थोमस बैबिंगटन मैकाले
थॉमस बैबिङ्टन मकौले (अंग्रेज़ी: Thomas Babington Macaulay)(२५ अक्टूबर १८०० - २८ दिसम्बर १८५९) वह एक ब्रिटिश इतिहासकार और विग राजनेता थे,जिन्होंने 1839 और 1841 के बीच युद्ध में सचिव के रूप में और 1846 और 1848 के बीच पेमास्टर-जनरल के रूप में कार्य किया।
थॉमस बैबिङ्टन मकौले | |
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आँत्वान क्लोदे द्वारा मकौले का फोटोग्राव्युर |
मकौले का द हिस्ट्री अव इंग्लैंड, जिसने पश्चिमी यूरोपीय संस्कृति की श्रेष्ठता और इसके सामाजिक-राजनैतिक प्रगति की अनिवार्यता के अपने तर्क को व्यक्त किया, विग इतिहास का एक प्रमुख उदाहरण है जिसे अपनी गद्य शैली के लिए सराहा जाता है।[1]
जीवनी
संपादित करेंजन्म, २५ अक्टूबर १८०० रोथले टैंपिल (लैस्टरशिर) में हुआ। पिता, जकारी मैकॉले, व्यापारी था। इसकी शिक्षा केंब्रिज के पास एक निजी विद्यालय में, फिर एक सुयोग्य पादरी के घर, तदनंतर ट्रिनिटी कालेज कैंब्रिज में हुई। १८२६ में वकालत शुरू की। इसी समय अपने विद्वत्ता और विचारपूर्ण लेखों द्वारा लंदन के शिष्ट तथा विज्ञ मंडल में पैठ पा गया।
१८३० में लॉर्ड लेंसडाउन के सौजन्य से पार्लियामेंट में स्थान मिला। १८३२ के रिफॉर्म बिल के अवसर पर की हुई इसकी प्रभावशाली वक्ताओं ने तत्कालीन राजनीतिज्ञों की अग्रिम पंक्ति कें इसे स्थान दिया। १८३३ से १८५६ तक कुछ समय छोड़कर, इसने लीड्स तथा एडिनगबर्ग का पार्लिमेंट में क्रमश: प्रतिनिधित्व किया। १८५७ में यह हाउस ऑव लॉर्ड्स का सदस्य बनाया गया। पार्लिमेंट में कुछ समय तक इसने ईस्ट इंडिया कंपनी संबंधी बोर्ड ऑव कंट्रोल के सचिव, तब पेमास्टर जनरल और तदनंतर सैक्रेटरी ऑव दी फोर्सेज के पद पर काम किया।
१८३४ से १८३८ तक मैकॉले भारत की सुप्रीम काउंसिल में लॉ मेंबर तथा लॉ कमिशन का प्रधान रहा। प्रसिद्ध दंडविधान ग्रंथ "दी इंडियन पीनल कोड" की पांडुलिपि इसी ने तैयार की थी। अंग्रेजी को भारत की सरकारी भाषा तथा शिक्षा का माध्यम और यूरोपीय साहित्य, दर्शन तथा विज्ञान को भारतीय शिक्षा का लक्ष्य बनाने में इसका बड़ा हाथ था।
साहित्य के क्षेत्र में भी मैकॉले ने महत्वपूर्ण काम किया। इसने अनेक ऐतिहासिक और राजनीतिक निबंध तथा कविताएँ लिखी हैं। इसके क्लाइव, हेÏस्टग्स, मिरावो, मैकिआवली के लेख तथा "लेज ऑव एंशेंट रोम" तथा "आरमैडा" की कविताएँ अब तक बड़े चाव से पढ़ी जाती हैं। इसकी प्रमुख कृति "हिस्ट्री ऑव इंग्लैंड" है, जो इसने बड़े परिश्रम और खोज के साथ लिखी थी और जो अधूरी होते हुए भी एक अनुपम ग्रंथ है।
मैकॉले बड़ा विद्वान्, मेघावी और वाक्चतुर था। इसके विचार उदार, बुद्धि प्रखर, स्मरणशक्ति विलक्षण और चरित्र उज्वल था। २८ दिसम्बर १८५९ को इसका देहांत हो गया।
कृतियाँ
संपादित करें- Lays of Ancient Rome
- The History of England from the Accession of James II, 5 vols. (1848) [1], [2], [3], [4], [5]
- Critical and Historical Essays, 2 vols., edited by Alexander James Grieve. [6],[7]
- The Miscellaneous Writings and Speeches of Lord Macaulay, 4 vols. [8], [9], [10], [11]
- MachiavelliMachiavelli
- The Letters of Thomas Babington Macaulay, 6 vols., edited by Thomas Pinney.
- Macaulay index entry at Poets' Corner
- Lays of Ancient Rome (Complete) at Poets' Corner with an introduction by Bob Blair
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- .......और काम कर गयी मैकाले की धमकी
- Thomas Macaulay, "Lord Clive," Edinburgh Review, January 1840.
- Thomas Macaulay, "Warren Hastings." Edinburgh Review, October, 1841.
- Macaulay on Copyright
- Lord Macaulay's Habit of Exaggeration
- Macaulay on copyright law
- मैकाले और हमारे भ्रम
- ↑ MacKenzie, John (January 2013), "A family empire", BBC History Magazine