रसायन विज्ञान में मोलर अवशोषण गुणांक या मोलर क्षीणन गुणांक (ε) किसी रासायनिक स्पीशीज़ के किसी दिए गए तरंगदैर्घ्य के प्रकाश को क्षीण अर्थात् अवशोषण की प्रबलता के मापन है। यह सम्बंधित पदार्थों का नौज गुणधर्म है। मोलर अवशोषण गुणांक का एसआई मात्रक वर्ग मीटर प्रति मोल (m2/mol) होती है लेकिन सामान्यतः इसे M−1⋅cm−1 अथवा L⋅mol−1⋅cm−1 (ये दोनों इकाइयाँ {nobreak|0.1 m2/mol}} के समान होती हैं) में व्यक्त किया जाता है। कुछ पुरानी पुस्तकों में इसकी इकाई cm2/mol का उपयोग उपयोग किया जाता है जहाँ 1 M−1⋅cm−1 का मान 1000 cm2/mol के बराबर होता है।[1][2] मोलर अवशोषण गुणांक को मोलर विलोपन गुणांक और मोलर अवशोषकता के रूप में भी जाना जाता है, लेकिन इन वैकल्पिक शब्दों के उपयोग को आईयूपीएसी द्वारा निरुत्साहित किया गया है।[3]

बीयर-लैंबर्ट नियम

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बीयर-लैम्बर्ट नियम के अनुसार किसी पदार्थ में अवशोषण आपतित प्रकाश के पथ-लम्बाई और पदार्थ की सान्द्रता पर भी निर्भर करता है:

 

जहाँ

  • ε उस पदार्थ का मोलर अवशोषण गुणांक है
  • c उस पदार्थ की मोलर सान्द्रता है
  • पथ-लम्बाई है।


  1. IUPAC, Compendium of Chemical Terminology, 2nd ed. (the "Gold Book") (1997). Online corrected version:  (2006–) "Extinction".
  2. IUPAC, Compendium of Chemical Terminology, 2nd ed. (the "Gold Book") (1997). Online corrected version:  (2006–) "Absorptivity".
  3. "Chapter 11 Section 2 - Terms and symbols used in photochemistry and in light scattering" (PDF). Compendium on Analytical Nomenclature (Orange Book). IUPAC. 2002. पृ॰ 28.