रवि (संगीत निर्देशक)
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रवि शंकर शर्मा (3 मार्च 1926 – 7 मार्च 2012), अक्सर रवि के रूप में संबोधित किये जाते, एक भारतीय संगीत निर्देशक थे। उन्होंने कई हिन्दी और मलयालम फिल्मों के लिये संगीत रचना की। हिन्दी सिनेमा में सफल कैरियर के बाद, उन्होंने 1970 से 1982 तक के लिए अवकाश ले लिया। बाद में बॉम्बे रवि नाम के साथ उन्होंने सफल वापसी की। उनका निधन 7 मार्च 2012 को मुम्बई में 86 वर्ष की आयु में हो गया।
रवि | |
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जन्म |
रवि शंकर शर्मा 3 मार्च 1926 दिल्ली, ब्रिटिश इंडिया |
मौत |
7 मार्च 2012 मुम्बई, महाराष्ट्र, भारत | (उम्र 86 वर्ष)
पेशा | संगीत निर्देशक |
1982 में उन्होंने निकाह से वापसी की। इस फिल्म के लिये सलमा आग़ा को फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका पुरस्कार मिला था। हिन्दी फिल्मों में उन्हें बलदेव राज चोपड़ा की फिल्मों में संगीत देने के लिये जाना जाता है। महेन्द्र कपूर को लोकप्रिय पार्श्व गायक बनाने में भी उनका योगदान था। इस वक्त वो साहिर लुधियानवी को गीतकार के रूप में लेते थे और उनकी जोड़ी ने कई यादगार गीत निर्मित किये हैं। रवि ही एकमात्र ऐसे संगीतकार थे। जो पहले गीत लिखवाते थे फिर उन्हें संगीतवद्ध करते थे। जिस कारण उनके बनाये तक़रीबन सभी गीत अत्यधिक कर्णप्रिय और लोकप्रिय रहे।
जीवनी
संपादित करेंरवि का जन्म 3 मार्च 1926 ई. को दिल्ली में हुआ था। शास्त्रीय संगीत में उनका कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं था; इसके बजाय उन्होंने अपने पिता के भजन गाकर संगीत सीखा। उन्होंने खुद को हारमोनियम और अन्य शास्त्रीय वाद्ययंत्र बजाना सिखाया और अपने परिवार का समर्थन करने के लिए एक इलेक्ट्रीशियन के रूप में काम किया। 1950 में उन्होंने बॉम्बे में शिफ्ट होने और एक पेशेवर गायक बनने का फैसला किया। पहले रवि बेघर थे, सड़कों पर रहता थे और रात में 'मलाड रेलवे स्टेशन' पर सोते थे।
1952 में, रवि को हेमंत कुमार ने खोजा था जिन्होंने उन्हें फिल्म "आनंदमठ" से पहला ब्रेक दिया। 'वंदेमातरम' गीत में बैकिंग गायन के लिए काम पर रखा था। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और संगीत की अनेक बारीक़ियाँ सीखीं। बाद में रवि ने बतौर संगीतकार अपनी अलग पहचान बनाई और अनेक फ़िल्मों में यादगार गीत दिए और इन फ़िल्मों के लिए फ़िल्मफ़ेयर नामांकन प्राप्त किए: चौदहवीं का चाँद (1960), दो बदन (1966), हमराज़ (1967), आँखें (1968), और निकाह (1982)। उन्होंने घराना (1961) और खानदान (1965) के लिए फ़िल्मफेयर पुरस्कार जीते। उनकी अन्य सफल फ़िल्मों में "वक़्त", "नील कमल" और "गुमराह" शामिल हैं। उनके कुछ गाने "आज मेरे यार की शादी है", "बाबुल की दुआएँ लेती जा", "डोली चढ़ के दुल्हन ससुराल चली" और "मेरा यार बन है दूल्हा और फूल खिले हैं दिल के" आदि शादी के समारोहों में बहुत लोकप्रिय हुए।
रवि उन संगीत निर्देशकों में से एक थे, जिन्होंने आशा भोंसले के करियर को, "तोरा मन दरपन कहलाये", "आगे भी जाने ना तू" और "सुन ले पुकार" जैसे गीतों से सजाया था। उन्होंने महेंद्र कपूर को बॉलीवुड में एक लोकप्रिय गायक बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 1950 और 1960 के दशक के दौरान हिंदी फ़िल्मों में एक सफल कैरियर के बाद, उन्होंने 1970 से 1982 तक एक लंबा ब्रेक लिया। 1982 में, उन्होंने हिंदी फ़िल्म "निकाह" के लिए संगीत दिया, और फ़िल्म के गीत, "दिल के अरमां आँसुओं में बह गए" से मुख्य गीत अभिनेत्री व गायिका सलमा आगा ने गाया और उन्होंने फ़िल्मफेयर बेस्ट फीमेल प्लेबैक अवार्ड जीता।
1980 के दशक में, उन्होंने मलयालम (और कुछ हिंदी) फ़िल्मों में बॉम्बे रवि के रूप में एक संगीत निर्देशक के रूप में वापसी की। 1986 के दौरान, मलयालम निर्देशक हरिहरन ने उन्हें यह वापसी करने के लिए मना लिया। पहली फ़िल्म "पंचगनी" थी। "सगरंगले" और "आ रात्री माँजू पोई" (यसुदास और चित्रा द्वारा गाया गया) गाने हिट थे। उसी वर्ष, हरिहरन का नक्षत्रशंग भी सामने आया और उसी फिल्म के गीत मंजलप्रसादुम के लिए चित्रा ने अपना दूसरा राष्ट्रीय पुरस्कार जीता। 1989 में रिलीज़ हुई मलयालम फिल्म "वैशाली" के सभी गाने सुपर हिट थे और इसी फ़िल्म के गीत "इन्दुपुष्पम चूडी नीलकम" के लिए चित्रा ने अपना तीसरा राष्ट्रीय पुरस्कार जीता। रवि, हरिहरन मलयालम फ़िल्मों में एक स्थिर थे और उनके संयोजन को मलयालम में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। रवि ने दक्षिण भारतीय बैनर द्वारा निर्मित कई फ़िल्मों के लिए रचना की है: "घूँघट", "घराना", "गृहस्थी", "औरत", "समाज को बदल डालो" (मिथुन), "मेहरबान", "दो कलियाँ" (एवीएम), "भरोसा", ख़ानदान (वसु फ़िल्म्स) आदि प्रमुख रहीं।
रवि का सबसे उल्लेखनीय काम चोपड़ा बंधुओं के साथ है। "गुमराह" से उन्होंने लगातार गीतकार साहिर लुधियानवी के साथ काम किया। "वक़्त", "हमराज़", "आदमी और इन्सान", "धुन्ध", "निकाह" और "देहलीज़" उनकी सर्वकालिक हिट फ़िल्मों में से थे। वह साहिर के साथ बहुत सहज थे और उनकी शायरी के साथ "आजकल", "काजल", "अंकल", "नीलकमल", "दो कलियाँ", "अमानत", "गंगा तेरा पानी अमृत", "एक महल हो सपनो का" आदि के लिए भी उन्होंने खूबसूरत गाने दिए।
व्यक्तिगत जीवन
संपादित करेंरवि की पत्नी कांति, जिनसे उन्होंने 1946 में शादी की, 1986 में उनका निधन हो गया। उनकी दो बेटियां वीना और छाया तथा एक बेटा अजय है। उनके बेटे अजय का विवाह वर्षा उसगांवकर से हुआ, जो मराठी और हिंदी फ़िल्मों की एक अभिनेत्री है। मुंबई में ही 7 मार्च 2012 को 86 वर्ष की अवस्था में हृदय गति रुक जाने ने इस महान संगीतकार ने संसार से आँखें मूंद लीं।
पुरस्कार (Awards)
संपादित करें- सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशन के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार (1995), परिन्यम, सुक्रमम
- सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक के लिए केरल राज्य फ़िल्म पुरस्कार (1986, 1992), नक्षत्रंगल, सरगम
- सर्वश्रेष्ठ पार्श्व संगीत के लिए केरल राज्य फ़िल्म पुरस्कार (1993), ग़ज़ल
- सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक के लिए फ़िल्मफेयर अवार्ड — परनामी के लिए मलयालम — 1994
- सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक के लिए फ़िल्मफेयर अवार्ड, (1962, 1966), घराना, खंडन
- संस्कृत कलाश्री पुरस्कार (2006—07), चेन्नई, तमिलनाडु
प्रमुख फिल्में (Filmography)
संपादित करेंवर्ष | फिल्म | टिप्पणी |
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1955 | अलबेली | |
वचन | ||
1957 | नरसी भगत | |
एक साल | ||
1958 | मेंहदी | |
घर संसार | ||
दुल्हन | ||
दिल्ली का ठग | ||
1959 | पहली रात | |
नई राहें | ||
चिराग कहाँ रोशनी कहाँ | ||
1960 | तू नहीं और सही | |
घूँघट | ||
चौदहवीं का चाँद | नामांकित, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक पुरस्कार | |
अपना घर | ||
1961 | मॉर्डन गर्ल | |
घराना | विजेता, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक पुरस्कार | |
वान्टेड | ||
सलाम मेमसाब | ||
प्यार का सागर | ||
नज़राना | ||
1962 | इसी का नाम दुनिया है | |
चायना टाउन | ||
उम्मीद | ||
टावर हाउस | ||
राखी | ||
अपना बना लो | ||
बॉम्बे का चोर | ||
1963 | आज और कल | |
भरोसा | ||
ये रास्ते हैं प्यार के | ||
उस्तादों के उस्ताद | ||
प्यार का बंधन | ||
प्यार किया तो डरना क्या | ||
नर्तकी | ||
गुमराह | ||
गृहस्थी | ||
गहरा दाग़ | ||
मुलज़िम | ||
कौन अपना कौन पराया | ||
1964 | शहनाई | |
दूर की आवाज़ | ||
1965 | वक्त | |
खानदान | विजेता, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक पुरस्कार | |
काजल | ||
बहू बेटी | ||
1966 | फूल और पत्थर | |
ये ज़िन्दगी कितनी हसीन है | ||
सगाई | ||
दस लाख | ||
दो बदन | नामांकित, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक पुरस्कार | |
1967 | नई रोशनी | |
हमराज़ | नामांकित, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक पुरस्कार | |
मेहरबाँ | ||
औरत | ||
1968 | दो कलियाँ | |
नील कमल | ||
मन का मीत | ||
गौरी | ||
आँखें | नामांकित, फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक पुरस्कार | |
1969 | एक फूल दो माली | |
डोली | ||
बड़ी दीदी | ||
अनमोल मोती | ||
आदमी और इंसान | ||
1970 | समाज को बदल डालो | |
1971 | चिंगारी | |
1972 | बाबुल की गलियाँ | |
धड़कन | ||
नाग पंचमी |