मालवा सल्तनत मालवा क्षेत्र में मध्यकालीन इस्लामिक सल्तनत थी जो वर्तमान मध्य प्रदेश और दक्षिण-पूर्वी राजस्थान पे 1392 से 1562 तक राज करती थी। इसकी स्थापना दिलावर खान ने की थी। तैमूर के आक्रमण के बाद दिल्ली सल्तनत के अस्त-व्यस्त होने पे 1401/2 में मालवा को एक स्वतंत्र क्षेत्र बना लिया गया। 1561 में, सल्तनत के अंतिम शासक बाजबहादुर को मुगल साम्राज्य ने पराजित कर दिया और मालवा मुगल साम्राज्य का सूबा बन गया।[1]

1525 में मालवा सल्तनत।

शुरुआत में दिलावर खान दिल्ली सल्तनत का राजयपाल था जो अफ़ग़ान या तुर्क-अफ़ग़ान मूल का था। दिलावर खान ने 1392 के बाद दिल्ली को अदायगी देना बंद कर दिया था। 1437 में, खिलजी तुर्क महमूद खिलजी द्वारा दिलावर खान के वंश को ताज-ओ-तख़्त से उखाड़ फेंका गया था। प्रारंभ में धार नए राज्य की राजधानी थी। लेकिन जल्द ही इसे मांडू में स्थानांतरित कर दिया गया जिसका नाम बदलकर शादियाबाद (आनंद का शहर) कर दिया गया। उसकी मृत्यु के बाद उसका पुत्र होशंग शाह गद्दी पर बैठा।

बाद में गुजरात सल्तनत के ज़फर खान मुजफ्फर शाह प्रथम ने मालवा पर आक्रमण किया। होशंग को पराजित किया गया और अपने राजयपाल को धार में नियुक्त किया। 1561 में, अकबर ने अधम खाँ और पीर मुहम्मद खान के नेतृत्व में मुगल सेना भेजी जिसने मालवा पर हमला किया और 29 मार्च 1561 को सारंगपुर की लड़ाई में बाजबहादुर को हराया। 1562 में, अकबर ने उज़बेग अब्दुल्ला खान के नेतृत्व में एक और सेना भेजी, जिसने अंततः बाजबहादुर को हरा दिया। वह चित्तौड़ भाग गया।

उज्जैन के राजधानी के रूप में मालवा मुगल साम्राज्य का सूबा (शीर्ष-स्तरीय प्रांत) बन गया और अब्दुल्ला खान इसके पहले सूबेदार बने। सल्तनत काल के दौरान बने लगभग सारे स्मारक मांडू शहर में केंद्रित हैं।

  1. Bharatvarsh, TV9 (26 फरवरी 2023). "जहर पिया पर मुगलों के आगे नहीं झुकीं... जानिए कौन थीं खूबसूरती और सुरों की मलिका रूपमती". TV9 Bharatvarsh. अभिगमन तिथि 13 मई 2023.