शृंखला की कड़ियाँ

(शृंखला की कड़ियां से अनुप्रेषित)

शृंखला की कड़ियाँ महादेवी वर्मा के समस्या मूलक निबंधों का संग्रह है। स्त्री-विमर्श इनमें प्रमुख हैं। डॉ॰ हृदय नारायण उपाध्याय के शब्दों में, "आज स्त्री-विमर्श की चर्चा हर ओर सुनाई पड़ रही है। महादेवी ने इसके लिए पृष्ठभूमि बहुत पहले तैयार कर दी थी। सन्‌ १९४२ में प्रकाशित उनकी कृति शृंखला की कड़ियाँ सही अर्थों में स्त्री-विमर्श की प्रस्तावना है, जिसमें तत्कालीन सामाजिक परिस्थितियों में नारी की दशा, दिशा एवं संघर्षों पर महादेवी ने अपनी लेखनी चलायी है।"[1] इसमें ऐसे निबंध संकलिक किये गये हैं जिनमें भारतीय नारी की विषम परिस्थिति को अनेक दृष्टि-बिन्दुओं से देखने का प्रयास किया गया है।[2] युद्ध और नारी नामक लेख में उन्होंने युद्ध स्त्री और पुरुष के मनोविज्ञान पर गंभीर, वैश्विक और मौलिक चिंतन व्यक्त किया है। इसी प्रकार नारीत्व और अभिशाप में वे पौराणिक प्रसंगों का विवरण देते हुए आधुनिक नारी के शक्तिहीन होने के कारणों की विवेचना करती हैं।[3]

शृंखला की कड़ियाँ  

मुखपृष्ठ
लेखक महादेवी वर्मा
देश भारत
भाषा हिंदी
विषय गद्य साहित्य
प्रकाशक राधाकृष्ण प्रकाशन
प्रकाशन तिथि 1942
आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ HB-01889


अंग्रेज़ी अनुवाद का मुखपृष्ठ

पुस्तक से कुछ पंक्तियाँ- ‘‘भारतीय नारी जिस दिन अपने सम्पूर्ण प्राण-आवेग से जाग सके, उस दिन उसकी गति रोकना किसी के लिए सम्भव नहीं। उसके अधिकारों के सम्बन्ध में यह सत्य है कि वे भिक्षावृत्ति से न मिले हैं, न मिलेंगे, क्योंकि उनकी स्थिति आदान-प्रदान योग्य वस्तुओं से भिन्न है। समाज में व्यक्ति का सहयोग और विकास की दिशा में उसका उपयोग ही उसके अधिकार निश्चित करता रहता है। किन्तु अधिकार के इच्छुक व्यक्ति को अधिकारी भी होना चाहिए। सामान्यतः भारतीय नारी में इसी विशेषता का अभाव मिलेगा। कहीं उसमें साधारण दयनीयता और कहीं असाधारण विद्रोह है, परंतु संतुलन से उसका जीवन परिचित नहीं।..."[4]



सोहनी नीरा कुकरेजा द्वारा इसका अंग्रेज़ी अनुवाद लिंक्स इन द चेन नाम से किया गया है।[5]


  1. "महादेवी वर्मा: दिव्य अनुभूतियों की निर्धूम दीपशिखा". साहित्य कुंज. मूल (एचटीएम) से 8 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 जुलाई 2007. |access-date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  2. "शृंखला की कड़ियाँ". पुस्तक डॉट ऑर्ग. मूल (पीएचपी) से 27 सितंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 जुलाई 2007. |access-date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  3. "गद्यकार महादेवी वर्मा और नारी विमर्श". साहित्यकुंज. मूल (एचटीएम) से 11 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 जुलाई 2007. |access-date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  4. वर्मा, महादेवी. शृंखला की कड़ियाँ. नई दिल्ली, भारत: राधाकृष्ण प्रकाशन. HB-01889. पाठ "editor: " की उपेक्षा की गयी (मदद); |access-date= दिए जाने पर |url= भी दिया जाना चाहिए (मदद)
  5. "लिंक्स इन द चेन" (एएसपी) (अंग्रेज़ी में). गो बुक्श शॉपिंग. मूल से 26 जुलाई 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 जुलाई 2007. |access-date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)