लातूर
लातूर (Latur) भारत के महाराष्ट्र राज्य के लातूर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। यह एक पर्यटक स्थल है जिसके पास कई ऐतिहासिक स्थापत्य मिलते हैं, जैसे कि उदगीर दुर्ग।[1][2]
लातूर Latur | |
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![]() गंज गोलाई, लातूर का मुख्य बाजार | |
निर्देशांक: 18°24′N 76°34′E / 18.40°N 76.56°Eनिर्देशांक: 18°24′N 76°34′E / 18.40°N 76.56°E | |
देश | ![]() |
प्रान्त | महाराष्ट्र |
ज़िला | लातूर ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 3,96,955 |
भाषा | |
• प्रचलित | मराठी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
![](http://up.wiki.x.io/wikipedia/commons/thumb/9/98/Virat_Hanuman_Mandir_Latur.jpg/280px-Virat_Hanuman_Mandir_Latur.jpg)
![](http://up.wiki.x.io/wikipedia/commons/thumb/0/02/Buddha_Garden_-_Latur.jpg/280px-Buddha_Garden_-_Latur.jpg)
लातूर भारत में सोयाबीन का सबसे बड़ा व्यापारिक केंद्र है। यह हरा-भरा शहर महाराष्ट्र की 'शुगर बेल्ट' कहलाने वाली जगह के अंदर है। जिले में ग्यारह से अधिक चीनी कारखाने हैं, जो इसे भारत के सबसे अधिक चीनी उत्पादक जिलों में से एक बनाता है। इसमें तिलहन, जिंस और फल बाजार भी है। लातूर उच्च गुणवत्ता वाले अंगूरों के लिए भी जाना जाता है और यहां कई राज्य और निजी स्वामित्व वाली कोल्ड स्टोरेज सुविधाएं हैं |
विवरण
संपादित करेंलातूर महाराष्ट्र के दक्षिणी सिरे में स्थित लातूर एक ऐतिहासिक स्थल है। । मांजरा नदी के तट पर है। मूल नगर को राष्ट्रकूट राजा अमोघवर्ष ने विकसित किया था। यह जिला महाराष्ट्र के नांदेड, परभणी, बीड, उस्मानाबाद और कर्नाटक के बीदर जिले से चहुं ओर से घिरा हुआ है। यह जिला पूर्व में हैदराबाद राज्य के अंतर्गत था, जो विभाजन के पश्चात् महाराष्ट्र में आकर मिल गया। यह भी 18 सितंबर 1948 में स्वतन्त्र हुआ। तेजी से विकसित होता यह जिला महाराष्ट्र के प्रमुख वाणिज्यिक केन्द्रों में एक है। प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को संजोए इन जिले में अनेक खूबसूरत मंदिरों और ऐतिहासिक इमारतों को देखा जा सकता है। लेकिन वर्तमान में लोग इस जिले को 30 सितंबर 1993 में हुए भूकंप के आधार पर पहचानते हैं। इस जिले के किलारी नामक गांव में भूकंप का केन्द्र स्थान है।
प्रमुख आकर्षण
संपादित करेंउदयगिरि
संपादित करेंउदयगिरि या उदगीर लातूर जिले का एक बेहद महत्वपूर्ण नगर है। ऐतिहासिक दृष्टि से लोकप्रिय इस नगर में ही 1761 में मराठा और हैदराबाद प्रांत के निज़ाम का युद्ध हुआ था। सदाशिवराव भाऊ के नेतृत्व में लड़े गए इस युद्ध में निजाम की पराजय हुई और उन्हें उदगीर की संधि पर दस्तखत करने पड़े थे। उदगीर का किला यहां के इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर का प्रत्यक्ष प्रमाण है। भूतल पर बने इस किले के चारों ओर 40 फीट गहरी खाई है। किले के भीतर कुछ महल, दरबार हॉल, उदयगीर के महाराज की समाधि बनी हुई है। किले के भीतर अरबी और फारसी में खुदे अभिलेख भी देखे जा सकते हैं।
औसा
संपादित करेंलातूर से 20 किलोमीटर दूर स्थित औसा एक तालुक मुख्यालय है। यहां एक प्राचीन किला बना हुआ है जो वर्तमान में जर्जरावस्था में है।इस का नाम भुईकोट किला है। बीरनाथ महाराज का मंदिर यहां का मुख्य आकर्षण है। इसे उनके पुत्र मल्लीनाथ महाराज ने 300 साल पहले बनवाया था।
अहमदपुर
संपादित करेंअहमदपुर लातूर जिले एक ताल्लुक मुख्यालय है। इस स्थान पर अक्कलकोट के गुरू स्वामी समर्थ की समाधि स्थित है। नगर में माहुर की रेणुकादेवी, महादेव, दत्ता और बालाजी के मंदिर भी देखे जा सकते हैं।
कासार सिरसी
संपादित करेंउस्मानाबाद जिले की सीमा के निकट स्थित यह एक छोटा लेकिन ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नगर है। यहां होने वाली खुदाई से अनेक धर्मग्रंथ प्राप्त हुए हैं जिनका संबंध लगभग 696-697 ई. के आसपास से है।
निलंगा
संपादित करेंइस तहसील में एक प्रसिद्ध मंदिर है जो लातूर से 50 किलोमीटर दूर दक्षिण पूर्व दिशा में स्थित है। हेमदशली में बने इस मंदिर का निर्माण 12वीं से 13वीं शताब्दी के बीच हुआ था। मंदिर में एक आकर्षक शिवलिंग स्थापित है। तारे के आकार में बने इस मंदिर के कई किनारे हैं। मंदिर का मुख्य द्वार मानवीय आकृतियों और ज्यामिति डिजाइन से सुसज्जित है। इसी तहसील से महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री शिवाजीराव पाटील हुए हैं। वर्तमान राजनीति में यहीं का उभरता चेहरा संभाजीराव पाटील हैं। इस तहसील की खिचडी पूरे महाराष्ट्र में प्रसिद्ध है।इस तहसील खिचड़ी का नाम "निलंगा राइस" है।
नामानंद महाराजा का आश्रम
संपादित करेंयह आश्रम लातूर से 8 किलोमीटर दूर महापुर में स्थित है। महाराज की समाधि देखने के लिए हर वर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। आश्रम के निकट से ही मंजरा नदी बहती है जिसके एक द्वीप पर दत्ता मंदिर स्थित है। नदी और यहां का हरा भरा वातावरण आश्रम को और अधिक आकर्षक बना देता है।
खरोसा
संपादित करेंयह गांव लातूर शहर से 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जो अपनी गुफाओं के लिए चर्चित है। यहां नरसिंह, शिव पार्वती, कार्तिकेय तथा रावण की सुंदर मूर्तियां देखी जा सकती हैं। इतिहासकारों के अनुसार सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक इस गांव की गुफाओं को छठी शताब्दी में गुप्त काल के दौरान बनवाया गया था।
शिरूर अनंतपाल
संपादित करेंयह नवनिर्मित ताल्लुक 11वीं शताब्दी में बने भगवान शिव के मंदिर के कारण जाना जाता है। भगवान शिव का लिंग और देवी महिषासुरमर्दिनी की मूर्ति को बेहद खूबसूरती के साथ काले पत्थर से बनाया गया है। मंदिर के किनारों और आसपास विभिन्न देवी-देवताओं की आकृतियां उकेरी गई हैं। माना जाता है कि हर वर्ष यहां ढाई लाख श्रद्धालु दर्शन हेतु आते हैं। चैत एकादश और द्वादशी के मौके पर यहां बड़ी धूमधाम से उत्सव मनाए जाते हैं।
चाकुर
संपादित करेंलातूर-नांदेड मार्ग पर स्थित चाकुर ताल्लुक लातूर शहर से 35 किलोमीटर की दूरी पर है। चाकुर के निकट ही भगवान शिव का एक मंदिर और मनोरंजन पार्क है, जहां सदैव लोगों का आना जाना लगा रहता है। चाकुर से लगभग 16 किमी दूर वडवाल नागनाथ बेट पहाड़ी है, जो अनेक प्रकार के आयुर्वेदिक पौधों और जड़ी-बूटियों के लिए खासी चर्चित है। यह पहाड़ी भूमि से 600-700 फीट की ऊंचाई पर है।
आवागमन
संपादित करें- वायु मार्ग
नांदेड़ विमानक्षेत्र यहां का निकटतम एयरपोर्ट जो लगभग 146 किलोमीटर की दूरी पर है। यह एयरपोर्ट मुंबई और अन्य बहुत से शहरों से जुड़ा हुआ है।
- रेल मार्ग
लातूर रोड स्थित रेलवे स्टेशन यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन है, रेललाइन के द्वारा महाराष्ट्र और अन्य पड़ोसी राज्यों से जुड़ा हुआ है।यहां का मुख्य रेल्वे स्टेशन लातूर रेल्वे स्टेशन है। इस जी
- सड़क मार्ग
लातूर सड़क मार्ग द्वारा महाराष्ट्र और पड़ोसी राज्यों के अनेक शहरों से जुड़ा है। राज्य परिवहन निगम की अनेक बसें नियमित रूप से लातूर के लिए चलती रहती हैं।
१९९३ का लातूर भूकंप
संपादित करें३० सितंबर १९९३ को लातूर में एक विनाशकारी भूकंप आया जिससे बड़ी संख्या में लोग मारे गए। यद्यपि रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता ६.३ थी लेकिन फिर भी ३०,००० से अधिक लोग काल के गाल में समा गए, जिसका मुख्य कारण गाँव के मकानों और झोपड़ियों का ठीक से निर्माण ना किया जाना था। घरों की छ्तें पत्थरों की बनीं हुईं थी जो तड़के सो रहे लोगों पर गिर पड़ी। यह भूकंप महाराष्ट्र के दक्षिणी मराथवाड़ा क्षेत्र में आया था और इसका प्रभाव लातूर, बीड, ओस्मानाबाद और निकटवर्ती क्षेत्रों में पड़ा जो मुम्बई से ४०० किमी दक्षिण-पूर्व में स्थित है। यह एक अंतर-प्लेट भूकंप था। लातूर लगभग पूरा बरबाद हो गया था और जीवन ठहर सा गया था। भूकंप का केन्द्र धरती से १२ किमी नीचे था - जो अपेक्षाकृत कम गहराई का भूकम्प था जिससे भूकंपीय तरंगूं ने और क्षति पहुँचाई। मरने वालों की संख्या इसलिए अधिक थी क्योंकि भुकंप स्थानीय समयानुसार सुबह ३:५३ पर आया था जब लोग अपने घरों में सो रहे थे। इस भूकंप के कारण बची हुई अवशेष सामग्री अभी भी देखी जा सकती है, इसका उदाहरण इसी जिले में स्थित गाँव गिरकचाल है, जो निलंगा तहसील में स्थित है।
इस भूकंप के बाद, भूकंप संभावित क्षेत्रों का पुनः वर्गीकरण किया गया और भवन निर्माण के मानक और कोड पूरे देशभर में फिर से संशोधित किए गए।
जनसंख्या
संपादित करें2024 में लातूर शहर की वर्तमान अनुमानित जनसंख्या 541,000 है | भारत की जनगणना की अनंतिम रिपोर्ट के अनुसार, 2011 में लातूर की जनसंख्या 382,940 है।[3]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "RBS Visitors Guide India: Maharashtra Travel Guide Archived 2019-07-03 at the वेबैक मशीन," Ashutosh Goyal, Data and Expo India Pvt. Ltd., 2015, ISBN 9789380844831
- ↑ "Mystical, Magical Maharashtra Archived 2019-06-30 at the वेबैक मशीन," Milind Gunaji, Popular Prakashan, 2010, ISBN 9788179914458
- ↑ "Latur Population 2024".