असफलता के साथ अधिक विरोधाभास है, उदाहरणार्थ प्रभु और उनके कार्यों से प्रेम करो, सुस्ती को कभी-कभी अन्य पापों की तुलना में कम संगीन समझा जाता है, आचरण की तुलना में अनाचरण का पाप अधिक माना जाता है।

रैथ (लैटिन, [ira] Error: {{Lang}}: text has italic markup (help)) को रोष या "आक्रोश" के रूप में भी माना जाता है जिसे घृणा और क्रोध की अनियंत्रित उत्तेजना भी मान सकते हैं। ये उत्तेजनाएं सत्य की एक दूसरे को [[आत्म-अस्वीकृति|आत्म-अस्वीकृति]] और विधि व्यवस्था के प्रति असहिष्णुता के रूप में प्रबल रूप से नकारने की प्रतिरूपी हैं तथा न्यायिक प्रणाली के कार्यक्रमों के बाहर प्रतिशोध तलाशने की चाह (जैसे कि, चौकसी में व्यस्त रखना) तथा आमतौर पर दूसरों को हानि पहुंचाने की हमेशा इच्छा रखना. प्रतिशोध की भावना से पनपे अतिक्रमण (उल्लंघन) सर्वाधिक संगीन हैं जैसे कि, हत्या, हमला, तथा चरम मामलों में नरसंहार. रोष ही एक मात्र पाप है जो अनावश्यक रूप से स्वार्थपरता अथवा खुदगर्जी संबंध है (हालांकि कोई निश्चित रूप से अपने खुद के कारणों से क्रुद्ध अथवा कुपित हो सकता है जैसे कि जलन का ईर्ष्या के पाप के साथ गंभीर रिश्ता है). दांते ने प्रतिशोध को "न्याय के प्रति प्यार प्रतिशोध और विद्वेष की विकृति ही है". यह अपने मौलिक आकार में रोष के पाप में क्रोध बाह्य की अपेक्षा आन्तरिक रूप से अधिक केन्द्रित है। अतः आत्महत्या को चरम पर त्रासद, रोष की अंतर्मुखी अभिव्यक्ति मानी गई है जो प्रभु के उपहार की अंतिम अस्वीकृति है।

लालच की ही तरह, ईर्ष्या (लैटिन, [invidia] Error: {{Lang}}: text has italic markup (help)) को भी अतृप्त इच्छा के रूप वर्गीकृत किया जा सकता है; हालांकि दो मुख्य कारणों से उनमें अंतर हैं। पहला कारण तो यह है कि लालच व्यापक रूप से भौतिक सामानों से सम्बद्ध है, जबकि ईर्ष्या का अधिक साधारण और आमतौर पर सब पर लागू होती है। दूसरा कारण है, वे जो ईर्ष्या का पाप करते हैं, वे इस बात से कुढ़ते रहते हैं कि किसी और के पास जो कुछ है उसका अभाव उनके पास क्यों है और वे दूसरों को भी इससे वंचित बने रहने देना चाहते हैं। दांते ने इसे दूसरों को उनकी वस्तुओं से वंचित बने रहने देने की इच्छा के रूप में परिभाषित किया।" दांते की पुर्गाटोरि में ईर्ष्यालु का दण्ड, उनकी आंखो की तार से सिलाई कर बंद कर देना है क्योंकि उन्होंने दूसरों को नीचा गिराकर देखते हुए पाप से भरे आनंद-उपभोग किए हैं। अकिनास ने ईर्ष्या को "दूसरों के सामानों के कारण दुखी होना" कहकर वर्णित किया है।[10]

लगभग सभी सूचियों में अहंकार (लैटिन, [superbia] Error: {{Lang}}: text has italic markup (help)) या अक्खड़पन को सात घातक पापों में मौलिक तथा सर्वाधिक गंभीर संगीन समझा जाता है और सचमुच यही चरम स्रोत है जिससे अन्य पाप उभरते हैं। इसे दूसरों से अधिक महत्वपूर्ण अथवा अधिक आकर्षक दिखने की इच्छा के रूप में रेखांकित किया गया है ऐसे लोग दूसरों के अच्छे कामों की सराहना करने में असफल होते हैं, तथा अपने आप से इतना अधिक लगाव रखते है (विशेषकर प्रभु की उचित सत्ता और महत्ता से बाहर को स्थापित करना). दांते की परिभाषा इस प्रकार थी, "स्वतः से प्यार घृणा को जन्म देता है तथा अपने पड़ोसी की अवमानना करता है।" जैकॉब बिडरमैन की मध्यकालीन चमत्कारिक नाटक सेनोडॉक्सस में अहंकार को सर्वाधिक मारात्मक और घातक पापों में से एक माना गया है जिसमें उपाधिधारी ख्यातिप्राप्त डॉक्टर को सीधे नरकवास का दण्ड दिया जाता है। शायद अधिक जाना-पहचाना उदाहरण लुसीफर की कहानी है, अहंकार (ईश्वर के साथ प्रतिस्पर्धा करने की उसकी इच्छा) ही स्वर्ग से नीचे गिरने और सेटन में परिणामी रूपांतरण कारण बना. दांते की डिवाइन कॉमेडी में अनुतापियों को पत्थर की पट्टियों को पीठ पर बांधकर चलने को बाध्य किया जाता है ताकि उनमें अवमानना की अनुमति को उत्प्रेरित किया जा सके.

वेनग्लोरी (लैटिन, [vanagloria] Error: {{Lang}}: text has italic markup (help)) बेजा शेखी (अनुचित आत्मश्लाघा) है। पोप ग्रेगरी ने इसे एक प्रकार का अहंकार माना है, इसीलिए वेनग्लोरी गुमान को पापों की अनुसूची बनाते वक्त अहंकार की श्रेणी में ही अंतर्भुक्त किया है।

लैटिन शब्दावली ग्लोरिया या आत्मश्लाखा, हालांकि इसका अंग्रेजी समानार्थी शब्द - ग्लोरी है - जिसका व्यापक तौर पर सकारात्मक अर्थ में ही व्यवहार होता रहा है; ऐतिहासिक तौर पर, वेन का मोटे तौर पर अर्थ है - फ्युटाइल अर्थात् व्यर्थ या निरर्थक, लेकिन 14वीं सदी तक असंगत परिशुद्धि को दरकिनार रखते हुए इससे सशक्त आत्मशक्ति अन्तर्निहित हो गई जो अब तक बरकरार है।[11] इन धार्मिक अर्थगत परिवर्तनों के कारण, गुमान अपने आप में बहुत ही कम प्रयुक्त होने वाला शब्द है और अब आमतौर पर (अपने आधुनिक आत्मशक्ति के अर्थ में) आत्मप्रदर्शन के शाब्दिक सन्दर्भ में प्रयुक्त होने लगा है।

कैथोलिक सद्गुण

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रोमन कैथोलिक चर्च भी सात सद्गुणों को मान्यता प्रदान करता है, सात घातक पापों में से प्रत्येक का विपरीतार्थी सादृश्यता वहन करता है:

पाप पुण्य
कामुक लालसा पातिव्रत्य
लोलुपता मिताहार
लालच दान
सुस्ती श्रम
रोष धैर्य
ईर्ष्या दया
अहंकार नम्रता

दुष्ट आत्माओं के साथ संसर्ग

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सन् 1589 में, पीटर बिन्सफेल्ड ने, प्रत्येक घातक पाप को दुष्ट आत्मा के साथ जोड़ा है, जो लोगों को पापों से कि जुड़ने के लिए लुभाते हैं। [[बिन्सफेल्ड के दुष्ट आत्माओं|बिन्सफेल्ड के दुष्ट आत्माओं]] के वर्गीकरण के अनुसार युगलबंदी निम्न प्रकार हैं:

प्रतिमान

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सन् 2009 में किए गए एक जेसुइट विद्वान के अनुसार, पुरषों द्वारा आमतौर पर लालसा को ही सर्वाधित घातक स्वीकृत पाप स्वीकृत किया गया है और नारियों द्वारा अहंकार को.[12] यह अस्पष्ट था कि ये अंतर क्या आचरण की भिन्न दरों के कारण थे, या पापों में किसे परिगणित किया जाए ऐसे दृष्टिकोणों के अंतर के कारण भी कन्फेस किया भी जाय अथवा नहीं.[13]

सांस्कृतिक सन्दर्भ

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मध्युगीन नैतिक आदर्शवादी कथाओं से लेकर आधुनिक मंगा सीरिज तथा वीडियो जेम्स तक सात घातक पाप कलाकारों और लेखकों के लिए लंबे अरसे से प्रेरणा-स्रोत रहें हैं।

एन्नीग्राम एकता

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एन्नीग्राम ऑफ़ पर्सनालिटी सात को दो अतिरिक्त "पापों" छल-कपट तथा भय के साथ एकात्म करती है। एन्नीग्राम का विवरण परंपरिक क्रिश्चयन व्याख्या की तुलना में विस्तारित है तथा व्यापक मानचित्र पर प्रस्तुत की गई हैं।[14][15]

सात घातक पापों से प्रेरित साहित्यिक रचनाएं

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  • जॉन क्लाइमेक्स (7वीं शताब्दी) में द लैडर ऑफ़ डिवाइन एक्सेंट में तीस-घापों वाली सीढ़ी के व्यक्तिगत पदक्षेपों की आठ विचारों पर विजय को प्रधानता दी गई है: रोष (8), गुमान (10,22), उदासी (13), लोलुपता (14), लालसा (15), लालच (16, 17), निराशा (18) तथा अहंकार (23).
  • दांते की (1265–1321) द डिवाइन कॉमेडी "इन्फेर्नो", "पुर्गाटोरियो" और "पैरोडिसो " की तीन खंडो वाली रचना है। "इन्फेर्नो" नरक को नौ संकेंद्रित वृतों में विभक्त है, जिनमें से चार सीधे-सीधे कुछ घातक पापों से सन्दर्भित हैं (वृत्त 2 लालसा को, 3 लोलुपता को, 4 लालच को और 5 रोष के साथ ही साथ सुस्ती को सन्दर्भित करते हैं). इन दो पापों का दण्ड स्टाइगियन झील में भुगतान पड़ता है, रोषी को झील से ऊपर दण्डित किया जाता है, उन लोगों के विभिन्न सदस्यों, जिनमें विश्दंती भी शामिल रहते हैं एक दूसरे पर हमला करते हुए.[16] सुस्त को झील के अंदर सांस लेते बुलबुलों में आहें भरते हुए दुःख भरे उदास गीत गाते हुए दण्डित किया जाता है, जैसे कि वर्जिल के द्वारा कैण्टो VII में कहा गया है।[17] बाकी बचे वृत्त सात पापों के साफ़-साफ़ मानचित्र पेश नहीं करते. "पुर्गाटोरियो" में, माउंट पुर्गाटोरी को सात स्तरों में मापा गया है और यह अकिनास के पापों की अनुसूची (अहंकार से आरंभ कर) की क्रमबद्धता का अनुकरण करता है। [उद्धरण चाहिए]
  • विलियम लैंगलैण्ड की (क्रिश्चयन एरा 1332-1386) विज़न ऑफ़ पिरेस प्लौमैन की संरचना सपनों की श्रृंखला से चारों ओर से घिरी है जो प्रभु में आस्थावान जीवन को प्रोत्साहित करने के समय समकालीन गलतियों के प्रति छिद्रान्वेषी है। पापों को निम्न अनुक्रम में रखा गया है: प्राउड (प्राइड; पासस V, 62-71 पंक्तियां), लेकॉर (लेकर्सनेस;V. 71–74), ईर्ष्या, (एनवी; V. 75–132), रोष (रैथ; V. 133–185), लोभी (लोभ; V. 186–306), लोलुप (लोलुपता; V. 307–385), सुस्त (सुस्ती; V. 386–453) (बी-टेक्स्ट का उपयोग करते हुए).[तथ्य वांछित][18]
  • जॉन गोवर की (1330-1408) कन्फेसिओं अमनटिस अमांस ("प्रेमी") के द्वारा की गई स्वीकारोक्ति को केन्द्रित कर लिखी गई है। यह स्वीकारोक्ति देवी वीनस के कुलगुरु पुरोहित चैपलेन के समक्ष की गई है। उस समय प्रचलित स्वीकारोक्ति की प्रथा का अनुसरण करते हुए कन्फेशन की संरचना सात घातक पापों से घिरी है, जबकि ये उसके मेल-जोल से पनपे प्यार के खिलाफ पापों पर प्रकाश डालता है।[19]
  • जेओफ्री चॉसर की (क्रिश्चयन एरा 1340-1400) कैंटरबरी टेल्स के द पारसन्स टेल में सात घातक पापों को विशेष रूप से दर्शाया गया है: अहंकार (अनुच्छेद 24-29) ईर्ष्या (30-31), रोष (32-54), सुस्ती (55-63), लालच (64-70), लोलुपता (71-74), लालसा (75-84).[20]
  • क्रिस्टोफर मार्लो की (1564-1593) द ट्रेजिकल हिस्ट्री ऑफ़ डॉक्टर फौस्टास में दिखाया जाता है कि लुसिफर, बील्जबब एवं मेफिस्टोफिलिस डॉक्टर फास्टस को "कुछ मनबहलाव" के तरीके दिखाने के लिए नरक से नीचे उतारकर लाते हैं (अंक II, दृश्य 2). पाप अपने आपको एक अनुक्रम में पेश करते हैं: अहंकार, लालच, ईर्ष्या, रोष, लोलुपता, सुस्ती, लालसा.[21]
  • एडमंड स्पेंसर की (1552-1599), द फेयरी क्वीन सात घातक पापों का उल्लेख "बुक I (द लीजेण्ड ऑफ़ द नाइट ऑफ़ द रेड क्रॉस होलीनेस)": मिथ्याडम्बर/अहंकार (कैंटो IV, अनुच्छेद 4-17), आलस्य/सुस्ती (IV. 18-20), लोलुपता (IV. 21-23), कामुकता/लालसा (IV. 24-26), धनलोलुपता/लालच (IV. 27-29), ईर्ष्या (IV. 30-32), रोष (IV. 33-35).[22]
  • गर्थ निक्स की "द कीज़ टू द किंगडम" सात किताबों की बच्चों की सीरिज़ है जिनमें से प्रत्येक पुस्तक की मुख्या प्रतिशोध देवी सात घातक पापों में से प्रत्येक से पीड़ित है।
  • डेल ई बासेय की सीरिज़ से आरम्भ होकर हर पुस्तक में एक घातक पाप का समावेश किया गया है।Heck: Where the Bad Kids Go

कला और संगीत

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फिल्म, टेलीविज़न, रेडियो, कॉमिक बुक्स एवं विडियो गेम्स

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  • वर्ष 1971 में सात मूक फिल्मों की एक सीरिज़ बनी, इस सीरिज़ के शीर्षक का नाम, द सेवेन डेडली सिंस रखा गया जो एनवी नाम से (1917) में शुरू होकर प्राइड (1917), ग्रीड (1917), स्लॉथ (1917), पैशन (1917), तथा रैथ (1917), तक जारी रहा एवं पर्यायवाची शीर्षक "द सेवेंथ सिंस " (1917) के साथ समाप्त हुआ। अंतिम किस्त के शीर्षक का नाम ग्ल्टानी इसलिए नहीं किया गया क्योंकि यह किसी फिल्म के नाम के लिए मौलिक रूप से आपत्ति जनक था और निर्माता ठीक समान पर्याय नहीं पा रहे थे।
  • द डेविल'स नाइट मेयर नामक फिल्म लोक कथाओं के शैतान के बारे में है जो नारी-रूप धारण कर पर्यटकों के दल को मार डालता है, जो इन सात पापों में से प्रत्येक पाप का दोषी हैं।
  • बीडैज़ल्ड (1967) नाम की फिल्म के मौलिक संस्करण (2000 में पुनःनिर्मित) में सभी सात पाप अंतर्भुक्त हैं; रैकेल वेल्श (लिलियन) लालसा के रूप में, बैरी हम्फ्रिज़ एनवी के रूप में अल्बा वैनिटी के रूप में, रॉबर्ट रस्सेल ऐंगर के रूप में पारेनेल मैक्गैरी ग्लटोनी के रूप में, डैनियल नोएल एवरिस के रूप में और हॉवर्ड गूरनी स्लॉथ के रूप में हैं।
  • फिल्म से7न में जो एंड्रयू केविन वॉकर के द्वारा लिखित, डेविड फिन्चार द्वारा निर्देशित तथा ब्रैडपिट एवं मोर्गन फ्रीमैन द्वारा अभिनीत एक रहस्यमय सीरियल हत्यारे के बारे में है जो उनके अपराधों के जारी प्रत्येक घातक पाप के उल्लंघन कर्ता को दण्डित करता हैं।
  • द मैग्निफिशीयंट सेवेन डेडली सिंस (1971) सात घातक पापों पर कॉमेडी की रूपरेखाओं की सीरिज़ को लेकर बनी है तथा वेस्टर्न क्लासिक फिल्म "द मैग्निफिशीयंट सेवेन " को सन्दर्भित करती हैं।
  • वीडियो गेम ओवरलॉर्ड में, सात नायकों को उन्हें अवश्य पराजित करना चाहिए जो सात पापों पर आधारित हैं।
  • द सेवेन डेडली सिंस (पारंपरिक तौर पर जिसे "द सेवेन डेडली एनिमिज़ ऑफ़ मैन" नाम दिया गया है) स्पस्ट रूप से पौराणिक फॉसेट/DC कॉमिक्स के सुपर हीरो कैप्टन मार्वेल को चित्रित करता है और हाल-फिलहाल डीसी कॉमिक्स प्रकाशनों में सुपर खलनायकों की भूमिका में कई बार दिखाई दिए हैं।
  • मंगा और एनिमी डिजीमॉन में, सेवेन ग्रेट डेमन लॉर्ड्स (सात महान पिशाचों) के स्वामी, जिसमें से प्रत्येक हरएक पाप का प्रतिनिधित्व करता है, प्रमुख प्रतिद्वंदी दल हैं।
  • मंगा और एनिमी के कटेक्यों हिटमैन रिबॉर्न में वेरिय का सदस्य, हरएक सात घातक पापों में से प्रत्येक के साथ मेल खाता है, लैटिन नाम, अथवा पापों के लैटिन नामों के साथ तदनुसार उनकी दुष्टात्माओं की भूमिकाएं हैं।
  • मंगा और एनिमी फुलमेटल अलकेमिस्ट में, प्रत्येक पाप का प्रयोग "होमानकुली" कहे जाने वाले ताकतवर नकली मानवों के समूह के सदस्यों के नामकरण के लिए किया गया है, प्रत्येक होमानकुली के व्यक्तित्त्व का नामकरण पुरुष अथवा नारी के व्यक्तित्व के नामों के अनुसार आरोपित हैं।
  • डेविल मे क्राई 3 वीडियो गेम में, सात घातक पापों को आम शत्रुओं के समूह द्वारा प्रतिनिधित्व प्राप्त है, साथ ही साथ सात राक्षसी घंटियां हैं। पतित स्वर्गदूत जो पापों का मनवीकरण करते हैं उन्हें भी मंगा के पूर्वभाग में विशेष रूप से प्रदर्शित किया गया हैं, जिसमें घंटी वाले टॉवर को प्रथम स्थान देकर प्रधानता दिया जाना महत्वपूर्ण हैं।
  • फिलीपींस की टीवी सीरिज़ लास्टिकमैन में प्रत्येक प्रधान खलनायक हर एक घातक पाप का प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व करता है।
  • नार्वे की टीवी शो'ज़ De syv dødssyndene (द सेवेन डेडली सिंस) में क्रिस्टोफर स्काऊ सात घातक पापों का वहन कर प्रभु के क्रोध को भड़कने की कोशिश करता है। जब स्काऊ टॉक शो सेंकवेल्ड (लेट नाईट) पर शो के बारे में बातचीत कर रहा था, उसने कहा कि, "अगर नरक में भी मुझे जगह नहीं मिली तो इसका मतलब होगा कि नरक है ही नहीं." यह कार्यक्रम सेंसरशिप के मुद्दे को लेकर एक बहुत बड़ी सार्वजनिक बहस का कारण बना.
  • मैट फ्रैक्शन की कॉमिक किताब कैसानोवा की सीरिज़ का नामकरण लक्सुरिया से आरम्भ कर प्रत्येक पाप के नामों के आधार पर किया गया है।
  • Rengoku II: The Stairway to Heavenटॉवर के आठ स्तरों के आधार पर, सात पापों के आधार पर, सात के नाम पापों के आधार पर हैं, आठवें की शुरुआत स्वर्ग से होती है।
  • वेबकॉमिक जैक में, सात पापों का मानवीकरण मानवाकारों द्वारा किया गया है। मुख्य चरित्र, जैक, रोष के पाप का प्रतिनिधित्व करता है।
  • मार्क वाटसन मेक्स द वर्ल्ड सब्सटैंशियली बेटर BBC रेडियो सीरिज़ के छः भाग पापों के साथ ठीक-ठीक मेल खाते हैं, जिसमें ग्रिड और लोलुपता को एक समान पापों के संयुक्त रूप में पेश किया गया है।
  • नाइट ऑनलाइन के बाइफ्रोस्ट ऐसे राक्षस हैं जो सात पापों के छोटे-छोटे टुकड़ों की भी बेचैनी से तलाश कर सकते हैं। ये टुकड़े अद्वितीय आइटम में बदल दिए जा सकते हैं अथवा अल्टीमा के कक्ष तक पहुंच पाने की सुगमता का लाभ उठाने के लिए एकत्र कर सकते हैं।
  • 11आइज़ में ब्लैकनाइट्स के नाम एवारिसिया, इरा, इन्विडिया, एसिडिया, गुला तथा सुपर्बिया हैं।
  • उमिनेको नो नाकु कोरो नी में, पुर्गाटोरी के सेवेन स्टेक्स के नाम पीटर बिन्स्फेल्ड के लोभ दिलाने वाले राक्षसों और प्रचार करने अथवा घातक पाप के प्रतीक सशरीरी प्रतीक रहें हैं। उनकी उम्र पुर्गाटोरियो, लूसिफर (प्राइड) के अनुक्रम का अनुशाधन करती हैं जिससे लूसिफर उम्रदराज है और एज्मोडियस (लालसा) सबसे छोटी उम्र के हैं।
  • ग्रैंड फैंटासिया में, सात दिनों के लिए सात घातक स्वामी हैं।
  • कंसास स्टेट यूनिवर्सिटी के भूगोल अनुसंधान विभाग के सहकारी थॉमस वॉट ने अपना अध्ययन प्रस्तुत किया "द स्पेशियल डिस्ट्रीब्युशन ऑफ़ द सेवेन डेडली सिंस विदीन नेवाडा". इसके अतिरिक्त, अपने देश में ही यह अध्ययन 3000 देशों को सियासित करता है और इसमें अन्योन्य क्रिया वाले पापो के मानचित्र जो पुरे संयुक्त राज्य में वितरित हैं शामिल किए गए हैं।[23]

इन्हें भी देखें

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नोट्स
  1. Boyle, Marjorie O'Rourke (1997). "Three: The Flying Serpent". Loyola's Acts: The Rhetoric of the Self. The New Historicism: Studies in Cultural Poetics,. 36. Berkeley: University of California Press. पपृ॰ 100–146. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-520-20937-4. मूल से 11 मई 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 अप्रैल 2010. नामालूम प्राचल |origdate= की उपेक्षा की गयी (|orig-year= सुझावित है) (मदद)
  2. Proverbs 6:16–19
  3. Galatians
  4. "एवाग्रियो पोंटिको, ग्ली ओट्टो स्प्रीटी माल्वागी, ट्रांस. फेलिस कॉमेल्लो, प्रैटीच एडिट्रिस, परमा, 1990, पृष्ठ 11-12. "एवाग्रियस पोंटिको, ग्ली ओट्टो स्प्रीटी माल्वागी, ट्रांस., फेलिस कॉमेल्लो, प्रैटीच एडिट्रिस, परमा, 1990, पृष्ठ 11-12.
  5. रेफौले, 1967
  6. "कैटकिज़म ऑफ़ द कैथोलिक चर्च". मूल से 26 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 अप्रैल 2010.
  7. ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी
  8. ओखोल्म, डेनिस. "Rx फॉर ग्लूटोनी Archived 2016-03-24 at the वेबैक मशीन". क्रिस्चिनिटी टुडे, खंड. 44, नॉ. 10, 11 सितम्बर 2000, पृष्ठ 62
  9. "Gluttony". Catholic Encyclopedia. मूल से 13 जून 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 अप्रैल 2010.
  10. "Summa Theologica: Treatise on The Theological Virtues (QQ[1] - 46): Question. 36 - OF ENVY (FOUR ARTICLES)". Sacred-texts.com. मूल से 3 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2010-01-02.
  11. ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी
  12. दो सेक्स 'विभिन्न तरीकों से पाप Archived 2009-12-18 at the वेबैक मशीन'
  13. "सच्चा बयान: पुरुषों और महिलाओं के अलग पाप". मूल से 2 फ़रवरी 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 अप्रैल 2010.
  14. मैत्री, द इनेअग्राम ऑफ़ पैशन्स ऐंड वर्च्यु, पीपी. 11-31
  15. रोहर, द एनेअग्राम
  16. आग देखें, कैंटो VII
  17. आग, कैंटो VII.120-128, एच.ऍफ़ करी द्वारा अनुवाद, शिष्टाचार परियोजना गटेनबर्ग
  18. http://www.hti.umich.edu/cgi/c/cme/cme-idx?type=HTML&rgn=TEI.2&byte=21030211[मृत कड़ियाँ]
  19. "Confessio Amantis, or, Tales of the Seven Deadly Sins by John Gower - Project Gutenberg". Gutenberg.org. 2008-07-03. मूल से 24 सितंबर 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2010-01-02.
  20. "The Canterbury Tales/The Parson's Prologue and Tale - Wikisource". En.wikisource.org. 2008-11-01. मूल से 3 अप्रैल 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2010-01-02.
  21. "Christopher Marlowe, The Tragedie of Doctor Faustus (B text) (ed. Hilary Binda)". Perseus.tufts.edu. मूल से 18 फ़रवरी 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2010-01-02.
  22. "संग्रहीत प्रति". मूल से 4 मार्च 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 अप्रैल 2010.
  23. By dukeofurl. "One nation, seven sins - Thursday, March 26, 2009 | 2 a.m." Las Vegas Sun. मूल से 24 मार्च 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2010-01-02.
ग्रंथ सूची
  • रेफौले, एफ (1967) इवग्रिअस पोंटीकस. अमेरिका के कैथोलिक विश्वविद्यालय के स्टाफ में (एड्स.) नई कैथोलिक विश्वकोश. खंड 5, पीपी644-645. न्यू यॉर्क: मैकग्रौवहिल.
  • शूमाकर, मेइनोल्फ़ (2005): "जर्मन मध्यकालीन साहित्य में फैलाया की कैटालोग्स ऑफ़ ड़ेमोंस सूची: 'Des Teufels Netz' और अल्रीच वॉन एटजेंबच द्वारा अलेक्जेंडर रोमांस." इन द गार्डेन ऑफ़ एविल: द विसेस ऐंड कल्चर इन द मिडल एजेस में. रिचर्ड न्यूहाउसर द्वारा संपादित, पीपी. 277-290. टोरंटो: बिशप का मध्यकालीन अध्ययन संस्थान.

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बाहरी कड़ियाँ

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