सरिय्या उयैना बिन हिस्न फ़ज़ारी

सरिय्या हज़रत उयैना बिन हिस्न फ़ज़ारी रज़ि० का सैन्य अभियान मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के आदेश पर बनू तमीम जनजाति के खिलाफ इस्लामी कैलेंडर के पहले महीने 630 जुलाई, 9 हिजरी में हुआ था।

सरिय्या हज़रत उयैना बिन हिस्न फ़ज़ारी रज़ि०
मुहम्मद की सैन्य उपलब्धियाँ का भाग
तिथि जुलाई 630, 9एएच, इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना।[1][2]
स्थान नज्द के आसपास (मध्य सऊदी अरब)
परिणाम
  • 63 पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को पकड़ लिया गया
सेनानायक
हज़रत उयैना बिन हिस्न फ़ज़ारी अनजान
शक्ति/क्षमता
50 अनजान
मृत्यु एवं हानि
अनजान 63 पर कब्जा कर लिया

((11 पुरुष, 22 महिलाएं और 30 लड़के)[3]

मुहम्मद ने बनू तमीम से कर वसूलने के लिए उयैनाह बिन हिस्न को भेजा, लेकिन उप-जनजातियों में से एक ने उयैना पर हमला किया और कर मांगने से पहले ही उसे क्षेत्र से बाहर कर दिया। मुहम्मद ने तब उनके खिलाफ 50 लड़ाके भेजे और उनके पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को पकड़ लिया। कैदियों को बाद में रिहा कर दिया गया, जब जनजाति का एक प्रतिनिधिमंडल मुहम्मद के पास क्षमा माँगने आया।

अर्रहीकुल मख़तूम में इस्लाम के विद्वान सफिउर्रहमान मुबारकपुरी लिखते हैं कि अहीकुल मख़्तू जिस तरह मुसलमान कबीलों की तरफ़ ज़कात वसूल करने के लिए ज़िम्मेदार भेजे गए, उसी तरह अरब प्रायद्वीप के आम इलाकों में अम्न व अमान कायम हो चुकने के बावजूद कुछ जगहों पर जिज़िया के लिए भी फ़ौजी मुहिमें भी भेजनी पड़ीं।

सरिय्या उयैना बिन हिस्न फ़ज़ारी (मुहर्रम सन् 09 हि०) उयैना रज़ि० को पचास सवारों की कमान दे कर बनू तमीम के पास भेजा गया था। वजह यह थी कि बनू तमीम ने कबीलों को भड़का कर जिज़िया अदा करने से रोक दिया था। इस मुहिम में कोई मुहाजिर या अंसारी न था।

उयैना बिन हिस्न रज़ि० रात को चलते और दिन को छिपते हुए आगे बढ़े, यहां तक कि मैदान में बनू तमीम पर हल्ला बोल दिया। वे लोग पीठ फेर कर भागे और उनके ग्यारह आदमी, इक्कीस औरतें और तीस बच्चे गिरफ्तार हुए जिन्हें मदीना ला कर रमला बिन्ते हारिस के मकान में ठहराया गया।

फिर इनके सिलसिले में बनू तमीम के दस सरदार आए और नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के दरवाज़े पर जा कर यूं आवाज़ लगाई, ऐ मुहम्मद सल्ललाहु अलैहि व सल्लम हमारे पास आओ। आप बाहर तशरीफ लाए तो ये लोग आपसे चिमट कर बातें करने लगे, फिर आप उनके साथ ठहरे रहे, यहां तक कि जुहर की नमाज़ पढ़ाई। इसके बाद मस्जिदे नबवी के आंगन में बैठ गए। उन्होंने गर्व और अभिमान में मुकाबले की ख़्वाहिश जाहिर की और अपने वक्ता उतारिद बिन हाजिब को पेश किया। उसने भाषण दिया। अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने ख़तीबे इस्लाम (इस्लाम के वक्ता) हज़रत साबित बिन क़ैस बिन शमास को हुक्म 'दिया और उन्होंने जवाबी तक़ीर (भाषण) की। इसके बाद उन्होंने अपने कवि जबरकान बिन बद्र को आगे बढ़ाया और उसने कुछ गर्व भरे पद्य कहे। इसका जवाब इस्लामी शायर (कवि) हस्सान बिन साबित रज़ि० ने दिया ।

जब दोनों वक्ता और दोनों कवि अपना काम कर चुके तो अक़रअ बिन हाबिस ने कहा, इनका वक्ता हमारे वक्ता से ज़्यादा ज़ोरदार और इनका कवि हमारे कवि से ज़्यादा ज़ोरदार है। इनकी आवाज़ें हमारी आवाज़ों से ज़्यादा ऊंची हैं और इन की बातें हमारी बातों से ज़्यादा ऊंची हैं। इसके बाद इन लोगों ने इस्लाम कुबूल कर लिया। अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इन्हें अच्छे उपहार दिए और इनकी औरतें और बच्चे इन्हें वापस कर दिए।

अहले मग़ाज़ी का ब्यान यही है कि यह घटना मुहरंम 9 हिजरी में घटी। लेकिन यह बात समझ में नहीं आती क्योंकि घटनाक्रम से मालूम होता है कि अकरअ बिन हाविस इससे पहले मुलमान नहीं हुए थे। जबकि खुद सीरत लिखने का कहना है कि जब रसूल (सल्ल०) ने बनू हवाज़िन के कैदियों का वापस करने के लिए कहा तो इसी अकर बिन हाबिस ने कहा कि मैं और बनू तनीम वापिस नहीं करेंगे इसका मतलब यह हुआ कि अरअ निम्न हाबिस इस मुहर्रम 9 हिजरी वाली घटना से पहले मुसलमान हो चुके थे।[4]

सराया और ग़ज़वात

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इस्लामी शब्दावली में अरबी शब्द ग़ज़वा [5] इस्लाम के पैग़ंबर के उन अभियानों को कहते हैं जिन मुहिम या लड़ाईयों में उन्होंने शरीक होकर नेतृत्व किया,इसका बहुवचन है गज़वात, जिन मुहिम में किसी सहाबा को ज़िम्मेदार बनाकर भेजा और स्वयं नेतृत्व करते रहे उन अभियानों को सरियाह(सरिय्या) या सिरया कहते हैं, इसका बहुवचन सराया है।[6] [7]

इन्हें भी देखें

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  1. Hawarey, Mosab (2010). The Journey of Prophecy; Days of Peace and War (Arabic). Islamic Book Trust. मूल से 22 मार्च 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 जनवरी 2023.Note: Book contains a list of battles of Muhammad in Arabic, English translation available here
  2. Abu Khalil, Shawqi (1 March 2004). Atlas of the Prophet's biography: places, nations, landmarks. Dar-us-Salam. पृ॰ 228. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-9960-897-71-4.
  3. Rahman al-Mubarakpuri, Saifur (2005), The Sealed Nectar, Darussalam Publications, पृ॰ 269
  4. सफिउर्रहमान मुबारकपुरी, पुस्तक अर्रहीकुल मख़तूम (सीरत नबवी ). "सरिय्या उयैना बिन हिस्न फज़ारी ( मुहर्रम सन् 09 हि०)". पृ॰ 867. अभिगमन तिथि 13 दिसम्बर 2022.
  5. Ghazwa https://en.wiktionary.org/wiki/ghazwa
  6. siryah https://en.wiktionary.org/wiki/siryah#English
  7. ग़ज़वात और सराया की तफसील, पुस्तक: मर्दाने अरब, पृष्ट ६२] https://archive.org/details/mardane-arab-hindi-volume-no.-1/page/n32/mode/1up

बाहरी कड़ियाँ

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