वैज्ञानिक सोच जीवन का एक तरीका है (इस संदर्भ में सोच और अभिनय की एक व्यक्तिगत और सामाजिक प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया गया है) जो वैज्ञानिक पद्धति का उपयोग करता है और जिसके परिणामस्वरूप, पूछताछ, भौतिक वास्तविकता का अवलोकन, परीक्षण, परिकल्पना, विश्लेषण, और संचार शामिल हो सकता है।[1] "वैज्ञानिक स्वभाव" एक दृष्टिकोण का वर्णन करता है जिसमें तर्क का अनुप्रयोग शामिल होता है। चर्चा, तर्क और विश्लेषण वैज्ञानिक स्वभाव के महत्वपूर्ण अंग हैं। निष्पक्षता, समानता और लोकतंत्र के तत्त्व इसमें निर्मित हैं। [१] भारत के प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू 1946 में इस वाक्यांश का उपयोग करने वाले पहले व्यक्ति थे।[2]

भारतीय संविधान की धारा 51-ए (एच)

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भारतीय संविधान की धारा 51-ए(एच) के मुताबिक़ 'वैज्ञानिक प्रवृत्ति, मानवता और सवाल व सुधार की भावना का विकास करना' हर नागरिक का दायित्व है। लेकिन, देश के प्रतिष्ठित व्यक्ति अपने बयानों और कामों के जरिए इस सिद्धांत का उल्लंघन कर रहे हैं। ऐसा करना न सिर्फ़ दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि देश के लिए नुक़सानदेह भी है।[3]


इन्हें भी देखें

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  1. "नज़रिया: विज्ञान और वैज्ञानिक सोच पर हमला कर रहे हैं सरकार में बैठे लोग". मूल से 10 सितंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 जून 2020.
  2. Hoodbhoy, Pervez (21 April 2018). "What India owes to Nehru". DAWN.COM. मूल से 22 मई 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 जून 2020.
  3. https://pib.gov.in/newsite/hindifeature.aspx?relid=27294

बाहरी कड़ियाँ

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