जैन धर्म में मठों के स्वामी भट्टारक कहलाते हैं। अधिकांश भट्टारक दिगम्बर होते हैं। प्राचीन काल में बौद्धों और सनातनी हिन्दुओं में भी भट्टारक होने के प्रमाण हैं किन्तु आजकल केवल जैन धर्म में ही भट्टारक मिलते हैं, पूर्व समय में संपूर्ण भारत में ही भट्टारक विराजित रहते थे परंतु कालक्रम और विषम परिस्थितियों के कारण वे दक्षिण भारत तक ही सीमित रह गये। वर्तमान में पुनः जिनधर्म के संरक्षण व संवर्धन के लिये भट्टारक परम्परा को संपूर्ण भारत में पुनः स्थापित करने की संयोजना कार्यरत है।

बाहरी कड़ियाँ

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वर्तमान में विराजमान भट्टारक स्वामीजीयो के नाम तथा मठो के नाम :-

1) परम पूज्य जगद्गुरु कर्मयोगी स्वस्ती श्री चारुकीर्ति भट्टारक महास्वामीजी श्री क्षेत्र श्रवणबेलगोला जैन मठ

2) स्वस्ती श्री ललित कीर्ति भट्टारक स्वामीजी ,     श्री क्ष्रेत्र कार्कल

3) स्वस्ती श्री भुवन कीर्ति भट्टारक स्वामीजी ,     श्री क्ष्रेत्र कनकगिरी

4) स्वस्ती श्री धवल कीर्ति भट्टारक स्वामीजी ,    श्री क्ष्रेत्र अरिहन्तगिरी

5) स्वस्ती श्री भानु कीर्ति भट्टारक स्वामीजी , श्री क्ष्रेत्र कम्बदहल्ली

6) स्वस्ती श्री चारुकीर्ति पंडिताचार्यवर्य भट्टारक स्वामीजी ,श्री क्ष्रेत्र मुडबिदरी,

7) स्वस्ती श्री लक्ष्मीसेन भट्टारक स्वामीजी , श्री क्ष्रेत्र चित्तामुरु , तमिलनाडु,

8) स्वस्ती श्री धर्मसेन भट्टारक स्वामीजी , श्री क्ष्रेत्र वरूर

9) स्वस्ती श्री देवेंद्र कीर्ति भट्टारक स्वामीजी ,     श्री क्ष्रेत्र हुम्बुज

10) स्वस्ती श्री भट्टाकलंक भट्टारक स्वामीजी ,    श्री क्ष्रेत्र स्वादि

11) स्वस्ती श्री लक्ष्मीसेन भट्टारक स्वामीजी ,     श्री क्ष्रेत्र नरसिंहराजपुर

12) स्वस्ती श्री जिनसेन भट्टारक स्वामीजी , श्री क्ष्रेत्र नांदनी

13) स्वस्ती श्री सिध्दान्त कीर्ति भट्टारक स्वामीजी ,    श्री क्ष्रेत्र आरतीपुर, मंड्या ।

14) स्वस्ती श्री लक्ष्मीसेन भट्टारक स्वामीजी ,    श्री क्ष्रेत्र कोल्हापुर