मारवाड़ी भाषा
मारवाड़ी[1] राजस्थान में बोली जाने वाली एक क्षेत्रीय बोली है। यह राजस्थान की एक मुख्य भाषाओं में से एक है। मारवाड़ी जोधपुर में सबसे ज्यादा बोली हैं इसके अलावा ये कुछ हिस्से जैसे गुजरात, हरियाणा और पूर्वी पाकिस्तान में भी बोली जाती है। इसकी मुख्य लिपि देवनागरी है। इसकी कई उप-बोलियाँ भी है। पूरे भारत में 2.45 करोड़ लोग मारवाड़ी बोलते हैं
मारवाड़ी की लिपि देवनागरी लिपि ही हैं, जिसके एक अपभ्रंश रुप से ये निकली हैं जो कि पूर्व में आर्य भाषा परिवार का की हिस्सा थी लेकिन वर्तमान में कई हिस्सों में इसका विस्तार होने के कारण कई भाषा विषैयी अनपढ़ लोग इसे अछूत ( पूर्व ) जनजातियों के नाम से जैसे मौडिया जेसे शब्दओउत्पन से जोड़ कर इसका श्रेय लेने की भरपूर जीतोड़ कोशिश करते रहते है । परन्तु इस लिपि के विकास में राजपुताने राजस्थान के राजा-महाराजा (वर्तमान में राजस्थान राज्य) व राजस्थान सरकार ने कोई विशेष ध्यान नहीं दिया। हाल ही में राजस्नेथान के कई जाने मने सोशल मिडिया कलाकारों जैसे राजवीर चलकोई, प्रेमन जी निकू बन्ना शेर सिंह राठौड़ इत्यादी सभी ने मिल कर राजस्थानी ( मारवाड़ी ) भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करवाने के लिए बहुत प्रयास किये, लेकिन हिंदी भाषी लोगो के विरोध के चलते वे इसमें असफल रहे। पिछले ४०-५० सालों से इस भाषा के विकास पर बातें तो बहुत होती रही है पर कार्य के मामले में कोई विशेष प्रगति नहीं दिखी। इन दिनों सन् 2011 से कोलकाता के श्री शम्भु चौधरी इस दिशा में काफी कार्य किया है। राजस्थानी भाषा [2]कि लिपि के संदर्भ में यह गलत प्रचार किया जाता रहा कि इसकी लिपि देवनागरी है जबकि राजस्थान के पुराने दस्तावेजों से पता चलता है कि इसकी लिपि देवनागरी लिपि[3] हैं जो प्राकृत हिंदी का ही एक अपभ्रंश रुप हैं ।
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बोलियाँ
संपादित करेंजॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन ने राजस्थानी बोलियों के पारस्परिक संयोग एवं सम्बन्धों के विषय में लिखा तथा वर्गीकरण किया है। ग्रियर्सन का वर्गीकरण इस प्रकार है :- १. पश्चिमी राजस्थान में बोली जाने वाली बोलियाँ - मारवाड़ी, ढाटकी, बीकानेरी, देवड़ावाटी आदि।
विशेषताएँ
संपादित करेंराजस्थानी- मारवाडी[4] भाषा में 'ह' वर्ण विशेष हैं,जो किसी अन्य भाषाओं में नहीं पाया जाता।
राजस्थानी- मारवाडी भाषा में 'सडक' को 'हडक' बोला जाता है और कई शब्द ऐसे हैं, जो 'ह' की जगह 'स' के प्रयोग से अभिव्यक्त नहीं होते। स्वर-विज्ञान में 'ह' को sʰ दर्शाया जाता है।
मारवाड़ी भाषा की पारंपरिक लिपि
संपादित करेंइसकी लिपि देवनागरी अपभ्रंश हैं । इन दिनों इसका प्रचलन प्रायः सामाप्त हो चुका है। सन् 2011 से कोलकाता के श्री शम्भु चौधरी ने पुनः इस लिपि पर नए सिरे से कार्य करना शुरु कर दिया है।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "मारवाड़ी खबर - मारवाड़ी म्हारी पहचाण" (अंग्रेज़ी में). 2025-01-15. अभिगमन तिथि 2025-01-15.
- ↑ "मारवाड़ी खबर - मारवाड़ी म्हारी पहचाण" (अंग्रेज़ी में). 2025-01-15. अभिगमन तिथि 2025-01-15.
- ↑ "मारवाड़ी खबर - मारवाड़ी म्हारी पहचाण" (अंग्रेज़ी में). 2025-01-15. अभिगमन तिथि 2025-01-15.
- ↑ "मारवाड़ी खबर - मारवाड़ी म्हारी पहचाण" (अंग्रेज़ी में). 2025-01-15. अभिगमन तिथि 2025-01-15.
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- ↑ मारवाड़, पब्लिकेशन. "मारवाड़ी भाषा". Org :- MARWADI KHABAR PUBLICATION Govt. Lmt JAIPUR RAJASTHAN. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0028-0836 – वाया https://marwadikhabar.in/.
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