भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान
भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान (आईआईआरएस), भारत सरकार के अन्तरिक्ष विभाग के राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केन्द्र के अंतर्गत एक प्रमुख प्रशिक्षण एवं शिक्षण संस्थान है। इसे सुदूर संवेदन, भू-सूचना एवं प्राकृतिक संसाधनों तथा आपदा प्रबंधन हेतु जीपीएस प्रौद्योगिकी में व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए विकसित किया गया है।
संस्थान के प्रमुख कार्यों का क्षेत्र प्रयोक्ता समुदाय के बीच प्रौद्योगिकी अंतरण द्वारा क्षमता निर्माण, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन हेतु सुदूर संवेदन एवं भूरूपाकृतिक तथा सुदूर संवेदन के अनुप्रयोगों में स्नातकोत्तर स्तर का शिक्षण तथा सुदूर संवेदन एवं भूरूपाकृतिक में किए गए अनुसंधानों का प्रचार-प्रसार है। इस संस्थान द्वारा प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, सुदूर संवेदन, जीआईएस तथा जीपीएस प्रौद्योगिकी में अधिमूल्य सेवाएं उपलब्ध करायी जाती है।
उद्देश्य
संपादित करें1- प्रयोक्ता समुदाय के बीच प्रौद्योगिकी अंतरण
2- प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन हेतु सुदूर संवेदन तथा भूरूप्राकृतिक में स्नातकोत्तर स्तर का शिक्षण
3- सुदूर संवेदन तथा भूरूपाकृतिक में किए गए अनुसंधान का प्रचार-प्रसार तथा,
4- अधिमूल्यता एवं सेवाएं
इतिहास
संपादित करेंभारतीय सुदूर संवेदन संस्थान पूर्व में 'भारतीय फोटो अर्थनिर्वचन संस्थान' (आईपीआई) के नाम से जाना जाता था। उभरती प्रौद्योगिकियों से संबंधित अनुभवी लोगों के सान्निध्य में विस्तृत प्रशिक्षण उपलब्ध कराने के लिए भारतीय सर्वेक्षण विभाग के तत्वाधान में सन् 1966 में इसकी स्थापना हुई थी। सन् 1970 के आरंभ में सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकियों के बढ़ते प्रयोग के साथ ही सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकी में प्रशिक्षित जनशक्ति की जरूरत को महसूस किया गया तथा सन् 1976 में यह संस्थान नेशनल रिमोट सेन्सिंग एजेन्सी में विलीन हो गया। सन् 1970 के अंतिम दौर तथा सन् 1980 के आरंभिक समय में प्राकृतिक संसाधनों के सर्वेक्षण तथा प्रबंधन हेतु सुदूर संवेदन एक शक्तिशाली तकनीक के रूप में उभरने लगा। सन् 1980 में एनआरएसए, अन्तरिक्ष विभाग, भारत सरकार की छत्रछाया में आ गया जो राष्ट्र के सामाजिक एवं आर्थिक लाभ के लिए अन्तरिक्ष प्रौद्योगिकी तथा विज्ञान के विकास एवं अनुप्रयोग हेतु एकमात्र केन्द्र है। आईआईआरएस लोगों को प्रशिक्षित कर प्रयोक्ता समुदाय को विस्तृत बनाता है इसके साथ ही यह आंकड़ा क्रय बाजार को भी सक्रिय बनाता है।
भारत सरकार ने नेशनल रिमोट सेन्सिंग एजेन्सी (एनआरएसए) को एक सरकारी केन्द्र बना कर उसके नाम को परिवर्तित कर भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अंतर्गत राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केन्द्र (एनआरएससी) बनाने का अनुमोदन प्रदान किया तथा यह 01 सितंबर 2006 से प्रभावी रूप में लागू हुआ।