मासूम (1983 फ़िल्म)

1983 की शेखर कपूर की फ़िल्म

मासूम 1983 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। यह समीक्षकों द्वारा प्रशंसित फिल्म निर्माता शेखर कपूर के निर्देशन की शुरुआत थी। इस फिल्म में तनुजा, सुप्रिया पाठक और सईद जाफ़री के साथ प्रमुख भूमिकाओं में नसीरुद्दीन शाह और शबाना आज़मी हैं। इसमें जुगल हंसराज, आराधना और उर्मिला मातोंडकर बाल कलाकार हैं। पटकथा, संवाद और गीत गुलजार द्वारा लिखे गए जबकि संगीत आर॰ डी॰ बर्मन द्वारा दिया गया।

मासूम

मासूम का पोस्टर
निर्देशक शेखर कपूर
पटकथा गुलज़ार
निर्माता चंदना दत्त
देवी दत्त
अभिनेता नसीरुद्दीन शाह,
शबाना आज़मी,
जुगल हंसराज,
उर्मिला मातोंडकर
छायाकार प्रवीण भट्ट
संगीतकार आर॰ डी॰ बर्मन
प्रदर्शन तिथि
22 अक्तूबर 1983
लम्बाई
165 मिनट
देश भारत
भाषा हिन्दी

इंदु (शबाना आज़मी) और डीके (नसीरुद्दीन शाह) की सुखी विवाह जीवन और दो बेटियां हैं - पिंकी और मिन्नी। वह दिल्ली में रहते हैं। उनके जीवन की शांति तब बाधित होती है जब डीके को यह जानकारी मिलती है कि उसका एक और पुत्र है। वो 1973 में नैनीताल की यात्रा के दौरान भावना (सुप्रिया पाठक) के साथ संबंध का नतीजा है। ये उस समय की बात है जब उसकी पत्नी इंदु अपने पहले बच्चे पिंकी (उर्मिला मातोंडकर) को जन्म देने वाली थीं। भावना ने अपने बेटे के बारे में डीके को इसलिये नहीं बताया क्योंकि वह डीके के वैवाहिक जीवन में बाधा नहीं डालना चाहती थीं। अब जब वह मर गई है तो उसके अभिभावक मास्टरजी ने डीके को यह जानकारी दी कि उसका बेटा राहुल (जुगल हंसराज), जो नौ वर्ष का है को घर की जरूरत है। इंदु की आपत्तियों के बावजूद, जो अपने पति की बेवफाई के बारे में जानकर भिखर गई है। डीके उस लड़के को दिल्ली में उनके साथ रहने के लिए लाता है। राहुल को कभी नहीं बताया गया है कि डीके उसका पिता है। वह डीके और उसकी बेटियों के साथ मेलभाव करता हैं। लेकिन इंदु उसे देखना सहन नहीं कर पाती क्योंकि वह डीके के विश्वासघात की एक वास्तविक याद है।

डीके, राहुल द्वारा उसके परिवार पर होने वाले असर से चिंतित होकर उसे बोर्डिंग स्कूल सेंट जोसेफ'स कॉलेज, नैनीताल में डालने का फैसला करता है। राहुल अनिच्छा से स्वीकार करता है। नैनीताल में स्थायी तौर से जाने से पहले राहुल को पअता चल जाता है कि डीके उसके पिता हैं और वह घर से भाग जाता है। पुलिस अधिकारी द्वारा घर लाने के बाद, राहुल अपने पिता की पहचान के बारे में जागरूकता स्वीकार करता है। इंदु उसके दिल को टूटना सहन नहीं कर पाती और नैनीताल की ट्रेन में बैठाने से पहले राहुल को रोकती है। वह उसे परिवार में शामिल करती है और दिल से डीके को माफ कर देती है। जिसके बाद वे खुशी से घर जाते हैं।

मुख्य कलाकार

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सभी गीतों के लिए बोल गुलजार द्वारा लिखें गए थे और संगीत आर॰ डी॰ बर्मन द्वारा दिया गया।

क्र॰शीर्षकगायकअवधि
1."दो नैना और एक कहानी"आरती मुखर्जी05:26
2."हुजूर इस कदर"सुरेश वाडकर, भूपिंदर सिंह03:53
3."तुझसे नाराज नहीं जिंदगी (पुरुष)"अनूप घोषाल05:41
4."तुझसे नाराज नहीं जिंदगी (महिला)"लता मंगेशकर03:37
5."लकड़ी की काठी"वनीता मिश्रा, गौरी बापट, गुरप्रीत कौर03:57

नामांकन और पुरस्कार

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वर्ष पुरस्कार श्रेणी नामित परिणाम
1984 फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता नसीरुद्दीन शाह जीत
1984 फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक आर॰ डी॰ बर्मन जीत
1984 फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ गीतकार गुलज़ार "तुझसे नाराज नहीं" के लिये जीत
1984 फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका आरती मुखर्जी "दो नैना एक कहानी" के लिये जीत
1984 फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म नामित
1984 फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ निर्देशक शेखर कपूर नामित
1984 फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री शबाना आज़मी नामित

बाहरी कड़ियाँ

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