राइफलमैन संजय कुमार
सूबेदार संजय कुमार (जन्म: ३ मार्च १९७६) एक भारतीय सिपाही हैं, जिन्होंने कारगिल युद्ध में एरिया फ्लैट टॉप पर कब्ज़ा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी इस बहादुरी के लिए उन्हें १९९९ में परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।
सूबेदार मेजर संजय कुमार पीवीसी | |
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(तब) हवलदार संजय कुमार, अपने परमवीर चक्र मैडल को पहने हुए। | |
जन्म |
3 मार्च १९७६ कलोल बल्किन, बिलासपुर जिला, हिमाचल प्रदेश |
निष्ठा | भारत |
सेवा/शाखा | भारतीय सेना |
उपाधि | राइफलमैन, वर्तमान सूबेदार |
सेवा संख्यांक | १३७६०५३३ |
दस्ता | १३ जेएंडके राइफल्स |
युद्ध/झड़पें | कारगिल युद्ध |
सम्मान | परम वीर चक्र |
प्रारम्भिक जीवन
संपादित करेंसंजय कुमार का जन्म ३ मार्च १९७६ को हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के कलोल बल्किन ग्राम में हुआ था।[1] सेना में शामिल होने से पहले उन्होंने दिल्ली में टैक्सी चालक का काम भी किया है। सेना में भर्ती होने से पहले वह तीन बार अस्वीकृत भी किये जा चुके थे।[2]
सैन्य अभियान
संपादित करेंसंजय कुमार चार व पांच जुलाई को कारगिल में मस्को वैली प्वाइंट ५८७५ पर फ्लैट टॉप पर ११ साथियों के साथ तैनात थे।[3] यहां दुश्मन उपर पहाड़ी से हमला कर रहा था। इस टीम में ११ साथियों में से दो शहीद हो चुके थे जबकि आठ गंभीर रूप से घायल थे। संजय कुमार भी अपनी राइफल के साथ दुश्मनों का कड़ा मुकाबला कर रहे थे लेकिन एक समय ऐसा आया कि संजय कुमार की राइफल में गोलियां खत्म हो गई। इस बीच संजय कुमार को भी तीन गोलियां लगी, इनमें दो उनकी टांगों में और एक गोली पीठ में लगी। संजय कुमार घायल हो चुके थे।[4]
ऐसी स्थिति में गम्भीरता को देखते हुए राइफल मैन संजय कुमार ने तय किया कि उस ठिकाने को अचानक हमले से खामोश करा दिया जाए। इस इरादे से संजय ने यकायक उस जगह हमला करके आमने-सामने की मुठभेड़ में तीन दुश्मन सैनिकों को मार गिराया और उसी जोश में गोलाबारी करते हुए दूसरे ठिकाने की ओर बढ़े। संजय इस मुठभेड़ में खुद भी लहू लुहान हो गए थे, लेकिन अपनी ओर से बेपरवाह वो दुश्मन पर टूट पड़े। अचानक हुए हमले से दुश्मन बौखला कर भाग खड़ा हुआ और इस भगदड़ में दुश्मन अपनी यूनीवर्सल मशीनगन भी छोड़ गए। संजय कुमार ने वो गन भी हथियाई और उससे दुश्मन का ही सफाया शुरू कर दिया।[5]
संजय के इस कारनामे को देखकर उसकी टुकड़ी के दूसरे जवान बहुत उत्साहित हुए और उन्होंने बेहद फुर्ती से दुश्मन के दूसरे ठिकानों पर धावा बोल दिया। जख्मी होने के बावजूद संजय कुमार तब तक दुश्मन से जूझते रहे थे, जब तक कि प्वाइंट फ्लैट टॉप पाकिस्तानियों से पूरी तरह खाली नहीं हो गया। इसके बाद प्लाटून की कुमुक सहायतार्थ वहां पहुंची और घायल संजय कुमार को तत्काल सैनिक अस्पताल में भर्ती कराया गया।[2]
सम्मान
संपादित करेंइस बहादुरी के लिए संजय कुमार को भारत सरकार द्वारा वर्ष १९९९ में परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। संजय कुमार इस समय सूबेदार मेजर के रैंक पर कार्यरत है। वर्ष 2020 में प्रसिद्ध टीवी शो कौन बनेगा करोड़पति में शो के प्रस्तोता अमिताभ बच्चन के विशेष आमंत्रण पर साथी परमवीर चक्र विजेता कैप्टन योगेंद्र सिंह यादव के साथ शामिल हुए तथा जीती गई पूरी राशि आर्मी वेलफेयर फण्ड में दान कर दी।
प्रचलित लोकसंस्कृति में
संपादित करेंकारगिल युद्ध को मूल में रखकर बनी २००३ की फ़िल्म एल ओ सी कारगिल में संजय कुमार एवं उनके साथियों को दर्शाया गया है। अभिनेता सुनील शेट्टी ने फिल्म में संजय कुमार की भूमिका निभाई है।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ दीक्षित, मुनीश (२६ जुलाई २०१६). "कारगिल युद्ध में हिमाचल के दो जवानों को मिला था परमवीर चक्र". पालमपुर: दैनिक जागरण. मूल से 2 अप्रैल 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २ अप्रैल २०१८.
- ↑ अ आ सिंह, रामपाल; देवी, विमला (२००९). कारगिल विजय, १९९९. आत्माराम & संस. पपृ॰ १७०-१७४.
- ↑ "…और गोलियां उगलता पाकिस्तानी बंकर हो गया खामोश". पंजाब-हिमाचल: दैनिक ट्रिब्यून. २७ जुलाई २०१०. अभिगमन तिथि २ अप्रैल २०१७.
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in first1 (मदद) - ↑ "'परमवीर' संजय कुमार: खून से लथपथ थे फिर आगे बढ़े और पाकिस्तानियों को उन्ही के हथियार से दी मात". दैनिक भास्कर. १९ फरवरी २०१८. मूल से 2 अप्रैल 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २ अप्रैल २०१८.
- ↑ "कारगिल गाथा: घायल संजय ने दुश्मन के हथियार से ही किया दुश्मन का सफाया". अमर उजाला. ६ जुलाई २०१६. मूल से 2 अप्रैल 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २ अप्रैल २०१८.