राजभाषा विभाग, भारत सरकार

राजभाषा विभाग भारत सरकार के गृह मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन एक विभाग है। राजभाषा के बारे में संवैधानिक और विधिक प्रावधानों के अनुपालन तथा संघ के कार्यालयीन प्रयोजनों के लिए हिन्दी के प्रयोग को बढावा देने के लिए जून १९७५ में, गृह मंत्रालय के एक स्वतन्त्र विभाग के रूप में राजभाषा विभाग की स्थापना की गयी थी। तभी से यह विभाग संघ के कार्यालयीन प्रयोजनों हेतु हिन्दी के प्रगामी प्रयोग के लिए प्रयासरत है।

राजभाषा विभाग के कार्य

संपादित करें

भारत सरकार (कार्य व्यवहार आबण्टन) नियम १९६१ के अनुरूप इस विभाग को निम्नलिखित कार्यों का दायित्व सौंपा गया है-

  • राजभाषा से सम्बधित संवैधानिक प्रावधानों तथा राजभाषा अधिनियम, १९६४ (१९६३ का १९) का कार्यान्वयन, उस सीमा के अतिरिक्त. जिनका कार्यान्वयन अन्य विभागों को सौंपा गया है।
  • किसी राज्य के उच्च-न्यायालय में अंग्रेजी के अतिरिक्त, भाषा के सीमित प्रयोग की अधिकृति हेतु राष्ट्रपति का पूर्व अनुमोदन।
  • संघ की कार्यालयीन भाषा के रूप में, जिसमें केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के लिए हिन्दी शिक्षण योजना, पत्र-पत्रिकाओं तथा अन्य तत्संम्बन्धित साहित्य का प्रकाशन शामिल होगा, हिन्दी के प्रगामी प्रयोग से संबंन्धित सभी मामलों पर केन्द्र स्थल दायित्व।
  • संघ की कार्यालयीन भाषा के रूप में, नियमों प्रशासनिक शब्दावली, पाठ्यचर्या, पाठ्यपुस्तकें, प्रशिक्षण सामग्री और उपकरण (मानकीकृत वर्णमाला सहित) जो उसके लिए आवश्यक हों, शामिल होंगे, हिन्दी के प्रगामी प्रयोग से सम्बन्धित सभी मामलों में समन्वय।
  • केन्द्रीय सचिवालय कर्यालयीन भाषा सेवा के संवर्ग का गठन और प्रबन्धन।
  • केन्द्रीय हिन्दी समिति, इसकी उपसमितियों सहित, से संबन्धित मामले।
  • विभिन्न मंत्रालयों/ विभागों द्वारा स्थापित विभिन्न हिन्दी सलाहकार समितियों से सम्बन्धित कार्य का समन्वय।

हिंदी शिक्षण योजना

संपादित करें

भारत के संविधान का अनुच्छेद 343 (1) निर्दिष्ट करता है कि केंद्र सरकार की आधिकारिक भाषा हिंदी होगी और उसी की लिपि देवनागरी होगी। इसका अंतिम उद्देश्य यह है कि केंद्र सरकार का पूरा काम हिंदी में होगा। संवैधानिक प्रावधानों के अनुपालन में, केंद्र सरकार के उन कर्मचारियों को, जो हिंदी का ज्ञान नहीं रखते हैं, को हिंदी सिखाने का कार्य जुलाई, 1952 में शिक्षा मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था। तत्पश्चात, 12 जून, 1955 को राष्ट्रपति के पत्र (जो गृहमंत्री को संबोधित किया गया था) में दिए गए सुझावों पर अमल करते हुए यह तय किया गया था कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को हिंदी सिखाने का कार्य गृह मंत्रालय के जिम्मे सौंपा जाए। तदनुसार, 1955 से हिंदी शिक्षण योजना के तहत हिंदी कक्षाएं गृह मंत्रालय के तत्वावधान में कार्यालयीन समय के दौरान चलाई जा रही हैं। प्रारंभ में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए हिंदी सीखना वैकल्पिक था। इसके बाद, अप्रैल, 1960 में राष्ट्रपति के आदेशों के अनुसार, केंद्र सरकार के सभी कर्मचारियों (तृतीय श्रेणी से नीचे के कर्मचारियों को छोड़कर, औद्योगिक प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों और काम करने वाले कर्मचारियों के लिए) में सेवाकालीन प्रशिक्षण अनिवार्य कर दिया गया। इसके साथ ही, निम्न श्रेणी लिपिक / टंकक और आशुलिपिकों के लिए हिंदी टंकण और हिंदी आशुलिपि में प्रशिक्षण भी अनिवार्य किया गया था। 1974 के बाद से, केंद्र सरकार और उसके संलग्न और अधीनस्थ कार्यालयों के मंत्रालयों के कर्मचारियों के अलावा केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित और स्वामित्व निगमों, निकायों, कंपनियों, उपक्रमों, बैंकों आदि के कर्मचारियों के लिए भी हिंदी, हिंदी टंकण और हिंदी आशुलिपि में प्रशिक्षण अनिवार्य कर दिए गए हैं। फरवरी 1993 से, औद्योगिक प्रतिष्ठानों के उन कर्मचारियों के लिए सेवा प्रशिक्षण अनिवार्य कर दिया गया है, जिन्हें डेस्क जॉब करना आवश्यक है।

कम्प्यूटर प्रशिक्षण

संपादित करें

राजभाषा विभाग द्वारा हिंदी में कंप्यूटर के विभिन्न प्रशिक्षण सत्र चलाए जा रहे हैं। इसका प्रमुख उद्देश्य सरकारी कार्यालयों में कंप्यूटरों पर हिंदी का कार्य बढ़ाया जाना है। केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान द्वारा कम्प्युटर पर काम स्व-सीखने हेतु 'हिंदी शब्द संसाधन' पुस्‍तक तैयार की गई है। यह पुस्तक वेबसाइट पर भी उपलब्‍ध है। सी डैक ने राजभाषा विभाग की वैबसाइट पर भाषा प्रशिक्षण पर आधारित लीला सॉफ्टवेयर को अंग्रेजी के अलावा 14 अन्‍य भारतीय भाषाओं में भी उपलब्‍ध करा दिया है। हिंदी भाषा के 16 प्रशिक्षण केंद्रों पर कंप्‍यूटर के माध्‍यम से ऑनलाइन प्रशिक्षण देने की व्‍यवस्‍था की जा रही है।

केन्द्रीय अनुवाद ब्यूरो

संपादित करें

राजभाषा हिंदी के प्रगामी प्रयोग में अनुवाद की महत्वपूर्ण और अपरिहार्य आवश्यकता है। वर्ष 1960 में शिक्षा मंत्रालय के अधीन केंद्रीय हिंदी निदेशालय की स्थापना करके असांविधिक (non-statutory) साहित्य के हिन्दी अनुवाद का कार्य आरम्भ किया गया। लेकिन राजभाषा हिंदी के कार्यान्वयन का दायित्व गृह मंत्रालय के अधीन होने के कारण केंद्र सरकार के असांविधिक प्रक्रिया साहित्य के अनुवाद का दायित्व भी गृह मंत्रालय को सौंपा गया। तदनुसार 1 मार्च, 1971 को गृह मंत्रालय के अधीन केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो की स्थापना की गई और केंद्र सरकार के मंत्रालयों, विभागों, कार्यालयों, उपक्रमों आदि के असांविधिक प्रक्रिया साहित्य का अनुवाद कार्य केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो को सौंपा गया। वर्तमान में केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो, राजभाषा विभाग के अधीनस्थ कार्यालय के रूप में कार्य कर रहा है।

अनुवाद प्रशिक्षण

अनुवाद में सरलता, सहजता और शब्दावली की एकरूपता सुनिश्चित करने तथा अनुवाद-कौशल विकसित करने के लिए वर्ष 1973 से अनुवाद प्रशिक्षण का कार्य ब्यूरो को सौंपा गया। इस प्रकार ब्यूरो अनुवाद प्रशिक्षण देने का कार्य भी करता है। केंद्र सरकार के स्तर पर असांविधिक प्रक्रिया साहित्य के अनुवाद और अनुवाद कौशल-विकास के प्रशिक्षण के लिए केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो भारत सरकार की एकमात्र मानक संस्था है।

इन्हें भी देखें

संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ

संपादित करें