वाक्यपञ्चाङ्ग
वाक्यपञ्चाङ्ग तमिलभाषी लोगों में प्रचलित एक पञ्चाङ्ग है। इसके अलावा तिरुगणितपञ्चाङ्ग नामक एक अन्य पंचांग भी तमिल लोगों में बहुत प्रचलित है। वाक्यपंचांग, सूर्यसिद्धान्त एवं इसी प्रकार के अन्य सिद्धान्त ग्रन्थों के खगोलीय आंकड़ों एवं गणना पद्धति पर आधृत है। यह वाक्यकरण को अपने मूल स्रोत के रूप में प्रयोग करता है जिसके रचनकार ज्ञात नहीं हैं। दूसरी तरफ, तिरुगणित-पंचांग खगोलीय प्राचलों (पैरामीटरों) के आधुनिक मान पर आधारित है जो आधुनिक सूत्रों और गणना-विधियों का उपयोग करता है। इसका प्रचलन चिन्तामणि रघुनाथ चार्य (1822 – 5 फरवरी 1880) ने किया था जो मद्रास वेधशाला से जुड़े एक भारतीय खलोलशास्त्री थे।[1][2]
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- Vakya Karana With Laghu Parkasika of Sundara Raja (सम्पादक -Kuppanna Sastri T. S. Sarma और K. V.bySanjana Chacko)
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Venkateswaran T. V. "Chinthamani Ragoonathachary and Secularization of Time During the Late Nineteenth Century Madras Presidency" (PDF). Proceeding No 521 of March 26, 1878, Fr St George. अभिगमन तिथि 30 May 2013.
- ↑ B. S. Shylaja (10 May 2009). "Chintamani Ragoonathachari and Contemporary Indian Astronomy". Current Science. 96 (9): 1273. अभिगमन तिथि 18 February 2016.