गंगा तट पर बसी एक बहुत ही मनोरम नगरी काशी के सभी घाट रमणीक है। यहाँ कुछ एक घाटों का विशेष महत्व है, जिनमें से मान-मंदिर घाट एक है। इस घाट को जयपुर के महाराजा जय सिंह द्वितीय ने सन॒ १७७० बनवाया था। इन्हें खगोल शास्त्र में विशेष लगाव था, इस कारण इन्होंने भारत में जयपुर मथुरा दिल्ली उज्जैन एवं वाराणसी में वेधशाला का निर्माण करवाया था। यहाँ आकाश में घटित होने बाले घटना की पहले से जानकारी हो जाती है।  इस घाट के उत्तरी ओर एक सुंदर वारजा है, जो सोमेश्वर लिंग को अर्घ्य देने के लिये बनवाया गई थी।