शिवमंगल सिंह 'सुमन'
शिवमंगल सिंह 'सुमन' (1915-2002) एक प्रसिद्ध हिंदी कवि और शिक्षाविद थे। उनकी मृत्यु के बाद, भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री ने कहा, "डॉ. शिव मंगल सिंह 'सुमन' केवल हिंदी कविता के क्षेत्र में एक शक्तिशाली चिह्न ही नहीं थे, बल्कि वह अपने समय की सामूहिक चेतना के संरक्षक भी थे। उन्होंने न केवल अपनी भावनाओं का दर्द व्यक्त किया, बल्कि युग के मुद्दों पर भी निर्भीक रचनात्मक टिप्पणी भी की थी।"[1]
शिव मंगल सिंह 'सुमन' | |
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जन्म | 5 अगस्त 1915 झगरपुर उन्नाव जिला , उत्तर प्रदेश , भारत |
मौत | 27 नवम्बर 2002 उज्जैन , मध्य प्रदेश , भारत | (उम्र 87 वर्ष)
पेशा | कवि, शिक्षाविद |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
उल्लेखनीय कामs | मिट्टी की बरात , हिल्लोल , जीवन के गान |
खिताब | 1974: साहित्य अकादमी पुरस्कार 1999: पद्म भूषण 1974: पद्म श्री 1958: देवा पुरस्कार 1974: सोवियत भूमि नेहरू पुरस्कार 1993:शिखर सम्मान 1993:भारत भारती पुरस्कार |
रिश्तेदार | अविनाश सिंह चौहान (प्रपौत्र) |
जीवनी
संपादित करेंशिवमंगल सिंह 'सुमन' का जन्म 5 अगस्त 1915 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के झगरपुर में हुआ था। वे रीवा, ग्वालियर आदि स्थानों मे रहकर आरम्भिक शिक्षा प्राप्त की है | एक अग्रणी हिंदी लेखक और कवि थे। उन्होंने एक एम ए और पी एच.डी. अर्जित किया। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से हिंदी में उन्हें 1950 में डी. लिट. के साथ भी सम्मानित किया गया।
सुमन ने 1968-78 के दौरान विक्रम विश्वविद्यालय (उज्जैन) के कुलपति के रूप में काम किया; उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ के उपराज्यपाल ; 1956-61 के दौरान प्रेस और सांस्कृतिक अटैच, भारतीय दूतावास, काठमांडू (नेपाल); और 1977-78 के दौरान अध्यक्ष, भारतीय विश्वविद्यालय संघ (नई दिल्ली) रहे। वह कालिदास अकादमी, उज्जैन के कार्यकारी अध्यक्ष थे। 27 नवंबर 2002 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। [2][3]
रचनाएं
संपादित करेंकविता संग्रह
संपादित करें- हिल्लोल -(1939)
- जीवन के गान -(1942)
- युग का मोल -(1945)
- प्रलय सृजन -(1950)
- विश्वास बढ़ता ही गया -(1948)
- विध्य हिमालय -(1960)
- मिट्टी की बारात -(1972)
- वाणी की व्यथा -(1980)
- कटे अँगूठों की वंदनवारें -(1991)
उल्लेखनीय कविताएँ
संपादित करें- सांसों का हिसाब......
- चलना हमारा काम है......
- मैं नहीं आया तुम्हारे द्वार......
- असमंजस......
- पतवार......
- सूनी साँझ......
- विवशता......
- मैं बढ़ा ही जा रहा हूँ......
- आभार......
- पर आँखें नहीं भरीं......
- मृत्तिका दीप......
- जल रहे हैं दीप, जलती है जवानी...... / भाग १
- जल रहे हैं दीप, जलती है जवानी...... / भाग २
- जल रहे हैं दीप, जलती है जवानी...... / भाग ३
- बात की बात......
- हम पंछी उन्मुक्त गगन के......
- वरदान माँगूँगा नहीं......
- तूफानों की ओर घुमा दो नाविक......
- मेरा देश जल रहा, कोई नहीं बुझानेवाला.....
- सहमते स्वर-1......
- सहमते स्वर-2......
- सहमते स्वर-3......
- सहमते स्वर-4......
- सहमते स्वर-5......
- अंगारे और धुआँ......
- मैं अकेला और पानी बरसता है......
- चल रही उसकी कुदाली......
- मिट्टी की महिमा......
- रणभेरी...
गद्य रचनाएँ
संपादित करें- महादेवी की काव्य साधना
- गीति काव्य: उद्यम और विकास
नाटक
संपादित करेंसम्मान
संपादित करें- पद्मश्री - 1974 [4]
- पद्मभूषण - 1999 [4]
- देव पुरस्कार - 1958
- सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार - 1974
- साहित्य अकादमी पुरस्कार - 1974 'मिट्टी की बरात' के लिए [5]
- शिखर सम्मान - एम.पी. से 1993
- सरकार भारत भारती पुरस्कार - 1993
- डी॰ लिट्॰ भागलपुर विश्वविद्यालय - 1973 [6][6]
- डी॰ लिट्॰ जबलपुर विश्वविद्यालय - 1983 [6]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Prime Minister's Office Archived 2016-03-03 at the वेबैक मशीन, 7 November 2002.
- ↑ Biography and Works Archived 2017-04-22 at the वेबैक मशीन www.anubhuti-hindi.org.
- ↑ Shiv Mangal Singh 'Suman' Archived 2012-10-20 at the वेबैक मशीन द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया, 27 November 2002.
- ↑ अ आ "Padma Awards" (PDF). Ministry of Home Affairs, Government of India. 2015. मूल से 15 नवंबर 2014 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 21 July 2015.
- ↑ "Sahitya Akademi Citation". मूल से 3 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 मार्च 2017.
- ↑ अ आ इ Shivmangal Singh Suman Profile Archived 2013-10-16 at the वेबैक मशीन Unnao district Official website.
पद्य कृतियाँ- हिल्लोल । जीवन के गान । प्रलय-सृजन । विश्वास बढ़ता ही गया । पर आँखें नहीं भरीं । विंध्य हिमालय । मिट्टी की बारात।
गद्य कृतियाँ- महादेवी की काव्य साधना । नाटक- प्रकृति पुरुष कालिदास
- 5 अगस्त 1999 - गोलेन्द्र पटेल, हिन्दी व भोजपुरी साहित्य की नई पीढ़ी के प्रमुख स्तम्भों में से एक एवं कवि