मृत्युदण्ड (अंग्रेज़ी:कैपिटल पनिश्मैन्ट), किसी व्यक्ति को कानूनी तौर पर न्यायिक प्रक्रिया के फलस्वरूप किसी अपराध के परिणाम में प्राणान्त का दण्ड देने को कहते हैं। अंग्रेज़ी में इसके लिये प्रयुक्त कैपिटल शब्द लैटिन के कैपिटलिस शब्द से आया है, जिसका शाब्दिक अर्थ है "सिर के सम्बन्ध में या से सम्बन्धित" (लैटिन कैपुट)। इसके मूल में आरम्भिक रूप में दिये जाने वाले मृत्युदण्ड का स्वरूप सिर को धड़ से अलग कर देने की प्रक्रिया में है। वर्तमान समय में एमनेस्टी इंटरनेशनल के आंकड़ों के अनुसार विश्व के 58 देशों में अभी मृत्युदण्ड दिया जाता है[1], जबकि अन्य देशों में या तो इस पर रोक लगा दी गई है, या गत दस वर्षो से किसी को फांसी नहीं दी गई है। यूरोपियाई संघ के सदस्य देशों में,चार्टर ऑफ फ़्ण्डामेण्टल राइट्स ऑफ द यूरोपियन यूनियन की धारा-2 मृत्युदण्ड को निषेध करती है।[2]

एशियाई विश्व में सबसे प्रचलित मृत्युदण्ड का रूप है फांसी
 
मायरा के सन्त निकोलस ने तीन गलत निर्णय द्वारा मृत्युदण्ड भागियों को अन्तिम घड़ी में बचाने हेतु जल्लाद के हाथ से तलवार खींचते हुए। (तैल चित्र, इलिया रेपिन 1888, रूसी राजकीय संग्रहालय

मृत्युदण्ड पर अभी भी विभिन्न देशों में विवाद जोरों पर है। इसके विपक्षियों का कहना है कि यह बहुत हद तक सम्भव है कि कानून को तोड़-मरोड़ कर और झूठी गवाही के आधार पर निर्दोष व्यक्ति को फांसी दे दी जाए। इसके लिए आंकड़ों को आधार बनाकर कहा जाता है कि मृत्युदण्ड के शिकार बनने जा रहे लोगों में से अधिकांश गरीब वर्ग के लोग होते हैं या ऐसे लोग जो अपनी पैरवी के लिए वकील नहीं रख सकते हैं।[3] इसके विपरीत, मृत्युदण्ड के पक्षधर अनेक आधारों पर विभिन्न सजाओं को श्रेणीबद्ध करते हुए यह कहते हैं कि किसी अपराधी को मृत्युदण्ड दिया जाना उसे सदा के लिए कारागार में रखने से कहीं सस्ता सौदा होता है। इसके अलावा इसे एक सबक के तौर पर भी मानते हैं, ताकि अन्य लोग सीख लें, लेकिन इसके बावजूद मृत्युदंड का भय अपराधों पर रोक नहीं लगाता।

 
चार्टर ऑफ फ़्ण्डामेण्टल राइट्स ऑफ द यूरोपियन यूनियन की धारा-2 यूरोपियन संघ के सदस्य राष्ट्रों में मृत्युदण्ड को निषेध करती है।

आज ऍमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार अधिकांश देश मृत्युदण्ड के विपक्षी हैं,[4] जिनके लिये संयुक्त राष्ट्र में यू.एन. को मृत्युदण्ड उन्मूलोअन करने हेतु एक गैर-अनिवार्य प्रस्ताव पर मतदान किया गया था।[5] यहां ये ध्यानयोग्य है कि जिन अधिकांश देशों में मृत्युदण्ड का उन्मूलन किया गया है, वे पाश्चात्य देश हैं, जबकि जिन देशों में विश्व की अधिकांश जनसंख्या (लगभग 60%) रहती है, वहां मृत्युदण्ड अभी तक जारी है।[3] इन देशों में प्रमुख चार देश आते हैं: चीन, भारत, संयुक्त राज्य और इंडोनेशिया। इन चारों देशॊं में अभी तक मृत्युदण्ड जारी है और निकट भविष्य में निषेध होने की कोई सम्भावना भी नहीं दिखती है।[6][7][8][9][10][11][12][13][14]

विश्व में प्रयोग

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इतिहास में अनेक सभ्यताओं में मृत्युदण्ड का नाम आता है। प्राचीन यूनानी, मिस्र, चीनी और भारतीय सभ्यताओं में इस दण्ड के सन्दर्भ मिलते हैं, लेकिन उस समय इसे देने के अजीबोगरीब तरीके हुआ करते थे। द्वितीय विश्व युद्ध से मृत्युदण्ड उन्मूलन हेतु लगातार प्रयास होते रहे हैं। 1977 में, 6 देशों ने इसे निषेध किया था। वर्तमान स्थिति ये है कि 95 देशों ने मृत्युदण्ड निषेध कर दिया है, 9 देशों ने इसे अन्य सभी अपराधों के लिये निषेध किया है, सिवाय विशेष परिस्थितियों के और 35 देशों ने इसे पिछले दस वर्षों ने किसी को आरोपित नहीं किया है। अन्य 58 देशों ने इसे पूरी तरह लागू किया हुआ है।[15] एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार, वर्ष 2009 में 18 देशों ने कम से कम 714 मृत्युदण्ड दिये हैं और लागू भी किये हैं।[16]

 
विश्व भर के देशों में मृत्युदण्ड का प्रयोग (जून 2009 के अनुसार)
██ सभी अपराधों के लिये निषिद्ध (94) ██ सिवाय विशेष परिस्थितियों के, सभी अपराधों के लिये निषिद्ध (10) ██ जारी है, किन्तु कम से कम 10 वर्षों से नहीम दी गई (35) ██ मृत्युदण्ड जारी है (58)* * ये ध्यानयोग्य है, कि हालांकि संयुक्त राज्य के विभिन्न राज्यों के कानून में अन्तर है, किन्तु फिर भी इसे पक्षधर माना जाता है, क्योंकि संघीय मृत्युदण्ड अभी भी प्रयोग में है।
 
मेक्सिको में फायरिंग स्क्वायड द्वारा मृत्युदण्ड, 1916
देश 2009 में फांसियां
1  चीन आधिकारिक आंकड़े प्रदर्शित नहीं।
कम से कम 1700[17] - 5000[18]
2  ईरान कम से कम 388
3  ईराक कम से कम 120
4  सऊदी अरब कम से कम 69
5  संयुक्त राज्य 52
6  यमन कम से कम 30
7  सूडान कम से कम 9
8  वियतनाम कम से कम 9
9  सीरिया कम से कम 8
10  जापान 7
11  मिस्र कम से कम 5
12  लीबिया कम से कम 4
13  बांग्लादेश 3
14  थाईलैंड 2
15  सिंगापुर कम से कम 1
16  बोत्स्वाना 1
17  मलेशिया बताया नहीं
18  उत्तरी कोरिया बताया नहीं


  1. "ऍम्नेस्टी इंटरनेशनल". मूल से 15 फ़रवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 मई 2010.
  2. "ार्टर ऑफ फ़्ण्डामेण्टल राइट्स ऑफ द यूरोपियन यूनियन" (PDF). मूल से 17 जनवरी 2018 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 13 मई 2010.
  3. सज़ा-ए-मौत Archived 2015-05-17 at the वेबैक मशीन। हिन्दुस्तान लाइव। 11 मई 2010
  4. "Amnesty International". मूल से 18 फ़रवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 मई 2010.
  5. "moratorium on the death penalty". मूल से 9 अक्तूबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 मई 2010.
  6. एशिया टाइम्स ऑनलाइन– द बेस्ट न्यूज़ कवरेज फ़्रॉम साउथ एशिया Archived 2010-05-27 at the वेबैक मशीन Archived 2010-05-27 at the वेबैक मशीन]
  7. Coalition mondiale contre la peine de mort – इंडोनेशियन एक्टिविस्ट्स फ़ेस अपवर्ड डेथ पैनेल्टी ट्रेण्ड – एशिया – पैसिफ़िक – ऍक्चुएलाइट्स[मृत कड़ियाँ]
  8. "नो सीरियस चाइन्सेज़ ऑफ रिपील इन दोज़ स्टेट्स दैट आर ऍक्चुअली यूज़िंग डैथ पैनेल्टी". मूल से 28 सितंबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 मई 2010.
  9. AG Brown says he'll follow law on death penalty
  10. "lawmakers-cite-economic-crisis-effort-ban-death-penalty". मूल से 8 जनवरी 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 मई 2010.
  11. "death penalty is not likely to end soon in US". मूल से 16 मार्च 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 मार्च 2009.
  12. "Death penalty repeal unlikely says anti-death penalty activist". मूल से 7 जुलाई 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 मई 2010.
  13. "A new Texas? Ohio's death penalty examined – Campus". मूल से 2 जून 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 मई 2010.
  14. "THE DEATH PENALTY IN JAPAN-FIDH > Human Rights for All / Les Droits de l'Homme pour Tous". मूल से 28 अगस्त 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 मई 2010.
  15. "अबॉलीशन एण्ड रिटेन्शनिस्ट कंट्रीज़". मूल से 15 फ़रवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 जून 2008.
  16. ऍम्नेस्टी इंटरनेशनल Archived 2012-12-03 at आर्काइव डॉट टुडे डेथ सेंटेंस इन 2009
  17. "चाइना एग्ज़ीक्यूशंस श्राउडेड इन सीक्रेसी". बीबीसी समाचार. 29 दिसम्बर 2009. मूल से 26 अप्रैल 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 अप्रैल 2010.
  18. "संग्रहीत प्रति". मूल से 24 अप्रैल 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 मई 2010.

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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