शकुन्तला (मेनका पुत्री)
शकुंतला की कथा महाभारत के आदिपर्व में मिलती है।[1] शकुन्तला ऋषि विश्वामित्र तथा स्वर्ग की अप्सरा, मेनका की पुत्री थी। देवराज इंद्र ने तपस्यारत महर्षि विश्वामित्र की तपस्या को भंग करने के लिये अप्सरा मेनका को भेजा। मेनका ने अपनी सुंदरता से विश्वामित्र को मोहित करके फिर उनसे शारीरिक संबंध बनाए। मेनका गर्भवती हुई और एक कन्या को जनम दिया। मेनका ने उसे जन्म होते ही त्याग दिया था। कण्व ऋषि ने उसे पड़ा हुए पाया और पुत्री के रूप में उसका लालन-पालन किया। एक दिन राजा दुश्यंत शिकार करते हुए वन में साथियों से बिछड् गये। वहाँ भटकते समय उन्होंने शकुंतला को देखा। मोहित होकर उससे गान्धर्वविवाह किया और उसके साथ आश्रम मे सहवास करके यह वचन देकर लौट गये कि राजधानी में पहुँच कर उसे बुलवा लेंगे। इस सहवास से शकुंतला गर्भवती हो गई थी। बाद में जब गर्भवती शकुन्तला दुश्यंत के दरबार में गयी, तो राजा ने उसे नहीं पहचाना। क्योंकि दुर्वासा मुनि के शाप के कारण राजा दुश्यंत की दी हुई अँगूठी खो जाने से दुश्यंत शकुंतला को भूल गए थे। शकुंतला निराश होकर राजमहल के बाहर निकली। उस समय उसकी माँ मेनका उसे उठा ले गई और कश्यप ऋषि के आश्रय में उनके आश्रम में रखा जहाँ शकुन्तला ने एक पुत्र को जन्म दिया। कुछ दिनों के बाद एक मछुआरा मछली के पेट से मिली अँगूठी राजा को भेंट करने आया। इस अँगूठी को देखते ही दुश्यन्त को शकुन्तला की याद आई। इसके बाद दुश्यन्त ने शकुन्तला का ढूँढना शुरू किया और पुत्र सहित उसे सम्मानपूर्वक राजमहल ले आए। इसके बाद शकुंतला और दुश्यन्त सुख—पूर्वक जीवन बिताने लगे।
कहा जाता है कि उनके पुत्र भरत के ही नाम पर दक्षिण एशिया के सबसे बडे देश का नाम भारत कहलाया जाता है। भरत के वंश में ही पाण्डव और कौरवों ने जन्म लिया तथा उनके ही बीच महाभारत नामक विश्वविख्यात संग्राम हुआ।[2]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "महाभारत आदिपर्व" (पीएचपी). अगुडप्लेसफॉरऑल.कॉम. मूल से 24 जुलाई 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जुलाई 2008.
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) - ↑ "शकुन्तला". भारतीय साहित्य संग्रह. [9279071535http://pustak.org/bs/home.php?bookid=2982 मूल] जाँचें
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मान (मदद) (पीएचपी) से 21 जून 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 जुलाई 2008.|access-date=
में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)