शुमोना सिन्हा

फ्रेंच-भारतीय लेखक

शुमोना सिन्हा (बांग्ला: সুমনা সিনহা), भारत के पश्चिम बंगाल से फ्रांसीसी लेखिका है, जो पेरिस में रहती है।[1]फ्रांस की शरण प्रणाली पर लिखित उनकी कठोर लेकिन बहुस्तरीय काव्य साहित्यिक ने उन्हें रातोंरात में प्रसिद्ध कर दिया हैं।[2]

शुमोना सिन्हा

शुमोना सिन्हा ने फ्रांसीसी मीडिया के लिए अपने साक्षात्कार में अपनी मातृभूमि को न तो भारत बताया है और न ही फ्रांस, बल्कि उनहोंने फ्रांसीसी भाषा को अपनी मातृभूमि बताया है।

१९९० में, शुमोना को बंगाली भाषा का सर्वश्रेष्ठ युवा कवि का पुरस्कार मिला और वह २००१ में पेरिस चले गईं। उन्होंने सोरबोन विश्वविद्यालय से फ्रेंच भाषा और साहित्य में एम-फिल किया हैं। २००८ में उन्होंने अपना पहला उपन्यास फेन्तेरे सुर लबामे प्रकाशित किया। उन्होंने अपने पूर्व पति, लेखक लियोनेल रे के साथ मिलकर बंगाली और फ्रांसीसी कविता की कई रचनाओं का अनुवाद और प्रकाशन किया है।[3]


२०११ में, उनका दूसरा उपन्यास, असोमोंस लेस पॉवर्स!, एडिशन डी एल'ओलिवर में प्रकाशित हुआ था और आलोचकों द्वारा प्रशंसित किया गया था। उसे प्रिक्स वैलेरी-लारबॉड २०१२, प्रिक्स पोपुलिस्ट २०११ में, इंटरनेशनलर लिटरेटोपरिसिस एचकेडब्ल्यू (२०१६) मिला। वह प्रिक्स रेनडॉट की शॉर्ट लिस्ट में था। इसका टाइटल चार्ल्स बौडेलेर असोमोंस लेस पोव्रेस के गद्य में शीर्षक चरित्र से प्रेरित था। इस उपन्यास का केंद्रीय चरित्र/ वर्णनकर्ता, खुद सिन्हा से समानता रखता है। वह अपने साथी लोगों के दुख का कर रहा था और एक बेहतर जीवन के लिए यूरोप में पलायन कर जाता है।

जनवरी २०१४ में प्रकाशित अपने तीसरे उपन्यास कलकत्ता में, शुमोना सिन्हा ने पश्चिम बंगाल के हिंसक राजनीतिक इतिहास का वर्णन करने के लिए एक बंगाली परिवार का चित्रांकन किया। इसने ग्रांड प्रिक्स डु रोमन डी ला सोसाइटी देस डेन्स डे लेट्रेस और प्रिक्स डू द्वारा पुरस्कृत किया गया। रेऑनमेंट डे ला लैंगुए एट डी ला लिट्रेचर फ्रैकेइस डे एल'आकडेमी डेसिसे।


उनका चौथा उपन्यास "अपात्राइड"/स्टेटलेस, जो जनवरी २०१७ में प्रकाशित हुआ, दो बंगाली महिलाओं का पैरलल चित्रांकन है। एक कलकत्ता के पास एक गाँव की रहने वाली है जो किसान विद्रोह और अपने चचेरे भाई के साथ रोमांटिक दुराचार में फंस जाती है। इससे उसका नाश हो जाता है। दूसरी पेरिस में रहने वाली हैं जहां चार्ली हेब्दो हमले के बाद समाज में नस्लवाद की प्रबलता है।[4]

शुमोना सिन्हा की पुस्तकों को जर्मन, इतालवी, हंगेरियन और अरब भाषा में अनुवाद किया गया है। उनकी पुस्तक "कलकत्ता" का अंग्रेजी अनुवाद एसएसपी, दिल्ली, दवारा नवंबर २०१९ में प्रकाशित किया गया था।[5]


  • फेनट्रे सुर ल'बेम; २००८, संस्करण डी ला डिफरेंस
  • असमोन्स लेस पोवेरेस, २०११, संस्करण डी ला डिफरेंस
  • कलकत्ता, २०१४; संस्करण डी ला डिफरेंस
  • एपेट्राइड, २०१७; संस्करण डी ला डिफरेंस


पुरस्कार

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  • २०१२: प्रिक्स वालेरी-लारबौड
  • २०११: प्रिक्स यूजेन डाबिट डू रोमन पॉपुलिस्ट
  • २०१४: ग्रैंड प्रिक्स डु रोमन डे ला सोशिएट देस जेन डे लेट्रेस
  • २०१४: प्रिक्स डू रेओनेमेंट डे ला लेंग्यू एट डी ला लिट्रेचर फ्रैंकेइस डे ल'आडेमी फ्रैंकेइस
  • २०१६: अंतर्राष्ट्रीय साहित्यकार


  1. "Shumona Sinha et la trahison de soi" (in French). Le Monde. Retrieved 30 July 2016.
  2. Shumona Sinha im Gespräch «Im Text gibt es keine Kompromisse». nzz.ch. Accessed 30 July 2016 (German)
  3. Biography. babelio.com. Accessed 30 July 2016
  4. "Le prix Larbaud remis à Shumona Sinha" (in French). L'EXPRESS. 12 June 2012. Retrieved 15 December 2013.
  5. "Shumona Sinha / Maison des écrivains et de la littérature". www.m-e-l.fr. Retrieved 25 May 2019.