भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India) भारत सरकार के खान मंत्रालय के अधीन कार्यरत एक संगठन है। इसकी स्थापना १८५१ में हुई थी। इसका कार्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और अध्ययन करना है। ये इस तरह के दुनिया के सबसे पुराने संगठनों में से एक है।[1]

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण
चित्र:Geological Survey of India Logo.png
कोलकाता में जी एस आई का मुख्यालय
अवलोकन
गठन १८५१
अधिकारक्षेत्रा भारत
मुख्यालय कोलकाता, भारत
चाइल्ड खनन मंत्रालय
वेबसाइट
[1]
१८७० में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के सदस्यगण

इसका उद्गम सन १८३६ में हुआ था, जब एक समिति, जिसका नाम कोयला समिति थी, का गठन किया गया था। इसकी स्थापना ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत के पूर्वी क्षेत्रों में कोयले की उपलब्धता की खोज एवं अध्ययन करने हेतु की गयी थी। ऐसी ही एक समिति द्वारा अपनी १८४८-१८४९ की एक रिपोर्ट में पहली बार जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया वाक्यांश का प्रयोग किया गया था। 4 फरवरी, 1848 को सर डैविड विलियम्स को भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग का भूगर्भीय सर्वेक्षणकर्ता (जियोलॉजिकल सर्वेयर) नियुक्त किया गया था। 1848 में उनकी मृत्योपरंत, मैक्लेलैंड ने कार्यकारी सर्वेयर का पदभार ग्रहण किया और 5 मार्च, 1851 को अपने सेवा-निवृत्त होने तक निभाया।

इसी समय में, 1852 में सर थोमस ओल्डहैम ने इस विभाग के कार्यक्षेत्र को बढ़ाने की गुंजाइश ढूंढी। और परिणामतः जी.एस.आई. को विस्तृत भूगर्भीय अध्ययन, एवं तत्कालीन अविभाजित भारत के पार्थिव विज्ञान के अध्ययन हेतु विस्तार किया गया।

भूगर्भीय सर्वेक्षण विभाग द्वारा अनुरक्षित दो भूगर्भीय उद्यान हैं:-

सकेती जीवाश्म उद्यान

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शिवालिक के लुप्त हो चुके हाथियों का वार्तविक आकारीय फाइबर ग्लास प्रतिरूप, जिसका हाथी-दांत लगभग 18 फीट लम्बा है।
 
शिवालिक के लुप्त हो चुके महा-कच्छप का वार्तविक आकारीय फाइबर ग्लास प्रतिरूप।

सकेती जीवाश्म उद्यान कालाअम्ब से 5 कि॰मी॰ है (यह चंडीगढ़ से 85कि.मी. दूर, अंबाला से 65 कि.मी; नहान से 22 कि.मी तथा देहरादून से 110 कि॰मी॰ दूर) स्थित है। यहां एक छोटा जीवाश्म संग्रहालय है, जिसमें लगभग पच्चीस से दस लाख वर्ष पूर्व के, भिन्न जीव-समूहों, जैसे स्तनधारी, सरीसृप, मत्स्य, एवं खासकर शिवालिक की पहाड़ियों के आसपास रहने वाले जीवों के अवशेष (जैसे खोपड़ी, दांत, जबड़े, आदि) के जीवाश्म प्रदर्शन मंजूषा में संग्रहीत हैं। इस उद्यान में उत्तम स्तर के फाइबर-ग्लास निर्मित प्रागैतिहासिक जीवों के छः प्रतिरूप प्रदर्शित हैं, जो शिवालिक क्षेत्र में आवास करते थे, जिनमें 18 फीट के हाथी-दांत वाला हाथी, 3 मीटर का महा-कच्छप आदि प्रमुख हैं।

इन्हें भी देखें

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  1. Allen's Indian Mail Vol VII No 117 London Monday, 22 जनवरी 1849 p41

बाहरी कड़ियाँ

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