महाव्रत
जैन धर्म में निम्नलिखित पाँच व्रतों को महाव्रत कहा जाता है-
- अहिंसा (हिंसा न करना)
- सत्य (झूठ न बोलना अर्थात् सदैव सत्य बोलना)
- अस्तेय (चोरी न करना)
- ब्रह्मचर्य (इंद्रिय निग्रह करना )
- अपरिग्रह (धन का संग्रह न करना)
पांचवा व्रत ब्रह्मचर्य महावीर द्वारा प्रतिपादित किया गया है
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