मांडया
मांडया (Mandya) भारत के कर्नाटक राज्य के मांडया ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले के मुख्यालय भी है।[1][2]
मांडया Mandya ಮಂಡ್ಯ | |
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मांडया बस अड्डा | |
निर्देशांक: 12°31′N 76°54′E / 12.52°N 76.90°Eनिर्देशांक: 12°31′N 76°54′E / 12.52°N 76.90°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | कर्नाटक |
ज़िला | मांडया ज़िला |
ऊँचाई | 678 मी (2,224 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 1,31,211 |
भाषा | |
• प्रचलित | कन्नड़ |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 571401 |
वेबसाइट | https://mandya.nic.in/en/ |
विवरण
संपादित करेंहिन्दू पौराणिक कथा के अनुसार सागा मांडवया ने यहां पर तपस्या की थी। तभी से इस स्थान को मांडया के नाम से जाना जाता है। मांडया बैंगलोर से लगभग 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मांडया पहले मैसूर जिले का हिस्सा था। यह स्थान समुद्र तल से 2500-3000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस जिले में पांच प्रमुख नदियां कावेरी, हेमवती, शिमाशा, लोकपावनी और वीरवैष्णवी बहती है। यहां पानी का प्रमुख स्रोत कावेरी नदी है। इसी नदी पर कृष्णराज सागर बांध बना हुआ है। इसी बांध द्वारा इस जिले में पानी की आपूर्ति की जाती है। कृषि मांडया के लोगों का प्रमुख व्यवसाय है। इस जिले में चीनी और धान की उपज काफी अधिक मात्रा में होती है। इसके अतिरिक्त यहां चीनी के तीन बड़े कारखाने है। इसी जगह पर शिवनासमुद्र जल विद्युत संयंत्र की स्थापना 1901 में हुई थी। यह एशिया का पहला जल विद्युत शक्ति संयंत्र है।
प्रमुख आकर्षण
संपादित करेंश्रीरंगापानाथ मंदिर
संपादित करेंयह द्वीप मांडया से 25 किलोमीटर की दूरी पर बैंगलोर-मैसूर हाईवे पर स्थित है। इस स्थान का ऐतिहासिक महत्व भी है। विशेष रूप से यह स्थान हैदर अली और उनके पुत्र टीपू सुल्तान के लिए के प्रसिद्ध है। इस मंदिर में भगवान विष्णु विशाल सांप पर निद्रासन की मुद्रा में विराजमान हैं।
दरिया दौलत बाग
संपादित करेंइस बाग का निर्माण 1784 में किया गया था। यह बाग गार्मियों के समय में टीपू सुल्तान की पहली पसंद होती थी। इंडो-अरबी शैली में बना यह बगीचा सागौन की लकड़ी से बना हुआ है जो कि काफी खूबसूरत है। इस बगीचे की दीवारों पर खूबसूरत चित्रकारी भी देखी जा सकती है। जिस पर आंग्ल-मैसूर युद्ध को दर्शाया गया है।
गंजम
संपादित करेंयह जगह टीपू सुल्तान ने अपने पिता हैदर अली खान और मां की याद में बनवाया था।
रंगानाथईत्तू
संपादित करेंयह एक वन्य जीव अभ्यारण है। जो कि दक्षिण-पश्चिम श्रीरंगापटना से चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह अभ्यारण कावेरी नदी के किनार स्थित है, जो कि छ: द्वीपों के समूह से जुड़ा हुआ है। इस अभ्यारण की स्थापना 1940 में डॉ॰ सलीम अली द्वारा की गई थी। यहां पक्षियों की विभिन्न प्रजातियां देखी जा सकती है। इस अभ्यारण में घूमने के लिए सबसे उचित समय जून से अक्टूबर है।
श्री कृष्णा राजा सागर बांध
संपादित करेंश्री कृष्णा राजा सागर बांध की योजना का कार्य व निर्माण एम. विश्वशरैया ने 1932 में शुरू किया था। इस बांध से कावेरी, हेमावती और लक्ष्मण तीर्थ नदियां आपस में मिलती है। इस बांध की लंबाई 2621 मीटर और ऊंचाई 39 मीटर है।
वृंद्वावन गार्डन
संपादित करेंयह बगीचा कुल 130 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इस खूबसूरत बगीचे के एक ओर जहां कृष्णराज सागर बांध है वहीं दूसरी ओर फाउंटेन है। यहां एक छोटी सी झील भी है जिसमें बोटिंग का मजा भी लिया जा सकता है।
शिवनासमुद्रम जलप्रताप
संपादित करेंयह जगह मांडया से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। शिवनासमुद्रा जलप्रताप भारत का दूसरा बड़ा जलप्रताप है।
दॉ ईस्टन जलप्रपात
संपादित करेंबारा चौक्की- शिवनासमुद्रा से यह जगह दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह जगह ब्लफ के नाम से भी काफी प्रसिद्ध है। इस झरने के आस-पास विभिन्न प्रकार के वृक्ष देखे जा सकते हैं।
कुंतीबेटा
संपादित करेंपर्वत पर ट्रैकिंग के लिए यह बिल्कुल उचित जगह है। दरअसल यह दो पर्वत है। जिनका नाम कुंतीबेटा और भीमनबेटा है। यह जगह पांडवपुर शहर के काफी समीप है। ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर पांचों पांडव व उनकी माता कुंती कुछ समय तक रही थीं।
आवागमन
संपादित करें- रेल मार्ग
मांडया स्टेशन सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है। यह जगह कई प्रमुख शहरों जैसे बैंगलोर, मैसूर, शिमोग, चैन्नई, त्रिरूपति और दिल्ली से रेलवे द्वारा जुड़ा हुआ है।
- सड़क मार्ग
मांडया सड़क मार्ग द्वारा देश के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Lonely Planet South India & Kerala," Isabella Noble et al, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012394
- ↑ "The Rough Guide to South India and Kerala," Rough Guides UK, 2017, ISBN 9780241332894