मॉसफेट (Mmetal–Oxide–Semiconductor Field-Effect Transistor या MOSFET / MOS-FET / MOS FET) एक एलेक्ट्रॉनिक युक्ति है जो विद्युत चालक धनात्मक (+) संकेतों को प्रवर्धित करने या स्विच करने के काम आती है। वैसे तो यह चार टांगों (टर्मिनल) वाली युक्ति है (स्त्रोत (S), गेट (G), ड्रेन (D) और बॉडी (B)) किन्तु प्रायः B टर्मिनल को स्रोत टर्मिनल के साथ जोड़कर ही इसका उपयोग किया जाता है। अतः व्यावहारिक रूप से अन्य फिल्ड-इफेक्ट ट्रांजिस्टरों की भांति यह भी तीन टर्मिनल वाली युक्ति बन जाती है। किसी समय बीजेटी सर्वाधिक प्रयुक्त युक्ति था, किन्तु अब मॉसफेट ही डिजिटल और एनालॉग दोनों परिपथों में सर्वाधिक प्रयुक्त युक्ति बन गयी है। इसका कारण यह है कि मॉस्फेट के प्रयोग से एकीकृत परिपथों में सस्ते में बहुत अधिक 'पैकिंग घनत्व' प्राप्त किया जा रहा है।

दो पॉवर मॉसफेट

यद्यपि आजकल गेट को विलग करने के लिये 'मेटल आक्साइड' के बजाय डॉप किया हुआ पॉलीसिलिकॉन उपयोग किया जाता है फिर भी इसका पुराना नाम MOSFET अब भी अपरिवर्तित है।

मॉस्फेट की ड्रेन-सोर्स धारा को गेट और सोर्स के बीच के विभवान्तर द्वारा नियंत्रित किया जाता है। कुयुकी गेट, मॉस्फेट के शेष भागों से विलगित (insulated) होता है, गेत को चलाने (ड्राइव करने) के लिये अत्यन्त कम धारा की जरूरत होती है।

मॉसफेट प्रतीक

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डिप्लिशन मोड मॉस्फेट इन्हैंसमेंट मोड मॉस्फेट
       
P-चैनेल N-चैनेल P-चैनेल N-चैनेल
 
n-चैनेल मॉस्फेट का V-I वैशिष्ट्य : इसमें लाल रंग से रंजित भाग को 'रैखिक क्षेत्र' (लिनियर जोन) और पीले रंग से रंजित भाग को 'संतृप्त क्षेत्र' (सैचुरेटेड जोन) कहते हैं।

कुछ परिपथ

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किसी एन-चैनेल इन्हैन्समेन्ट मोड मॉसफेट के गेट को
सोर्स के सापेक्ष Vth से अधिक वोल्टेज पर रखने पर
उसका चैनेल प्रतिरोध शून्य हो जाता है।
 
सीमॉस इन्वर्टर

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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