भारतीय अन्तरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान
भारतीय अन्तरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (IIST / आई॰ आई॰ एस॰ टी॰) भारत एवं एशिया का प्रथम अंतरिक्ष विश्वविद्यालय है। यह तिरुवनंतपुरम शहर के वलियमला क्षेत्र में स्थित है। इसकी स्थापना 14 सितम्बर 2007 को गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर हुई थी। भारत के पूर्व राष्ट्रपति एवं महान वैज्ञानिक डॉ॰ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम यहाँ के कुलपति रह चुके हैं। यह संस्थान इसरो एवं भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग द्वारा प्रायोजित है। संस्थान को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से समविश्वविद्यालय की मान्यता प्राप्त है।
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ध्येय | विद्या सन्धिः प्रवचनं सन्धानम् |
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प्रकार | शैक्षणिक एवं शोध संस्थान |
स्थापित | 2007 |
सभापति | डॉ॰ के॰ राधाकृष्णन |
निदेशक | डॉ॰ के॰ एस॰ दासगुप्ता |
प्रशासनिक कर्मचारी | १२० (लगभग) |
स्नातक | ६०० (लगभग) |
परास्नातक | ५० (लगभग) |
स्थान | तिरुवनंतपुरम, केरल, भारत |
परिसर | 102 एकड़ (0.41 कि॰मी2) |
जालस्थल | www.iist.ac.in |
इतिहास
संपादित करेंअंतरिक्ष विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में कुशल लोगों की कमी को पूरा करने के लिए इस संस्थान की स्थापना की गई है। तत्कालीन इसरो सभापति डॉ॰ माधवन नायर ने इस संस्थान का उद्घाटन 14 सितम्बर 2007 को किया था। अधिक से अधिक छात्रों को आकर्षित करने के लिए यहाँ छात्रों का समस्त शैक्षिक, आवास एवं भोजन शुल्क भारत सरकार वहन करती है। इसके साथ-साथ छात्रों को प्रति सेमेस्टर 3,000 रुपए पुस्तक अनुदान के रूप में मिलते हैं। कोर्स पूरा हो जाने के पश्चात हर छात्र को इसरो में पाँच वर्ष तक सेवा करना जरूरी है। ऐसा न कर पाने की स्थिति में छात्र को दंड स्वरुप 1000000/-रुपए देने का प्रावधान है। यह भारत का एकमात्र संस्थान है जो अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में बी॰ टेक॰ कोर्स उपलब्ध कराता है।
प्रवेश
संपादित करेंआई॰ आई॰ एस॰ टी॰ के स्नातक पाठ्यक्रम में उपलब्ध कुल १५६ सीटों में प्रवेश के लिए वर्ष २०१७ में आयोजित संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जे. ई. ई. - Adv) की क्रमांक सूचि का प्रयोग किया जाएगा। पूर्व काल में वर्ष २००७ से २००९ तक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा आयोजित संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जे. ई. ई.) की क्रमांक सूचि का प्रयोग किया गया और वर्ष २०१० से २०१२ तक आईसैट परीक्षा का आयोजन किया गया। यह परीक्षा देश के सभी प्रमुख शहरों में आयोजित की जाती थी। सन् २०११ में लगभग ९६,००० प्रतिभागी इस परीक्षा में सम्मिलित हुए थे। सुदूर दक्षिण भारत में स्थित होने के बावजूद भी संस्थान में हर प्रदेश के विद्यार्थी प्रवेश लेते हैं।
कैंपस
संपादित करेंइस संस्थान का आरंभ तिरुवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र के ए॰ टी॰ एफ़॰ कैम्पस से हुआ था। संस्थान का स्थायी कैम्पस तिरुवनंतपुरम के निकट स्थित वलियमला में निर्माणाधीन है। शैक्षाणिक इमारतों एवं क्षात्रावासों का निर्माण २०१३ तक पूरा हो जाने की संभावना है। इस कैम्पस का उद्घाटन प्रधान मंत्री डॉ॰ मनमोहन सिंह ने २५ अगस्त २००९ को दिल्ली से विडियो कॉन्फरेंस द्वारा किया था। १५ अगस्त २०१० से संस्थान इसी कैम्पस से काम कर रहा है। अन्तरिक्ष वेधशाला के लिए इसका एक विस्तार कैम्पस तिरुवनंतपुरम की सुरम्य पोन्मुडी पहाड़ियों में बन रहा है।
शैक्षणिक
संपादित करेंयह संस्थान स्नातक, परास्नातक एवं पी. एच. डी. की डिग्री प्रदान करता है। संस्थान निम्नलिखित शैक्षिक कार्यक्रम प्रदान करता है:
- स्नातक कार्यक्रम (4 वर्ष):
- बी. टेक. (भौतिक विज्ञान) के क्षेत्र में अंतरिक्ष अनुप्रयोग के साथ खगोल विज्ञान, पृथ्वी प्रणाली विज्ञान, रासायनिक प्रणाली, ताराभौतिकी, ग्रह विज्ञान और सुदूर संवेदन
- बी. टेक. (ऐविओनिकी)
- बी. टेक. (वांतरिक्ष अभियांत्रिकी)
- स्नातकोत्तर कार्यक्रम (2 वर्ष):
- ऍम. टेक. (सॉफ्ट कम्प्यूटिंग)
- ऍम. टेक. (आर. एफ़. और माइक्रोवेव संचार)
- ऍम. टेक. (प्रयुक्त प्रकाशिकी और अनुकूली प्रकाशिकी)
- ऍम. टेक. (रासायनिक प्रणाली)
विभाग
संपादित करेंविज्ञान
संपादित करें- गणित विभाग
- भौतिकी विभाग
- रसायन विज्ञान विभाग
- पृथ्वी एवं अन्तरिक्ष विज्ञान विभाग
प्रौद्योगिकी
संपादित करें- वांतरिक्ष अभियांत्रिकी विभाग
- एवियोनिकी विभाग
अन्य
संपादित करें- विज्ञानेतर विषय विभाग
छात्र क्लब
संपादित करेंसंस्थान में छात्रों के संपूर्ण विकास के लिए निम्नलिखित क्लब उपस्थित हैं:
वी द स्टारगेज़र्ज़ (खगोल विज्ञान क्लब)
संपादित करेंयह क्लब छात्रों को खगोल विज्ञान के अनेक पहलुओं से अवगत कराता है। अन्तर्राष्ट्रीय खगोल विज्ञान वर्ष २००९ में इस क्लब के छात्रों ने अपरिमित नामक खगोल पर्व का आयोजन किया। साथ ही, इस क्लब के छात्रों ने दो बार टेलेस्कोप बनाने की कार्यशाला और रात्रि-आकाश दर्शन सत्रों का भी आयोजन किया है।
भौतिकी क्लब
संपादित करेंवर्ष २०१० में बना यह क्लब उन छात्रों के लिए है जो विज्ञान के गुह्य रहस्यों को टटोलना चाहते हैं। यहाँ साप्ताहिक सेमिनार द्वारा अनेक प्रकार के विषयों पर चर्चा की जाती है।
क्यू. सी. (प्रश्नोत्तरी क्लब)
संपादित करेंयह क्लब हर सप्ताह प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं का आयोजन करता है जिनमें कला, साहित्य, खेल, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, चलचित्र, राजनीति, आदि विषयों पर प्रश्न पूछे जाते हैं।
वॉक्स मटीरिया (पदार्थ विज्ञान क्लब)
संपादित करेंरसायन विज्ञान विभाग के सौजन्य से शुरु हुए इस क्लब में छात्र नए पदार्थों की खोज एवं निर्माण पर ध्यान देते हैं।
क्रीडा क्लब
संपादित करेंछात्रों द्वारा क्रिकेट, चिड़ी-छिक्का, बास्केटबॉल एवं फ़ुटबॉल के क्लब शुरु किए गए हैं।
अन्य
संपादित करेंदृष्टिकोण संस्थान की वार्षिक पत्रिका है और द साउंडिंग रॉकेट छात्रों द्वारा सम्पादित एवं प्रकाशित समाचार पत्र है।
उत्सव
संपादित करेंआई. आई. एस. टी. में निम्नलिखित उत्सव आयोजित किए जाते हैं:
कॉन्सेन्शिया
संपादित करेंकॉन्सेन्शिया संस्थान का वार्षिक तकनीकी पर्व है। इस पर्व में समस्त भारत से कई प्रतिभागी आते हैं। इसमें विज्ञान एवं प्रौद्योकगिकी की विभिन्न प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाती हैं। वर्ष २०१० में इस उत्सव का उद्घाटन पूर्व राष्ट्रपति डॉ॰ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम ने किया था। उसी वर्ष से अपरिमित की गतिविधियाँ भी इसी पर्व में सम्मिलित कर ली गई हैं।
यह उत्सव हर साल मार्च के महीने में आयोजित किया जाता है।
धनक
संपादित करेंयह संस्थान का सांस्कृतिक पर्व है। 'इन्द्रधनुष' को उर्दू में 'धनक' कहते हैं और इसी पर इस पर्व का नाम रखा गया है। इसमें आयोजित प्रतियोगिताओं में नाट्य, हस्तकला, साहित्य, प्रश्नोत्तरी, संगीत, नृत्य, चलचित्र बनाने, एवं चित्र खींचने की प्रतियोगिताएँ प्रमुख हैं।
कॉन्कॉर्ड्ज़
संपादित करेंकॉन्कॉर्ड्ज़ आई. आई. एस. टी. का पाक्षिक पर्व है जिसमें संस्थान के छात्र-छात्राएं अपनी विविध कलाओं का प्रदर्शन करते हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय गठबंधन
संपादित करेंसंस्थान के अमरीकी संयुक्त राज्य स्थित उस्रा (USRA) एवं विश्व प्रसिद्ध कैलटेक विश्वविद्यालय के साथ गठबंधन है, जिनके अंतर्गत प्रति वर्ष छात्रों का आदान प्रदान किया जाता है। जल्द ही इ. ए. डी. एस.(EADS) से भी इसी तरह के गठबंधन की संभावना है|
सन्दर्भ
संपादित करेंइन्हें भी देखें
संपादित करें- मौलिक विज्ञान प्रकर्ष केन्द्र, मुम्बई (परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा प्रायोजित)
- राष्ट्रीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (NISER भुवनेश्वर) (परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा प्रायोजित)