लोकनायक जयप्रकाश नारायण राष्ट्रीय अपराधशास्त्र एवं विधि-विज्ञान संस्थान, नयी दिल्ली
भारत के आपराधिक न्याय प्रशासन की मूल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपराध शास्त्र एवं विधि विज्ञान के क्षेत्र में शिक्षण, प्रशिक्षण, अनुसंधान एवं परामर्श हेतु व्यापक सुविधा के रूप में जनवरी 1971 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण राष्ट्रीय अपराधशास्त्र एवं विधि-विज्ञान संस्थान (लोनाजना राअविविसं), नयी दिल्ली की स्थापना की गई थी। यह संस्थान भारत सरकार, गृह मंत्रालय के एक संबद्ध कार्यालय के रूप में कार्य करता है।
प्रारंभ में इस संस्थान की स्थापना अपराध शास्त्र एवं विधि विज्ञान के क्षेत्र में शिक्षण, अनुसंधान तथा परामर्श प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी। बाद के वर्षों में यह संस्थान प्रगति के पथ पर अग्रसर रहा। न्यायतंत्र, पुलिस, सुधार सेवाओं, अभियोजन, चिकित्सा अधिकारी तथा रक्षा एवं सार्वजनिक प्रतिष्ठानों के अधिकारियों के साथ-साथ राज्य तथा केन्द्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं के वैज्ञानिक 30,000 से अधिक संख्या में अब तक इस संस्थान में प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं।
संस्थान की विशेषताएं
संपादित करें- एक ही स्थान पर अपराध शास्त्र एवं विधि विज्ञान दोनों विषयों में प्रशिक्षण, शिक्षण तथा अनुसंधान के लिए व्यापक सुविधाएं उपलब्ध कराने वाला यह एक मात्र संस्थान है।
- आपराधिक न्याय तंत्र से जुड़े सभी वर्गों के कार्यकर्ताओं के लिए मिले-जुले समूहों में प्रशिक्षण कार्यक्रम के आयोजनार्थ अपराध शास्त्र एवं विधि विज्ञान, दोनों विषयों में प्रशिक्षण, शिक्षण एवं अनुसंधान के लिए व्यापक सुविधाएं मुहैया कराने वाला यह एक मात्र संस्थान है।
- यही एक नोडल संस्थान है जहाँ देश में कार्यकारी विधि वैज्ञानिकों के लिए औपचारिक प्रशिक्षण का प्रबंध है।
- केवल इसी संस्थान द्वारा, कार्यकारी विधि वैज्ञानिकों को आवश्यकता आधारित पेशेवर शिक्षा पाठ्यक्रम पूरा करने के उपरांत डिप्लोमा एवं प्रमाणपत्र प्रदान किए जाते हैं।
- यह संस्थान देश के कई विश्व विद्यालयों द्वारा डॉक्टरेट एवं डॉक्टरेट डिग्री प्राप्त करनें के बाद किए गए अकादमिक कार्य से संबंधित अनुसंधानकर्ताओं के लिए अनुसंधान केन्द्र के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- यह संस्थान आपराधिक न्याय प्रक्रिया से संबंधित सभी क्षेत्रों के शिक्षक एवं वैज्ञानिकों के बीच निरंतर, उद्देश्यपूर्ण आपसी संवाद बनाए रखता है।