मुल्ताई

मुलताई (मुलतापी)

मुल्ताई (Multai) भारत के मध्य प्रदेश राज्य के बैतूल ज़िले में स्थित एक नगर है।[1][2]

मुल्ताई
Multai
मूलतापी
मुल्ताई में ताप्ती नदी
मुल्ताई में ताप्ती नदी
मुल्ताई is located in मध्य प्रदेश
मुल्ताई
मुल्ताई
मध्य प्रदेश में स्थिति
निर्देशांक: 21°47′N 78°16′E / 21.78°N 78.26°E / 21.78; 78.26निर्देशांक: 21°47′N 78°16′E / 21.78°N 78.26°E / 21.78; 78.26
ज़िलाबैतूल ज़िला
प्रान्तमध्य प्रदेश
देश भारत
ऊँचाई749 मी (2,457 फीट)
जनसंख्या (2011)
 • कुल29,976
भाषाएँ
 • प्रचलितहिन्दी
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)
पिनकोड460661
बैतूल जिला मानचित्र

मुलताई को मुलतापी के नाम से भी जाना जाता हैं। यह शहर सुर्यपुत्री सलीला माँ ताप्ती का उद्गम स्थल हैं। मान्यता यह हैं की माँ ताप्ती का जन्म मुल्ताई के नारद टेकरी नामक स्थान से हुआ हैं मुल्ताई के निकट प्रभात पट्टन और बेतुल प्रमुख शहर है। यह मुल्ताई मध्य-प्रदेश . के दक्षिणी क्षेत्रों में आता है और सतपुड़ा पठार क्षेत्र का लगभग आधा क्षेत्र इसके अन्तर्गत्त आता है। कस्बे के कई गांवों के फ़ैलाव सहित सतपुड़ा क्षेत्र में उत्तरी ओर नर्मदा घाटी और दक्षिण के मैदानों के बीच काफ़ी फ़ैला हुआ है। इसके पश्चिमी ओर निमार (पूर्वी) और अमरावती जिलों के बीच वन क्षेत्र का विस्तार है। यह कस्बा ताप्ती नदी के उत्तरी तट पर स्थित है और इस नदी का मूलस्थान भी है।मुलताई का मूल नाम मूलतापी था, तापी नदी के उद्गम या मूलस्थान होने के कारण पड़ा था। मराठा एवं ब्रिटिश राज के समय मुलताई क्षेत्रीय मुख्यालयों में से एक रहा है और जो उत्तर में जिला मुख्यालय से और दक्षिण में महाराष्ट्र के नागपुर जिला मुख्यालय को जोड़ता था।

मुल्ताई अपने पड़ोसी क्षेत्रों से भली-भांति रेल एवं सड़क मार्गों द्वारा जुड़ा हुआ है। निकटतम विमानक्षेत्र नागपुर है जो 120 किमी दूर है एवं मुल्ताई से बस एवं टैक्सी सेवाओं द्वारा जुड़ा हुआ है। राष्ट्रीय राजमार्ग ४७ और राष्ट्रीय राजमार्ग ३४७ यहाँ से गुज़रते हैं।

मुलताई की भौगोलिक निर्देशांक स्थित 21°46′N 78°15′E / 21.77°N 78.25°E / 21.77; 78.25 है।[3] यहां की औसत ऊंचाई 749  मीटर (2457  फ़ीट) है। मुलताई के उत्तर में आमला और दक्षिण में महाराष्ट्र का अमरावती जिला है। इसके पूर्व में छिंदवाड़ा जिला और पश्चिम में बैतूल हैं। नगर की दक्षिणी सीमा मेलघाट शृंखला की तराई में फ़ैली है, किन्तु अमरावती के हट्टी घाट एवं चिकल्दा इसकी सीमा से बाहर हैं। नगर जम्बादी से ६ किमी, सण्डिया से ७ किमी, सिरसावाड़ी से ७ किमी, कर्पा से ८ कि.मी, नरपा से ९ कि.मी है। ये यहां के मुख्य ग्राम हैं। मुलताई कस्बे के दक्षिण में प्रभात पट्टन तहसील, उत्तर में आमला तहसील, दक्षिण में वरूड़ तहसील एवं पूर्व में पांढुर्णा जिला [4] स्थित हैं।

मुलताई भारत की बड़ी नदी ताप्ती का उद्गम होने के कारण एक हिन्दू धामिक क्षेत्र भी है। हिन्दू मान्यता अनुसार ताप्ती माता भगवान सूर्य की पुत्री हैं। ताप्ती माता के यहां दो प्रमुख मन्दिर हैं एक प्राचीन मन्दिर और एक नवीन मन्दिर। ताप्ती नदी की जयन्ती के दिन यहां अखण्ड सप्तमी ताप्ती जन्मोत्सव मनाय़ा जाता है और शहर को सजाय़ा जाता है। इसके अलावा यहां कई भगवान शिव, हनुमान आदि हिन्दू भगवानों के मन्दिर भी हैं।

जनसांख्यिकी

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2001 के अनुसार  के भारतीय जनगणना अनुसार,[5] मुल्ताई कस्बे की कुल जनसंख्या २१,४२८ है। इसमें ५२% पुरुष एवं ४८% स्त्रियां हैं। यहां की साक्षरता दर ७४% है जो राष्ट्रीय दर ५९.५% से कहीं अधिक है। इनमें पुरुष साक्षरता दर ७९% एवं स्त्री साक्षरता दर ६८% हैं। यहां की १३% जनसंख्या ६ वर्ष की आयु से कम की है।

संस्कृति

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नगर में बहुरंगी संस्कृति दिखाई देती है जिसका कारण यहां कई धर्म एवं परम्पराओं का संगम है। जिले के उत्तरी भाग में बुन्देलखंडी भाषा एवं संस्कृति की झलक दिखाई देती है तो दक्षिणी क्षेत्रों में मराठी भाषा एवं संस्कइतु बहुल है। शेष जिला मुख्यतः जनजातीय क्षेत्र है जिनमें गोंड एवं कोरकू मुख्य हैं जो बाबा महादेव को पूजते हैं तथा अनेक अंधविश्वासों एवं प्रथाओं के साथ पशु बलि तक देते हैं। ये लोग अभी तक प्राकृतिक चिकित्सा एवं जड़ी-बूटियों पर ही निर्भर हैं। मुलताई में मेघनाथ का मेला लगता है [6]

यहां के मुख्य धर्मों में हिन्दू धर्म आता है, जिसके साथ ही यहां मुस्लिम, सिख, जैन एवं ईसाई लोग भी रहते हैं। प्रमुख हिंदू जातियों में भोयर पवार/पवार, राजपूत, कुर्मी, कुन्बी हैं। इसके अलावा गोंड, भील, कोरकू आदि है । बोली जाने वाली भाषाओं में हिन्दी, पवारी/भोयरी , मराठी, गोंडी एवं कोरकू हैं।

ताप्ती नदी

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सूर्यपुत्री माँ ताप्ती नदी उद्गम स्थल मुलताई बैतूल जिला एवं मध्यप्रदेश में पर्यटन का मुख्य केन्द्र है। [7]

सूर्य पुत्री पुण्य सलिला ताप्ती का पौराणिक महत्व अपार है। मान्यता है कि ताप्ती जल से दिवंगत परिजनों के लिए तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। पितृपक्ष के दौरान महाराष्ट्र प्रदेश के साथ अन्य नगरों से भी बड़ी संख्या में लोग ताप्ती सरोवर पर तर्पण करने पहुंचते है।[8]

इन्हें भी देखें

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  1. "Inde du Nord: Madhya Pradesh et Chhattisgarh Archived 2019-07-03 at the वेबैक मशीन," Lonely Planet, 2016, ISBN 9782816159172
  2. "Tourism in the Economy of Madhya Pradesh," Rajiv Dube, Daya Publishing House, 1987, ISBN 9788170350293
  3. "Falling Rain Genomics, Inc - Multai". मूल से 27 अप्रैल 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 फ़रवरी 2015.
  4. Malviya, Laxminarayan (2023-08-26). "Pandhurna District: MP का 54वां जिला पांढुर्ना बनने से किसको होगा फायदा, सरकार ने जारी किया गजट नोटिफिकेशन". https://hindi.oneindia.com. अभिगमन तिथि 2023-10-21. |website= में बाहरी कड़ी (मदद)
  5. "भारतीय जनगणना 2001: Data from the 2001 Census, including cities, villages and towns (Provisional)". Census Commission of India. मूल से 16 जून 2004 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 नवंबर 2008.
  6. "​​​​​​​मुलताई में होली पर्व होली पर लगाया गया मेघनाथ का मेला, 40 फिट ऊंचे मेघनाथ पर रस्सा बांधकर झूले लोग". Dainik Bhaskar. March 18, 2022. अभिगमन तिथि March 30, 2022. |title= में 1 स्थान पर zero width space character (मदद)
  7. "Tapti River". जिला प्रशासन बैतूल. 13 September 2013. मूल से 18 फ़रवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 September 2014.
  8. "ताप्ती तट पर तर्पण से मिलता है मोक्ष। | ABG News". 2022-09-10. मूल से 10 सितंबर 2022 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2022-09-10.