लक्की मरवत (<smaller>उर्दू और पश्तो: لکی مروت‎, अंग्रेज़ी: Lakki Marwat) पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रांत के दक्षिणी भाग में स्थित एक ज़िला है। यह कभी बन्नू ज़िले का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन १ जुलाई १९९२ को इसे एक अलग ज़िले का दर्जा दे दिया गया।

ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा प्रांत में लक्की मरवत ज़िला (पीले रंग में)

नाम की उत्पत्ति

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'लक्की मरवत' का नाम कैसे पड़ा इस पर दो कहानियाँ बताई जाती हैं। एक कथा यह है कि बहुत पहले यहाँ मरवत क़बीले और वज़ीर क़बीले के बीच युद्ध हुआ था। इसके लिए मरवत क़बीले वालों ने एक लगभग लाख आदमियों की फ़ौज तैयार कर ली, जिस से इस स्थान का नाम 'लक्खी मरवत' पड़ा जो बिगड़कर 'लक्की मरवत' बन गया। दूसरी कथा यह है कि प्राचीन काल में इसके मुख्य शहर की स्थापना एक लक्की राम या लुक्को राम नामक हिन्दू व्यापारी ने की थी। उसके और मरवत क़बीले के नामो को जोड़कर 'लक्की मरवत' नाम पड़ गया।

लक्की मरवत ज़िले में सन् १९९८ में ४,९०,०२५ लोगों कि आबादी थी। इसका क्षेत्रफल क़रीब ३,१६४ वर्ग किमी है। यहाँ ज़्यादातर पश्तो बोली जाती है हालांकि कुछ लोग हिन्दको नाम की एक पंजाबी उपभाषा भी बोलते हैं। इस ज़िले में मरवत क़बीले के पश्तून लोगों की बहुतायत है। यहाँ के अधिकतर गाँवों और क़स्बों ने नाम 'ख़ेल' से अंत होते हैं, जैसे कि आबा ख़ेल, डल्लो ख़ेल, ग़ज़नी ख़ेल, तितर ख़ेल, ज़ंगी ख़ेल, वग़ैराह। पश्तो में 'ख़ेल' (خیل‎) का अर्थ 'ख़ानदान' या 'बिरादरी' से मिलता-जुलता होता है।[1] ध्यान दीजिये कि इन नामों में 'ख़' का उच्चारण 'ख' से ज़रा भिन्न होता है।

इस ज़िले का मौसम काफ़ी गरम है। गर्मियों में ४२ से ४५ सेंटीग्रेड तक का तापमान होता है और लू भी चलती है। सर्दियों में अधिक सर्दी नहीं होती और इस क्षेत्र में आम तौर पर बर्फ़ नहीं पड़ती है। यहाँ वर्षा काफ़ी कम गिरती है, हालांकि जुलाई और अगस्त के महीने में हलकी-सी और कम समय के लिए कभी-कभी पड़ जाती है। ज़िले में कुछ पहाड़ियाँ और कुछ रेतीले मैदान हैं। यहाँ की सबसे मुख्य नदी कुर्रम नदी है। एक गम्बीला नामक नदी भी महत्व रखती है जिसका पानी कुर्रम में ही जा मिलता है।

इन्हें भी देखें

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  1. Barbara A. West. "Encyclopedia of the Peoples of Asia and Oceania, Volume 1". Infobase Publishing, 2009. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780816071098. मूल से 28 मई 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 दिसंबर 2011.