बेंगलुरु

भारत के कर्नाटक राज्य की राजधानी
(बेंगलूरू से अनुप्रेषित)

बेंगलूरु (Bengaluru), जिसका पूर्व नाम बंगलूर या बैंगलोर (Bangalore) भी अनाधिकारिक रूप से प्रचलित हैं, भारत के कर्नाटक राज्य की राजधानी है और भारत का तीसरा सबसे बड़ा नगर और पाँचवा सबसे बड़ा महानगरीय क्षेत्र है। बेंगलूरु नगर की जनसंख्या 84 लाख है और इसके महानगरीय क्षेत्र की जनसंख्या 89 लाख है। दक्षिण भारत में दक्कन के पठार पर 900 मीटर की औसत ऊँचाई पर स्थित यह नगर अपने साल भर के सुहाने मौसम के लिए जाना जाता है, और लोकसंस्कृति में "भारत का उद्यान नगर" का उपनाम रखता है। भारत के महानगरों में इसकी ऊँचाई सर्वाधिक है। देश की अग्रणी सूचना प्रौद्योगिकी (IT) निर्यातक के रूप में अपनी भूमिका के कारण बेंगलुरु को व्यापक रूप से भारत की सिलिकॉन वैली या भारत की आईटी राजधानी के रूप में माना जाता है।[1][2][3]

बेंगलुरु
Bengaluru / Bangalore
ಬೆಂಗಳೂರು
बंगलोर / बंगलौर
महानगर
ऊपर से दक्षिणावर्त: यू॰ बी॰ सिटी, इंफोसिस, लाल बाग में ग्लास हाउस, विधान सौधा, केंम्प फ़ोर्ट माॅल में शिव मूर्ति, बाग्मने टेक पार्क
ऊपर से दक्षिणावर्त: यू॰ बी॰ सिटी, इंफोसिस, लाल बाग में ग्लास हाउस, विधान सौधा, केंम्प फ़ोर्ट माॅल में शिव मूर्ति, बाग्मने टेक पार्क
उपनाम: भारत की सिलिकॉन वैली, भारत की तकनीकी राजधानी
बेंगलुरु is located in कर्नाटक
बेंगलुरु
बेंगलुरु
कर्नाटक में स्थिति
निर्देशांक: 12°58′N 77°34′E / 12.97°N 77.57°E / 12.97; 77.57निर्देशांक: 12°58′N 77°34′E / 12.97°N 77.57°E / 12.97; 77.57
देश भारत
राज्यकर्नाटक
ज़िलेबंगलोर नगर ज़िला
बंगलोर ग्रामीण ज़िला
स्थापना1537
संस्थापककेम्पे गौडा प्रथम
शासन
 • प्रणालीनगर निगम
क्षेत्रफल
 • महानगर741 किमी2 (286 वर्गमील)
 • महानगर8005 किमी2 (3,091 वर्गमील)
ऊँचाई920 मी (3,020 फीट)
जनसंख्या (2011)
 • महानगर84,43,675
 • महानगर84,99,399
भाषा
 • प्रचलितकन्नड़
समय मण्डलभामस (यूटीसी+5:30)
पिनकोड560 xxx
दूरभाष कोड+91-(0)80
वाहन पंजीकरणKA:01-05, 41, 50-53, 57-61
वेबसाइटwww.bbmp.gov.in

नाम परिवर्तन

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कर्नाटक का उच्च न्यायालय

वर्ष 2006 में बेंगलुरु के स्थानीय निकाय बृहत बेंगलुरु महानगर पालिके (बी॰ बी॰ एम॰ पी॰) ने एक प्रस्ताव के माध्यम से शहर के नाम की अंग्रेज़ी भाषा की वर्तनी को बैंगलोर (Bangalore) से बेंगलुरु (Bengaluru) में परिवर्तित करने का निवेदन राज्य सरकार को भेजा। राज्य और केंद्रीय सरकार की स्वीकृति मिलने के बाद यह बदलाव 1 नवंबर 2014 से प्रभावी हो गया है।

ऐसा माना जाता है कि 1004 ई॰ तक यह गंग वंश का भाग था। फिर इस पर 1015 ई॰ से 1116 ई॰ तक चोल शासकों ने राज्य किया। इसके बाद होयसल राजवंश का अधिकार रहा। 1357 ई॰ में यह विजयनगर में जुड़ गया। फिर शाहजी भोसले ने इस पर राज्य किया। सन् 1698 में मुगल शासक औरंगज़ेब ने इसे चिक्काराजा वोडयार को दे दिया। 1759 ई॰ में हैदर अली ने इस पर अधिकार किया। टीपू सुल्तान ने इस पर 1799 ई॰ तक राज्य किया। इसके बाद इसकी बागडोर अंग्रेजों के हाथ में चली गयी। और अब यह स्वतंत्र भारत के एक राज्य की राजधानी है।

पुराणों में इस स्थान को कल्याणपुरी या कल्याण नगर के नाम से जाना जाता था। कालांतर में इसका नाम बेंगलुरु हुआ। ब्रिटिश राज के आगमन के पश्चात बेंगलुरु को औपनिवेशिक नाम "बैंगलोर" मिला। बेगुर के पास मिले एक शिलालेख से ऐसा प्रतीत होता है कि यह जिला 1004 ई॰ तक, गंग राजवंश का एक भाग था। इसे बेंगा-वलोरू के नाम से जाना जाता था, जिसका अर्थ प्राचीन कन्नड़ में "रखवालों का नगर" होता है। सन् 1015 से 1116 तक तमिल नाडु के चोल शासकों ने यहाँ राज किया जिसके बाद इसकी सत्ता होयसल राजवंश के हाथ चली गई।

ऐसा माना जाता है कि आधुनिक बेंगलुरु की स्थापना सन् 1537 में विजयनगर साम्राज्य के दौरान हुई थी। नादप्रभु केम्पेगौड़ा को बेंगलुरु का निर्माता माना जाता है। विजयनगर के शासक अच्युतराय के आज्ञा से मुखिया केम्पेगौड़ा जी ने बेंगलूर में किला का निर्माण कराया था, केम्पेगौड़ा ने अपनी राजधानी येलाहंका से बेंगलुरु कर ली, यही इस नगर का नीव साबित हुआ।

विजयनगर साम्राज्य के पतन के बाद बेंगलुरु के सत्ता की बागडोर कई बार बदली। मराठा सेनापति शाहजी भोसले के अघिकार में कुछ समय तक रहने के बाद इस पर मुग़लों ने राज किया। बाद में जब सन् 1689 में मुगल शासक औरंगज़ेब ने इसे चिक्काराजा वोडयार को दे दिया तो यह नगर मैसूर साम्राज्य का हिस्सा हो गया। कृष्णराजा वोडयार के देहान्त के बाद मैसूर के सेनापति हैदर अली ने इस पर सन् 1759 में अधिकार कर लिया। इसके बाद हैदर-अली के पुत्र टीपू सुल्तान, जिसे लोग शेर-ए-मैसूर के नाम से जानते हैं, ने यहाँ 1799 तक राज किया जिसके बाद यह अंग्रेजों के अघिकार में चला गया। यह राज्य सन् 1799 में चौथे मैसूर युद्ध में टीपू की मौत के बाद ही अंग्रेजों के हाथ लग सका। मैसूर का शासकीय नियंत्रण महाराजा के ही हाथ में छोड़ दिया गया, केवल छावनी क्षेत्र (Cantonment) अंग्रेजों के अधीन रहा। ब्रिटिश शासनकाल में यह नगर मद्रास प्रेसिडेंसी के तहत था। मैसूर की राजधानी सन् 1831 में मैसूर शहर से बदल कर बेंगलुरु कर दी गई।

1537 में विजयनगर साम्राज्य के सामन्त केंपेगौड़ा प्रथम ने इस क्षेत्र में पहले क़िले का निर्माण किया था। इसे आज बेंगलुरु शहर की नींव माना जाता है। समय के साथ यह क्षेत्र मराठों, अंग्रेज़ों और आखिर में मैसूर के राज्य का हिस्सा बना। अंग्रेज़ों के प्रभाव में मैसूर राज्य की राजधानी मैसूर शहर से बेंगलुरु में स्थानांतरित हो गई, और ब्रिटिश रेज़िडेंट ने बेंगलुरु से शासन चलाना शुरू कर दिया। बाद में मैसूर का शाही वाडेयार परिवार भी बेंगलुरु से ही शासन चलाता रहा। सन् 1957 में भारत की आज़ादी के बाद मैसूर राज्य का भारत संघ में विलय हो गया, और बेंगलुरु सन् 1956 में नवगठित कर्नाटक राज्य की राजधानी बन गया।सन् 1949 में बेंगलुरु छावनी और बेंगलुरु नगर, जिनका विकास अलग अलग इकाइयों के तौर पर हुआ था, का विलय करके नगरपालिका का पुनर्गठन किया गया।

आर्थिक संसाधन

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बागमने टेक पार्क बैंगलोर में ओरेकल और अन्य के कार्यालय

संयुक्त राष्ट्र मानव विकास सूचकांक सन् 2001 के मुताबिक विश्व के शीर्ष प्रौद्योगिकी केंद्रों में ऑस्टिन (यूएसए), सैन फ़्रान्सिस्को (यूएसए) और ताइपेई (ताइवान) के साथ बेंगलुरु को चौथे स्थान पर जगह मिली है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (PSU) और कपड़ा उद्योगों ने शुरू में बेंगलुरु की अर्थव्यवस्था को चलाई, लेकिन पिछले दशक में फोकस हाई-टेक्नोलॉजी सर्विस उद्योगों पर स्थानांतरित हो गया है। बेंगलुरु की 47.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था भारत में इसे एक प्रमुख आर्थिक केंद्र बनाती है। विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) के रूप में 3.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश ने बेंगलुरु को भारत तीसरा सबसे ज्यादा एफडीआई आकर्षित करने वाले शहर बना दिया। बेंगलुरु में 103 से अधिक केंद्रीय और राज्य अनुसंधान और विकास संस्थान, भारतीय विज्ञान संस्थान (विश्व स्तर पर सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में से एक), भारतीय राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, 45 अभियांत्रिकी महाविद्यालय, विश्व स्तर की स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं, चिकित्सा महाविद्यालय और शोध संस्थान, बेंगलुरु को शिक्षा और अनुसंधान के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण शहर बनाते हैं, बैंगलोर, जिसे भारत की सिलिकॉन वैली के नाम से भी जाना जाता है, न केवल अपनी सुहावनी जलवायु और जीवंत संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि एक मजबूत और गतिशील अर्थव्यवस्था के लिए भी जाना जाता है। यह शहर पिछले कुछ दशकों में एक महत्वपूर्ण आर्थिक केंद्र के रूप में उभरा है, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण योगदान देता है। आइए बैंगलोर की अर्थव्यवस्था के कुछ प्रमुख पहलुओं पर एक नज़र डालते हैं:

सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology): इंजन की भूमिका

बैंगलोर की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार सूचना प्रौद्योगिकी (IT) क्षेत्र है। यहां कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNCs) और भारतीय IT कंपनियों के मुख्यालय और विकास केंद्र स्थित हैं। इंफोसिस, विप्रो, एचसीएल जैसी दिग्गज कंपनियों ने बैंगलोर को अपनी पहचान दी है। इस क्षेत्र ने न केवल लाखों लोगों को रोजगार दिया है, बल्कि शहर के बुनियादी ढांचे और जीवनशैली को भी बदल दिया है।

स्टार्टअप का हब (Hub of Startups): नवाचार का केंद्र

बैंगलोर भारत में स्टार्टअप संस्कृति का केंद्र बन गया है। यहां हर साल कई नए स्टार्टअप शुरू होते हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देते हैं। ई-कॉमर्स, फिनटेक, बायोटेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में बैंगलोर के स्टार्टअप्स ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है।

अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र (Other Important Sectors): विविधतापूर्ण अर्थव्यवस्था

हालांकि IT बैंगलोर की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन अन्य क्षेत्रों का भी इसमें महत्वपूर्ण योगदान है। एयरोस्पेस, बायोटेक्नोलॉजी, विनिर्माण, और अनुसंधान और विकास जैसे क्षेत्रों में भी बैंगलोर तेजी से विकास कर रहा है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) जैसी कंपनियों की उपस्थिति ने बैंगलोर को एयरोस्पेस क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण केंद्र बना दिया है।

चुनौतियाँ (Challenges): निरंतर विकास की राह में

बैंगलोर की अर्थव्यवस्था के सामने कुछ चुनौतियाँ भी हैं। बढ़ती आबादी, बुनियादी ढांचे पर दबाव, यातायात की समस्या और पानी की कमी जैसी समस्याओं का समाधान करना आवश्यक है। इसके अलावा, वैश्विक आर्थिक मंदी और तकनीकी बदलावों का भी बैंगलोर की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ सकता है।


कुछ अतिरिक्त बिंदु (Some additional points):

शहर में कई प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान हैं जो कुशल श्रमशक्ति प्रदान करते हैं। (The city has many prestigious educational institutions that provide skilled manpower.) कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे में सुधार पर लगातार ध्यान दिया जा रहा है। (Continuous attention is being paid to improving connectivity and infrastructure.) सरकार की नीतियों ने भी बैंगलोर के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। (Government policies have also played an important role in Bangalore's economic development.) बेंगलुरु की अर्थव्यवस्था: नवाचार और तकनीकी क्रांति का केंद्र

भारत का सिलिकॉन वैली कहे जाने वाला बेंगलुरु, अपनी संपन्न और गतिशील अर्थव्यवस्था के लिए प्रसिद्ध है। इस ब्लॉग में हम बेंगलुरु की अर्थव्यवस्था, इसके प्रमुख उद्योग, विकास के कारक और इसके भविष्य के संभावनाओं पर चर्चा करेंगे।

प्रमुख उद्योग और क्षेत्र आईटी और सॉफ्टवेयर सेवाएं: बेंगलुरु भारत का प्रमुख आईटी हब है। यहां इंफोसिस, टीसीएस, विप्रो जैसी कंपनियां स्थित हैं। ये कंपनियां सॉफ्टवेयर विकास, सेवाएं, और अनुसंधान एवं विकास में अहम भूमिका निभाती हैं।

स्टार्टअप्स और नवाचार: बेंगलुरु भारत का स्टार्टअप राजधानी माना जाता है। यहां हजारों स्टार्टअप्स नए विचारों और उत्पादों पर काम कर रहे हैं। इसके लिए निवेशकों की अच्छी-खासी रुचि और समर्थन प्राप्त होता है।

बायोटेक्नोलॉजी और हेल्थकेयर: बेंगलुरु बायोटेक्नोलॉजी और हेल्थकेयर में भी अग्रणी है। यहां बायोकॉन और स्ट्रैंड लाइफ साइंसेस जैसी प्रमुख कंपनियां स्थित हैं।

विकास के कारक शिक्षा और अनुसंधान संस्थान: बेंगलुरु में आईआईएससी, आईआईटी और कई अन्य प्रमुख शिक्षा और अनुसंधान संस्थान हैं, जो उत्कृष्ट शिक्षा और अनुसंधान प्रदान करते हैं।

विदेशी निवेश: बेंगलुरु में विदेशी निवेशकों की भारी रुचि है, जिससे यहां की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है। विदेशी कंपनियां यहां अपने आरएंडडी केंद्र स्थापित करती हैं।

सरकारी नीतियां: कर्नाटक सरकार की सहायक नीतियों और योजनाओं ने बेंगलुरु को एक प्रमुख आर्थिक केंद्र बनने में मदद की है। इससे यहाँ व्यवसायों के लिए अच्छा माहौल बना है।

भविष्य की संभावनाएं बेंगलुरु की अर्थव्यवस्था का भविष्य उज्जवल है। नवाचार, तकनीकी विकास और सहायक नीतियों के साथ यह शहर न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा। आने वाले वर्षों में भी बेंगलुरु नवाचार और आर्थिक प्रगति का केंद्र बना रहेगा। बेंगलुरु की अर्थव्यवस्था: नवाचार और प्रगति का केंद्र बेंगलुरु, जिसे आमतौर पर "भारत का सिलिकॉन वैली" कहा जाता है, न केवल अपनी तकनीकी प्रगति के लिए बल्कि बहुआयामी आर्थिक योगदान के लिए भी जाना जाता है। इस शहर ने राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर अपनी एक मजबूत पहचान बनाई है, जो हर भारतीय को गर्व का अनुभव कराता है।

तकनीकी हब और स्टार्टअप संस्कृति बेंगलुरु भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) का केंद्र है। बड़े आईटी पार्क जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक सिटी और बेंगलुरु इंटरनेशनल टेक पार्क (आईटीपीएल) दुनिया भर की कंपनियों को आकर्षित करते हैं। यह शहर अनेक स्टार्टअप्स का जन्मस्थल है और अब इसे "स्टार्टअप कैपिटल ऑफ इंडिया" भी कहा जाने लगा है। फ्लिपकार्ट और स्विगी जैसी कंपनियाँ यहीं से शुरू हुईं, और ये वैश्विक पहचान बना चुकी हैं।

एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र आईटी के साथ-साथ बेंगलुरु एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र में भी एक अग्रणी केंद्र है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल), इसरो, और बीईएल जैसे संगठन यहाँ स्थित हैं, जो इस शहर को वैज्ञानिक और रक्षा नवाचार में अद्वितीय बनाते हैं।

शिक्षा और अनुसंधान का केंद्र आईआईएससी, आईआईएम बेंगलुरु और कई अन्य उच्च शिक्षण संस्थान न केवल शहर की युवा शक्ति को शिक्षित कर रहे हैं बल्कि अनुसंधान और विकास में भी योगदान दे रहे हैं। यह आर्थिक विकास का महत्वपूर्ण स्तंभ है।

रियल एस्टेट और कंस्ट्रक्शन सेक्टर बेंगलुरु में रियल एस्टेट उद्योग तेजी से बढ़ रहा है। आईटी सेक्टर और शहरीकरण की वजह से लोग यहाँ बड़ी संख्या में आ रहे हैं, जिससे आवासीय और व्यावसायिक संपत्तियों की मांग बढ़ी है।

चुनौतियाँ और संभावनाएँ बेंगलुरु की अर्थव्यवस्था तेज़ गति से बढ़ रही है, लेकिन यह शहर ट्रैफिक, अधोसंरचना और प्रदूषण जैसी चुनौतियों का सामना भी कर रहा है। यदि इन मुद्दों को हल कर लिया जाए, तो बेंगलुरु वैश्विक स्तर पर एक आदर्श शहर बन सकता है।

बैंगलोर: भारत के सॉफ्टवेयर निर्यात का इंजन (Bangalore: Bharat ke Software Niryat ka Engine) बैंगलोर, जिसे भारत की 'सिलिकॉन वैली' भी कहा जाता है, न केवल भारत बल्कि विश्व स्तर पर भी सॉफ्टवेयर और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है। इस शहर ने भारतीय अर्थव्यवस्था, विशेषकर सॉफ्टवेयर निर्यात में, एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस ब्लॉग में हम देखेंगे कि कैसे बैंगलोर का सॉफ्टवेयर निर्यात भारतीय अर्थव्यवस्था को गति दे रहा है।

बैंगलोर का उदय (Bangalore ka Uday):

पिछले कुछ दशकों में बैंगलोर ने IT उद्योग में एक अविश्वसनीय वृद्धि देखी है। कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों (MNCs) और भारतीय IT कंपनियों ने यहाँ अपने मुख्यालय और विकास केंद्र स्थापित किए हैं। अनुकूल सरकारी नीतियों, कुशल इंजीनियरों की उपलब्धता, और एक उद्यमी माहौल ने बैंगलोर को IT उद्योग के लिए एक आदर्श स्थान बना दिया है।

सॉफ्टवेयर निर्यात का योगदान (Software Niryat ka Yogdaan):

बैंगलोर से होने वाला सॉफ्टवेयर निर्यात भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कई तरह से फायदेमंद है:

विदेशी मुद्रा का आगमन (Videshi Mudra ka Aagman): सॉफ्टवेयर निर्यात से भारत को बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है, जो देश के विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने में मदद करती है। रोजगार सृजन (Rozgar Srijan): IT उद्योग बैंगलोर में लाखों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्रदान करता है। इससे न केवल शहर बल्कि पूरे देश की अर्थव्यवस्था को भी लाभ होता है। तकनीकी विकास (Techniki Vikas): बैंगलोर में IT उद्योग के विकास ने देश में तकनीकी नवाचार को बढ़ावा दिया है। यहाँ के इंजीनियर और वैज्ञानिक नए-नए सॉफ्टवेयर और तकनीकों का विकास कर रहे हैं, जो भारत को विश्व स्तर पर एक तकनीकी शक्ति के रूप में स्थापित कर रहे हैं। अन्य उद्योगों पर प्रभाव (Anya Udyogon par Prabhav): बैंगलोर के IT उद्योग का अन्य उद्योगों पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। उदाहरण के लिए, रियल एस्टेट, परिवहन, और खुदरा जैसे क्षेत्रों में भी वृद्धि देखी गई है। चुनौतियाँ और भविष्य (Chunautiyan aur Bhavishya):

हालांकि बैंगलोर का सॉफ्टवेयर निर्यात भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी हैं जिनका सामना करना पड़ रहा है:

प्रतिस्पर्धा (Pratispardha): अन्य देशों और शहरों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा एक चुनौती है। बुनियादी ढांचा (Buniyadi Dhancha): शहर के बुनियादी ढांचे को और बेहतर बनाने की आवश्यकता है ताकि IT उद्योग की वृद्धि को समर्थन मिल सके। कुशल श्रम (Kushal Shram): IT उद्योग की लगातार बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए कुशल श्रम की उपलब्धता सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। इन चुनौतियों के बावजूद, बैंगलोर का भविष्य उज्ज्वल दिखता है। नवाचार, उद्यमिता, और कुशल श्रम की उपलब्धता के साथ, बैंगलोर आने वाले वर्षों में भी भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण योगदान देता रहेगा। बेंगलुरु की अर्थव्यवस्था में सॉफ्टवेयर निर्यात का योगदान

बेंगलुरु, जिसे भारत का "सिलिकॉन वैली" भी कहा जाता है, देश का अग्रणी आईटी हब है। यह शहर विश्वस्तरीय सॉफ्टवेयर कंपनियों, उभरते स्टार्टअप्स और तकनीकी नवाचारों का केंद्र है। खासकर सॉफ्टवेयर निर्यात के क्षेत्र में बेंगलुरु की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण रही है।

सॉफ्टवेयर उद्योग और बेंगलुरु की पहचान

1980 के दशक से शुरू हुआ बेंगलुरु का तकनीकी विकास आज इसे भारत के प्रमुख सॉफ्टवेयर निर्यात केंद्र के रूप में स्थापित कर चुका है। यहां स्थित अनेक मल्टीनेशनल कंपनियां, जैसे इंफोसिस, विप्रो, टीसीएस और कई अन्य, भारत से सॉफ्टवेयर सेवाएं विश्वभर में निर्यात करती हैं।

इसके साथ ही, बेंगलुरु की अनूठी विशेषता यहां के स्टार्टअप कल्चर में निहित है। फ्लिपकार्ट, बायजूस और स्विगी जैसे सफल स्टार्टअप्स ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि बनाई है।

रोजगार और आर्थिक योगदान

सॉफ्टवेयर उद्योग बेंगलुरु की आर्थिक नींव का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। इस क्षेत्र ने लाखों रोजगार के अवसर सृजित किए हैं, जिनमें न केवल इंजीनियरिंग और डेवलपमेंट शामिल हैं, बल्कि विपणन, प्रबंधन और सपोर्ट सेवाएं भी हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत के कुल सॉफ्टवेयर निर्यात में बेंगलुरु का हिस्सा लगभग 38% है। इससे शहर की जीडीपी में महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसके अलावा, इस क्षेत्र के उच्च वेतनमान और उच्च स्तरीय सेवाओं ने बेंगलुरु की आर्थिक स्थिति को और मजबूत किया है।

तकनीकी नवाचार और वैश्विक प्रतिष्ठा

बेंगलुरु के तकनीकी केंद्र नवाचार और रिसर्च में अग्रणी भूमिका निभाते हैं। यहां के इनक्यूबेशन हब और रिसर्च सेंटर्स उभरते तकनीकी क्षेत्रों, जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और क्लाउड कंप्यूटिंग, में नई दिशाएं प्रस्तुत कर रहे हैं।

सॉफ्टवेयर निर्यात ने बेंगलुरु को एक वैश्विक पहचान दिलाई है। विश्वस्तरीय इनोवेशन और कस्टमर-केंद्रित सेवाओं के चलते विदेशी कंपनियां इस शहर को एक प्रमुख सहयोगी के रूप में देखती हैं। सॉफ्टवेयर निर्यात: बेंगलुरु की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान

बेंगलुरु, जिसे भारत की "सिलिकॉन वैली" कहा जाता है, पिछले कुछ दशकों में सॉफ्टवेयर निर्यात के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। इस प्रगति ने न केवल बेंगलुरु को बल्कि पूरे भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया है।

सॉफ्टवेयर निर्यात का विकास बेंगलुरु में सॉफ्टवेयर निर्यात की कहानी 1980 के दशक से शुरू होती है, जब कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने यहां अपने ऑफिस स्थापित किए। इन्फोसिस, विप्रो और टीसीएस जैसी भारतीय आईटी कंपनियों ने भी बेंगलुरु को अपनी कर्मभूमि चुना। इन कंपनियों ने उन्नत तकनीकी समाधान, सॉफ्टवेयर उत्पाद, और सेवाओं का निर्यात किया, जिसने बेंगलुरु को वैश्विक तकनीकी हब बना दिया।

आर्थिक प्रभाव सॉफ्टवेयर निर्यात बेंगलुरु की अर्थव्यवस्था के लिए कई मायनों में लाभकारी साबित हुआ है:

रोजगार के अवसर: सॉफ्टवेयर निर्यात उद्योग ने लाखों लोगों को रोजगार दिया है, जिससे बेरोजगारी की समस्या में कमी आई है।

वित्तीय प्रवाह: विदेशी मुद्रा की आमदनी से बेंगलुरु की वित्तीय स्थिति मजबूत हुई है। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे में निवेश को बढ़ावा मिला है।

उद्यमिता को प्रोत्साहन: तकनीकी स्टार्टअप्स और उद्यमिता की भावना को प्रोत्साहित किया है। बेंगलुरु में कई नए स्टार्टअप्स ने जन्म लिया है, जो नवीनतम तकनीकों पर काम कर रहे हैं।

चुनौतियाँ और भविष्य हालांकि सॉफ्टवेयर निर्यात ने बेंगलुरु की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी हैं जैसे कि अत्यधिक प्रतिस्पर्धा, तकनीकी परिवर्तन, और उच्च प्रबंधकीय कौशल की आवश्यकता।

भविष्य में, बेंगलुरु को इन चुनौतियों से निपटने और अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए नवाचार, अनुसंधान और विकास पर ध्यान देना होगा। इसके अलावा, नए तकनीकी क्षेत्र जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन, और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) में निवेश करना होगा।

निष्कर्ष बेंगलुरु सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि प्रगति और नवाचार का प्रतीक है। इसकी अर्थव्यवस्था न केवल भारत को आर्थिक रूप से मजबूत बना रही है, बल्कि इसे वैश्विक मंच पर भी स्थापित कर रही है। आने वाले वर्षों में, बेंगलुरु से और भी बड़ी उपलब्धियाँ हासिल होने की उम्मीद है,बैंगलोर ने भारतीय अर्थव्यवस्था, विशेषकर सॉफ्टवेयर निर्यात में, एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस शहर ने न केवल देश को विदेशी मुद्रा प्रदान की है, बल्कि रोजगार सृजन, तकनीकी विकास, और अन्य उद्योगों के विकास में भी योगदान दिया है। बैंगलोर भारत के IT उद्योग का इंजन है, और यह आने वाले वर्षों में भी देश की अर्थव्यवस्था को गति देता रहेगा,बेंगलुरु का सॉफ्टवेयर निर्यात न केवल शहर की बल्कि भारत की भी आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान देता है। उच्च तकनीकी दक्षता, गुणवत्तापूर्ण सेवाएं और नवाचार के प्रति झुकाव इसे एक विशेष स्थान प्रदान करते हैं। यदि सरकार और उद्योग जगत इस गति को बनाए रखें, तो बेंगलुरु आने वाले दशकों में भी वैश्विक तकनीकी मानचित्र पर अपनी चमक बनाए रखेगा,सॉफ्टवेयर निर्यात ने बेंगलुरु की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह विकास न केवल आज के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भविष्य के लिए भी अपार संभावनाओं से भरा हुआ है। बेंगलुरु की तकनीकी श्रेष्ठता और उसके द्वारा उत्पन्न रोजगार और वित्तीय लाभ ने इसे विश्व के प्रमुख तकनीकी केंद्रों में से एक बना दिया है।

बेंगलुरु की यह यात्रा प्रेरणादायक है और भारत के अन्य शहरों के लिए भी एक उदाहरण प्रस्तुत करती है। हमें उम्मीद है कि बेंगलुरु आगे भी तकनीकी नवाचार और आर्थिक विकास की दिशा में ऐसे ही आगे बढ़ता रहेगा।

बेंगलुरु की अर्थव्यवस्था के इस सफर में नवाचार और तकनीकी क्रांति की अहम भूमिका रही है, और इसी रास्ते पर यह शहर आगे बढ़ता रहेगा। 🌟

भारत की दूसरी और तीसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर कम्पनियों का मुख्यालय इलेक्ट्रॉनिक सिटी में है। बेंगलुरु भारत के सूचना प्रौद्योगिकी निर्यातों का अग्रणी स्रोत रहा है,[4] और इसी कारण से इसे 'भारत का सिलिकॉन वैली' कहा जाता है। सन् 2015 में, बेंगलुरु ने भारत के कुल आईटी निर्यात में 45 बिलियन अमेरिकी डॉलर या 37 प्रतिशत का योगदान दिया।[5] सन् 2017 तक, बेंगलुरु में आईटी व्यवसाय, भारत में लगभग 4.36 मिलियन कर्मचारियों में से, आईटी और आईटी-सक्षम सेवा क्षेत्रों में लगभग 1.5 मिलियन कर्मचारी कार्यरत हैं।[6] भारत के प्रमुख तकनीकी संगठन इसरो, इंफ़ोसिस और विप्रो का मुख्यालय यहीं है। बेंगलुरु भारत का दूसरा सबसे तेज़ी से विकसित हो रहा मुख्य महानगर है। बेंगलुरु कन्नड़ फिल्म उद्योग का केंद्र है। एक उभरते हुए महानगर के तौर पर बेंगलुरु के सामने प्रदूषण, यातायात और अन्य सामाजिक-आर्थिक चुनौतियां हैं। $83 अरब के घरेलू उत्पाद के साथ बेंगलुरु भारत का चौथा सबसे बड़ा नगर है।

भौगोलिक स्थिति

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12.97 डिग्री उत्तरी अक्षांश और 77.56 डिग्री पूर्वी देशांतर पर स्थित इस नगर का भूखंड मुख्यतः पठारी है। यह मैसूर का पठार के लगभग बीच में 920 मीटर की औसत ऊँचाई पर अवस्थित है। बेंगलुरु जिले के उत्तर-पूर्व में कोलार जिला (सोने की खानों के लिये प्रसिद्ध), उत्तर-पश्चिम में तुमकुरु जिला, दक्षिण-पश्चिम में मांडया जिला, दक्षिण में चामराजनगर जिला तथा दक्षिण-पूर्व में तमिल नाडु राज्य है।

शहर से होकर कोई बड़ी नदियाँ नहीं बहती हैं, हालाँकि अर्कावती और दक्षिण पेन्नार उत्तर में 60 किमी (37 मील) दूर नंदी हिल्स पर पार करती हैं। वृषभवती नदी, अर्कावती की एक छोटी सहायक नदी, बसवनगुडी में शहर के भीतर से निकलती है और शहर से होकर बहती है। कावेरी नदी बेंगलुरु शहर से लगभग 60 मील (100 किमी) दूर बहती है,[7] और कावेरी नदी शहर की लगभग 80% जल आपूर्ति प्रदान करती है और शेष 20% अर्कावती नदी के थिप्पागोंडानहल्ली और हेसरघट्टा जलाशयों से प्राप्त होती है। बैंगलोर को प्रतिदिन 800 मिलियन लीटर (210 मिलियन अमेरिकी गैलन) पानी मिलता है, जो किसी भी अन्य भारतीय शहर से अधिक है, लेकिन बैंगलोर को कभी-कभी पानी की कमी का सामना करना पड़ता है, खासकर गर्मियों के दौरान और कम वर्षा वाले वर्षों में।

संस्कृति

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बेंगलुरु का दृश्य

एक अनुमान के अनुसार बेंगलुरु में 51% से अधिक लोग भारत के विभिन्न हिस्सों से आ कर बसे हैं। अपने सुहाने मौसम के कारण इसे भारत का उद्यान नगर भी कहते हैं। प्रकाश का पर्व दीपावली यहाँ बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। दशहरा, जो मैसूर का पहचान बन गया है, भी काफी प्रसिद्ध है। अन्य लोकप्रिय उत्सवों में गणेश चतुर्थी, उगादि, संक्रांति, ईद-उल-फितर, क्रिसमस शामिल हैं। कन्नड़ फिल्म उद्योग का केंद्र बेंगलुरु, सालाना औसतन 80 कन्नड़ फिल्म का निर्माण करता है है। कन्नड़ फिल्मों की लोकप्रियता ने एक नई जनभाषा बेंगलुरु-की-कन्नड़ को जन्म दिया है जो अन्य भाषाओं से प्रेरित है और युवा संस्कृति का समर्थक है। व्यंजनों की विविधता से भरपूर इस नगर में उत्तर भारतीय, दक्कनी, चीनी तथा पश्चिमी खाने काफी लोकप्रिय हैं।

दिल्ली और मुंबई के विपरीत बेंगलुरु में समकालीन कला के नमूने 1990 के दशक से पहले विरले ही होते थे। 1990 के दशक में बहुत से कला प्रदर्शन स्थल (Art Gallery) बेंगलुरु में स्थापित हो गए, जैसे सरकार द्वारा समर्थित राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रालय। बेंगलुरु का अन्तर्राष्ट्रीय कला महोत्सव, आर्ट बेंगलुरु, 2010 से चल रहा है, और यह दक्षिण भारत का अकेला कला महोत्सव है।

क्रिकेट यहाँ का सर्वाधिक लोकप्रिय खेल है। बेंगलुरु ने देश को काफी उन्नत खिलाड़ी दिये हैं, जिसमें राहुल द्रविड़, अनिल कुंबले, गुंडप्पा विश्वनाथ, प्रसन्ना, बी॰ एस॰ चंद्रशेखर, वेंकटेश प्रसाद, जावागल श्रीनाथ आदि का नाम लिया जा सकता है। बेंगलुरु में कई क्लब भी हैं, जैसे - बेंगलुरु गोल्फ क्लब, बाउरिंग इंस्टीट्यूट, इक्सक्लुसिव बेंगलुरु क्लब आदि जिनके पूर्व सदस्यों में विंस्टन चर्चिल और मैसूर महाराजा का नाम शामिल है।

दर्शनीय स्थल

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ऐसा माना जाता है कि जब केंपेगौड़ा ने 1537 में बेंगलुरु की स्थापना की। उस समय उसने मिट्टी की चिनाई वाले एक छोटे किले का निर्माण कराया। साथ ही गवीपुरम में उसने गवी गंगाधरेश्वरा मंदिर और बासवा में बसवनगुड़ी मंदिर की स्थापना की। इस किले के अवशेष अभी भी मौजूद हैं जिसका दो शताब्दियों के बाद हैदर अली ने पुनर्निर्माण कराया और टीपू सुल्तान ने उसमें और सुधार कार्य किए। ये स्थल आज भी दर्शनीय है। शहर के मध्य 1864 में निर्मित कब्बन पार्क और संग्रहालय देखने के योग्य है। 1958 में निर्मित सचिवालय, गाँधी जी के जीवन से सम्बन्धित गाँधी भवन, टीपू सुल्तान का सुमेर महल, बसवनगुड़ी तथा हरे कृष्ण मंदिर, लाल बाग, बेंगलुरु पैलेस, साईं बाबा का आश्रम, नृत्यग्राम, बनेरघाट अभयारण्य कुछ ऐसे स्थल हैं जहाँ बेंगलुरु की यात्रा करने वाले ज़रूर जाना चाहेंगे।

बसवनगुड़ी मंदिर

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बसवनगुड़ी मंदिर

यह मंदिर भगवान शिव के वाहन नंदी बैल को समर्पित है। प्रत्येक दिन इस मंदिर में काफी संख्या में भक्तों की भीड़ देखी जा सकती है। इस मंदिर में बैठे हुए बैल की प्रतिमा स्थापित है। यह मूर्ति 4.5 मीटर ऊँची और 6 मीटर लम्बी है। बुल मंदिर एनआर कॉलोनी, दक्षिण बेंगलुरु में हैं। मंदिर रॉक नामक एक पार्क के अंदर है। बैल एक पवित्र हिन्दू यक्ष, नंदी के रूप में जाना जाता है। नंदी एक करीबी भक्त और शिव का परिचरक है। नंदी मंदिर विशेष रूप से पवित्र बैल की पूजा के लिए है। "नंदी" शब्द का मतलब संस्कृत में "हर्षित" है। विजयनगर साम्राज्य के शासक द्वारा 1537 में मंदिर बनाया गया था। नंदी की मूर्ति लम्बाई में बहुत बड़ा है, लगभग 15 फुट ऊँचाई और 20 फीट लम्बाई पर है। कहा जाता है कि यह मंदिर लगभग 500 साल पहले का निर्माण किया गया है। केंपेगौड़ा के शासक के सपने में नंदी आये और एक मंदिर पहाड़ी पर निर्मित करने का अनुरोध किया। नंदी उत्तर दिशा कि और सामना कर रहा है। एक छोटे से गणेश मंदिर के ऊपर भगवान शिव के लिए एक मंदिर बनाया गया है। किसानों का मानना ​​है कि अगर वे नंदी कि प्रार्थना करते है तो वे एक अच्छी उपज का आनंद ले सक्ते है।बुल टेंपल को दोड़ बसवनगुड़ी मंदिर भी कहा जाता है। यह दक्षिण बेंगलुरु के एनआर कॉलोनी में स्थित है। इस मंदिर का मुख्य देवता नंदी है। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार नंदी शिव का न सिर्फ बहुत बड़ा भक्त था, बल्कि उनका सवारी भी था। इस मंदिर को 1537 में विजयनगर साम्राज्य के शासक केंपेगौड़ा ने बनवाया था। नंदी की प्रतिमा 15 फीट ऊंची और 20 फीट लंबी है और इसे ग्रेनाइट के सिर्फ एक चट्टा के जरिए बनाया गया है।

बुल टेंपल को द्रविड शैली में बनाया गया है और ऐसा माना जाता है कि विश्वभारती नदी प्रतिमा के पैर से निकलती है। पौराणिक कथा के अनुसार यह मंदिर एक बैल को शांत करने के लिए बनवाया गया था, जो कि मूंगफली के खेत में चरने के लिए चला गया था, जहां पर आज मंदिर बना हुआ है। इस कहानी की स्मृति में आज भी मंदिर के पास एक मूंगफली के मेले का आयोजन किया जाता है। नवंबर-दिसंबर में लगने वाला यह मेला उस समय आयोजित किया जाता है, जब मूंगफली की पैदावार होती है। यह समय बुल टेंपल घूमने के लिए सबसे अच्छा रहता है। दोद्दा गणेश मंदिर बुल टेंपल के पास ही स्थित है। बसवनगुड़ी मंदिर तक पहुंचने में परेशानी नहीं होती है। बेंगलुरु मंदिर के लिए ढेरों बसें मिलती हैं।

शिव मूर्ति

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यह मूर्ति 65 मीटर ऊँची है। इस मूर्ति में भगवान शिव पदमासन की अवस्था में विराजमान है। इस मूर्ति की पृष्ठभूमि में कैलाश पर्वत, भगवान शिव का निवास स्थल तथा प्रवाहित हो रही गंगा नदी है।

इस्कॉन मंदिर

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इस्कॉन मंदिर (International Society for Krishna Consciousness) बेंगलुरु की खूबसूरत इमारतों में से एक है। इस इमारत में कई आधुनिक सुविधाएं जैसे मल्टी-विजन सिनेमा थियेटर, कम्प्यूटर सहायता प्रस्तुतिकरण थियेटर एवं वैदिक पुस्तकालय और उपदेशात्मक पुस्तकालय है। इस मंदिर के सदस्यो व गैर-सदस्यों के लिए यहाँ रहने की भी काफी अच्छी सुविधा उपलब्ध है। अपने विशाल सरंचना के कारण हि इस्कॉन मंदिर बेंगलुरु में बहुत प्रसिद्ध है और इसीलिए बेंगलुरु का सबसे मुख्य पर्यटन स्थान भी है। इस मंदिर में आधुनिक और वास्तुकला का दक्षिण भरतीय मिश्रण परंपरागत रूप से पाया जाता है। मंदिर में अन्य संरचनाएँ - बहु दृष्टि सिनेमा थिएटर और वैदिक पुस्तकालय। मंदिर में ब्राह्मणो और भक्तों के लिए रहने कि सुविधाएँ भी उपलब्ध है।

इस्कॉन मंदिर के बैगंलोर में छ: मंदिर है:-

  • राधा-कृष्ण मंदिर (मुख्य मंदिर)
  • कृष्ण-बलराम मंदिर,
  • निताई गौरंगा मंदिर (चैतन्य महाप्रभु और नित्यानन्दा),
  • श्रीनिवास गोविंदा (वेंकटेश्वरा)
  • प्रहलाद-नरसिंह मंदिर एवं
  • श्रीला प्रभुपादा मंदिर

उत्तर बेंगलुरु के राजाजीनगर में स्थित राधा-कृष्ण का मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा इस्कॉन मंदिर है। इस मंदिर का शंकर दयाल शर्मा ने सन् 1997 में उद्घाटन किया।

टीपू पैलेस

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बेंगलुरु पैलेस

टीपू पैलेस व क़िला बेंगलुरु के प्रसिद्व पर्यटन स्थलों में से है। इस महल की वास्तुकला व बनावट मुगल जीवनशैली को दर्शाती है। इसके अलावा यह किला अपने समय के इतिहास को भी दर्शाता है। टीपू महल के निर्माण का आरंभ हैदर अली ने करवाया था। जबकि इस महल को स्वयं टीपू सुल्तान ने पूरा किया था। टीपू सुल्तान का महल मैसूरी शासक टीपू सुल्तान का ग्रीष्मकालीन निवास था। यह बेंगलुरु, भारत में स्थित है। टीपू की मौत के बाद, ब्रिटिश प्रशासन ने सिंहासन को ध्वस्त किया और उसके भागों को टुकड़ा में नीलाम करने का फैसला किया। यह बहुत महंगा था कि एक व्यक्ति पूरे टुकड़ा खरीद नहीं सक्ता है। महल के सामने अंतरिक्ष में एक बगीचेत और लॉन द्वारा बागवानी विभाग, कर्नाटक सरकार है। टीपू सुल्तान का महल पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह पूरे राज्य में निर्मित कई खूबसूरत महलों में से एक है।

वेंकटप्पा चित्रशाला

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यह जगह कला प्रेमियों के लिए बिल्कुल उचित है। इस चित्रशाला में लगभग 600 पेंटिग प्रदर्शित की गई है। यह चित्रशाला पूरे वर्ष खुली रहती है। इसके अलावा, इसमें कई अन्य नाटकीय प्रदर्शनी का संग्रह देख सकते हैं।

बेंगलुरु महल

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यह महल बेंगलुरु के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। इस महल की वास्तुकला तुदौर शैली पर आधारित है। यह महल बेंगलुरु शहर के मध्य में स्थित है। यह महल लगभग 800 एकड़ में फैला हुआ है। यह महल इंग्लैंड के विंडसर महल की तरह दिखाई देता है। प्रसिद्ध बेंगलुरु महल (राजमहल) बेंगलुरु का सबसे आकर्षक पर्यटन स्थान है। 45000 वर्ग फीट पर बना यह विशाल पैलेस 110 साल पुराना है। सन् 1880 में इस पैलेस का निर्माण हुआ था और आज यह पुर्व शासकों की महिमा को पकड़ा हुआ है। इसके निर्माण में तब कुल 1 करोड़ रुपये लगे थे। इसके आगे एक सुन्दर उद्यान है जो इसको इतना सुंदर रूप देता है कि वह सपनों और कहानियों के महल कि तरह लगता है।बेंगलुरु पैलेस शहर के बीचों बीच स्थित पैलेस गार्डन में स्थित है। यह सदशिवनगर और जयामहल के बीच में स्थित है। इस महल के निर्माण का काम 1862 में श्री गेरेट द्वारा शुरू किया गया था। इसके निर्माण में इस बात की पूरी कोशिश की गई कि यह इंग्लैंड के विंडसर कास्टल की तरह दिखे। 1884 में इसे वाडेयार वंश के शासक चमाराजा वाडेयार ने खरीद लिया था।

45000 वर्ग फीट में बने इस महल के निर्माण में करीब 82 साल का समय लगा। महल की खूबसूरती देखते ही बनती है। जब आप आगे के गेट से महल में प्रवेश करेंगे तो आप मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह सकेंगे। अभी हाल ही में इस महल का नवीनीकरण भी किया गया है। महल के अंदरूनी भाग की डिजाइन में तुदार शैली का वास्तुशिल्प देखने को मिलता है। महल के निचले तल में खुला हुआ प्रांगण है। इसमें ग्रेनाइट के सीट बने हुए हैं, जिसपर नीले रंग के क्रेमिक टाइल्स लेगे हुए हैं। रात के समय इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। वहीं महल के ऊपरी तल पर एक बड़ा सा दरबार हॉल है, जहां से राजा सभा को संबोधित किया करते थे। महल के अंदर के दीवार को ग्रीक, डच और प्रसिद्ध राजा रवि वर्मा के पेंटिंग्स से सजाया गया है, जिससे यह और भी खिल उठता है।

विधान सौधा

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विधान सौधा

यह जगह बेंगलुरु के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है। इसका निर्माण 1954 ई. में किया गया। इस इमारत की वास्तुकला नियो-द्रविडियन शैली पर आधारित है। वर्तमान समय में यह जगह कर्नाटक राज्य के विधान सभा के रूप में उपयोग किया जाता है। इसके अलावा इमारत का कुछ हिस्सा कर्नाटक सचिवालय के रूप में भी कार्य कर रहा है। विधान सौधा के शैली में ही और एक इमारत का निर्माण किया गया है, जिसका नाम 'विकास सौधा' रखा गया है। पूरे भारत में यह सबसे बड़ी विधान भवन है। तत्कालीन मुख्यमंत्री एस एम कृष्णा की ओर से शुरू की गई है और, फरवरी 2005 में उद्घाटन किया गया। यह डॉ॰ आंबेडकर रोड, सेशाद्रिपुरम में स्थित है। विधान सौधा के सामने कर्नाटक उच्च न्यायालय है। 2001 में भारतीय संसद पर हमले के बाद, विधान सौधा की सुरक्षा के बारे में चिंता कि जा रही थी। सभी पक्षों के फुटपाथ पर एक मजबूत 10 फुट ऊंची इस्पात बाड़ लगाने का फैसला किया गया। विधान सौधा के तीन मुख्य फर्श है। यह भवन 700 फुट उत्तर दक्षिण और 350 फीट पूरब पश्चिम आयताकार है।अगर आप बेंगलुरु जा रहे हैं तो विधान सौदा जरूर जाएं। यह राज्य सचिवालय होने के साथ-साथ ईंट और पत्थर से बना एक उत्कृष्ट निर्माण है। करीब 46 मीटर ऊँचा यह भवन बेंगलुरु का सबसे ऊँचा भवन है। इसकी वास्तुशिल्पीय शैली में परंपरागत द्रविड शैली के साथ—साथ आधुनिक शैली का भी मिश्रण देखने को मिलता है। ऐसे में यहां जाना आपको निराश नहीं करेगा। शहर के किसी भी स्थान से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। सार्वजनिक छुट्टी के दिन और रविवार के दिन इसे रंग—बिरंगी रोशनी से सजाया जाता है, जिससे यह और भी खूबसूरत हो उठता है। हालांकि विधान सौदा हर दिन शाम 6 से 8.30 बजे तक रोशनी से जगमगाता रहता है। बेंगलुरु सिटी जंक्शन से यह सिर्फ 9 किमी दूर है। कब्बन पार्क के पास स्थित दूर तक फैले हरे-भरे मैदान पर बना विधान सौदा घूमने अवश्य जाना चाहिए।

 
लाल बाग का रात्रि दृश्य

वर्तमान समय में इस बाग को लाल बाग वनस्पति बगीचा के नाम से जाना जाता है। यह बाग भारत के सबसे खूबसूरत वनस्पतिक बगीचों में से एक है। अठारहवीं शताब्दी में हैदर अली और टीपू सुल्तान ने इसका निर्माण करवाया था। इस बगीचे के अंदर एक खूबसूरत झील है। यह झील 1.5 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है। यह झील का नजारा एक छोटे से द्वीप की तरह प्रतीत होता है। जिस कारण यह जगह एक अच्छे पर्यटन स्थल के रूप में भी जाना जाता है। लालबाग बेंगलुरु में उपस्थित वानस्पतिक उद्यान है। साल भर अपने सुंदर, निवोदित लाल खिलते हुए गुलाबों के कारण इसका नाम लालबाग रखा है। इस उद्यान में दुर्लभ प्रजातियों के पौधों को अफगानिस्तान और फ्रांस से लाया जाता है। यहाँ कई सारे स्प्रिंग, कमल तल आदि भी है। एक ग्लास हाउस भी प्रस्तुत है। जहा अब एक स्थायी पुष्प प्रदर्शनी आयोजित किया जाता है। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर उद्यान को बहुत अच्छी तरह से सजाया जाता है। फुलों से कई तरह के भिन्न-भिन्न चित्र और प्रतिरुप बनाये जाते है। बेंगलुरु के दक्षिण में स्थित लाल बाग एक प्रसिद्ध बॉटनिकल गार्डन है। इस बाग का निर्माण कार्य हैदर अली ने शुरू किया था और बाद में उनके बेटे टीपू सुल्तान ने इसे पूरा किया। करीब 240 एकड़ भूभाग में फैले इस बाग में ट्रॉपिकल पौधों का विशाल संकलन है और यहां वनस्पतियों की 1000 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं।

बाग में सिंचाई की व्यवस्था बेहतरीन है और इसे कमल के फूल वाले तालाब, घास के मैदान और फुलवारी के जरिए बेहतरीन तरीके से सजाया गया है। लोगों को वनस्पति के संरक्षण के प्रति जागरुक करने के लिए यहां हर साल फूलों की प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है। लाल बाग हर दिन सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहता है। यह राज्य पथ परिवहन की बस और टूरिस्ट बस के जरिए अच्छे से जुड़ा हुआ है। वर्तमान में लाल बाग को बागबानी निदेशायल द्वारा सहयोग किया जा रहा है। हलांकि इसे 1856 में ही सरकारी बॉटनिकल गार्डन घोषित कर दिया गया था। लण्डन के क्रिस्टल पैलेसे से प्रभावित होकर बाग के अंदर एक ग्लास पैलेस भी बनाया गया है, जहां हर साल फूलों की प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है। लाल बाग की चट्टानें करीब 3000 साल पुरानी है और इसे धरती का सबसे पुराना चट्टान माना जाता है। भेंट के तौर पर गार्डन के बीच में एचएमटी द्वारा एक इलेक्ट्रॉनिक फ्लावर क्लॉक बनवाया गया है। इस गार्डन ही हरियाली के बीच में घूमते-घूमते कब आप इंसान से ज्यादा प्रकृति से प्रेम करने लग जाएंगे, आपको पता भी नहीं चलेगा।

कब्बन पार्क

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कई एकड़ क्षेत्र में फैले लॉन, दूर तक फैली हरियाली, सैंकड़ों वर्ष पुराने पेड़, सुंदर झीलें, कमल के तालाब, गुलाबों की क्यारियाँ, दुर्लभ समशीतोष्ण और शीतोष्ण पौधे, सजावटी फूल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। यहाँ प्रकृति मनुष्य के साथ साक्षात्कार करती है। यह स्थान बंगलौर के सुंदरतम स्थानों में से एक है जिसे लाल बाग बॉटनिकल गार्डन, या लाल बाग वनस्पति उद्यान कहते हैं। यह २४० एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। १७६० में इसकी नींव हैदर अली ने रखी और टीपू सुल्तान ने इसका विकास किया। बेंगलुरु शहर में आने वाले पर्यटक इस पार्क को देख कर बेंगलुरु शहर को 'गार्डन सिटी' कह कर पुकारते है। पार्क के माध्यम से कई सड़कों विभिन्न स्थानों को चलाते हैं। कब्बन पार्क 1870 में बनाया गया था। पार्क 5:00-8:00 के समय छोड़कर हर समय खुला है। पार्क में 6000 पौधों के साथ 68 किस्मों और 96 प्रजातियों के आसपास पौधों है। सजावटी और फूल के पेड़ है। कब्बन पार्क बेंगलुरु में गाँधी नगर के पास स्थित है। परी फव्वारे और एक अगस्त बैंडस्टैंड भी है। आम, अशोक, पाइन, इमली, गुलमोहर, बाँस, जैसे वृक्षों यहाँ पाये जाते है। रोज गार्डन पब्लिक लाइब्रेरी के प्रवेश के बिल्कुल विपरीत है।

हजरत तवक्कल मस्तान दरगाह

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यह दरगाह सूफी संत तवक्कल मस्तान की है। इस दरगाह में मुस्लिम व गैर-मुस्लिम दोनों ही श्रद्धालु आते हैं।

गाँधी भवन

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गाँधी भवन कुमार कुरूपा मार्ग पर स्थित है। यह भवन महात्मा गाँधी के जीवन की याद में बनवाया गया है। इस भवन में गाँधी जी के बचपन से लेकर उनके जीवन के अंतिम दिनों को चित्रों के द्वारा दर्शाया गया है। इसके अलावा यहाँ स्वयं गाँधी जी द्वारा लिखे गए पत्रों की प्रतिकृति का संग्रह, उनके खड़ाऊँ, पानी पीने के लिए मिट्टी के बर्तन आदि स्थित है।

चौड़िया स्मारक सभागार

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इस हॉल का निर्माण वायलिन के आकार में किया गया है। कर्नाटक के प्रसिद्ध सांरगी आचार्य टी॰ चौड़िया की मृत्यु के बाद इस जगह का नाम उनके नाम पर रखा गया। विभिन्न उद्देश्यों से बने इस वातानुकूलित हॉल में विशेष रूप से परम्परागत कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। यह जगह गायत्री देवी पार्क एक्सटेंशन पर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यह इमारत पूरे विश्व में संगीत वाद्य के आकार में बना पहला इमारत है।

गवी गंगादरश्रवरा मंदिर

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यह मंदिर बसवनगुड़ी के समीप स्थित है। यह मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए भी विशेष रूप से जाना जाता है। यह मंदिर बेंगलुरु के पुराने मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण केंपेगौड़ा ने करवाया था। यह मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इस मंदिर में एक प्राकृतिक गुफा है। मकर सक्रांति के दिन काफी संख्या में भक्तगण यहाँ एकत्रित होते हैं।

नेहरू तारामंडल

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नेहरू तारामंडल (Nehru Planetarium), भारत में पाँच ग्रहो का नाम है। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के नाम पर रखा गया है। ये मुंबई, नई दिल्ली, पुणे और बंगलौर में स्थित हैं। बेंगलुरू में जवाहरलाल नेहरू प्लैनेटेरियम 1989 में बंगलौर नगर ​​निगम द्वारा स्थापित किया गया था। आकाशगंगाओं का विशाल रंग चित्र इस तारामंडल के प्रदर्शनी हॉल में दिखाई देता है। साइंस सेंटर और एक विज्ञान पार्क यहाँ है। यह पता चलता है कि यह ना केवल पढ़ाने के लिए प्रयोग किया जाता है बल्कि खगोल विज्ञान के लिये भी प्रयोग किया जाता है।

विश्वेश्वरैया औद्योगिक ऐवं प्रौद्योगिकीय संग्रहालय

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कस्तुरबा रोड पर स्थित यह संग्रहालय सर. एम. विश्वेश्वरैया को श्रद्धांजलि देते हुए उनके नाम से बनाया गया है। इसके परिसर में एक हवाई जहाज और एक भाप इजंन का प्रदर्शन किया गया है। संग्रहालय का सबसे प्रमुख आकर्षण मोबाइल विज्ञान प्रदर्शन है, जो पूरे शहर में साल भर होता है। प्रस्तुत संग्रहालय में इलेक्ट्रानिक्स मोटर शक्ति और उपयोग कर्ता और धातु के गुणो के बारे में भी प्रदर्शन किया गया है। सेमिनार प्रदर्शन और वैज्ञानिक विषयो पर फिल्म शो का भी आयोजन किया गया है। संग्रहालय की विशेषताएँ- इजंन हाल, इलेक्ट्रानिक प्रौद्योगिकि वीथिका, किंबे कागज धातु वीथिका, लोकप्रीय विज्ञान वीथिका और बाल विज्ञान वीथिका।

बन्नरघट्टा जैविक उद्यान

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यह पार्क शहर से २२ किलोमीटर की दूरू पर स्थित है। यहाँ पर विभिन्न प्रकार के जानवरों, चिड़ियों को एक उपयुक्त वातावरण में रखा है। यहां सफारी की सेवा बहुत ही रोमाचंक है, जहां लोगों को जगंल में यात्रा करवाई जाती है।

बेंगलुरु में दूसरे अन्य आकर्षण

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  • मनोरंजन उद्यान
  • इनोवेटिव फिल्म सिटी वंडरला से 2 किमी दूर बेंगलुरु-मैसूर राज्य राजमार्ग-17 पर स्थित है। यहां बच्चे और बड़े बराबर संख्या में आते हैं। अपने परिवार और दोस्तों के साथ यहाँ पूरा दिन बिताना आपको अच्छा अनुभव दिलाएगा। बेंगलुरु से सड़क मार्ग के जरिए फ़िल्म सिटी आसानी से पहुंचा जा सकता है और यह पर्यटकों के लिए सुबह 10 बजे से शाम 6.30 बजे तक खुला रहता है। फ़िल्म सिटी के अंदर कुछ गिने चुने मनोरंजन के लिए प्रति व्यक्ति 299 रुपए अदा करना होता है। वहीं अगर आप फिल्म सिटी के सारे मनोरंजन का आनंद लेना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको 499 रुपए चुकाने होंगे। फ़िल्म सिटी के मुख्य आकर्षण में इनोवेटिव स्टूडियो, म्यूजियम, 4डी थियेटर, टाड्लर डेन, लुइस तसौद वैक्स म्यूजियम और थीम बेस्ड रेस्टोरेंट शामिल है। वन्नाडो सिटी में खासतौर पर बच्चों के लिए बनाया गया है। इतना ही नहीं यहाँ के डायनासोर वर्ल्ड में आप डायनासोर की प्रतिमूर्ति को देख कर रोमांचित हुए बिना नहीं रह सकेंगे। भुतहा महल देखना भी आपके लिए एक यादगार अनुभव साबित होगा। वहीं मिनीअचर सिटी में आप विश्व के कुछ अजूबे और प्रमुख स्थानों की प्रतिमूर्ति देख सकते हैं। इसके अलावा यहां के थीम आधारित रेस्टोरेंट में भोजन करना भी लंबे समय तक आपको याद रहेगा।
  • फन वर्ल्ड
  • स्नो सिटी
वायु मार्ग

बेंगलुरु अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है जो बेंगलुरु सेंट्रल रेलवे स्टेशन से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कई प्रमुख शहरों जैसे कोलकाता, मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद, चैन्नई, अहमदाबाद, गोवा, कोच्चि, मंगलूरु, पुणे और तिरूवंतपुरम से यहाँ के लिए नियमित रूप से उड़ानें भरी जाती है। अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें भी इसी एयरपोर्ट से निकलती हैं। बेंगलुरु अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र शहर के बीच से करीब 40 किमी दूर स्थित है। यह भारत का चौथा सबसे व्यस्त एयरपोर्ट है। साथ ही यह किंगफिशर एयरलाइन का गढ़ भी है। यहाँ 10 घरेलू और 21 अंतर्राष्ट्रीय वायु-मार्ग की सुविधा है। इससे बेंगलुरु शेष भारत और विश्व से अच्छे से जुड़ा हुआ है। बेंगलुरु का बेंगलुरु अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र देश का तीसरा व्यस्ततम एयरपोर्ट है। घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों में प्रयुक्त यह हवाईपट्टी, एशिया, मध्य-पूर्व तथा यूरोप के लिये सेवाएँ देती है।

 
रात्रि में बीआईएअ टर्मिनल भवन।

इसके निर्माण की शुरुआत 2008 में हुई थी और यह जर्मन कंपनी सीमेंस और कर्नाटक सरकार का ज्वाइंट सेक्टर वेंचर था। चूंकि यह रेलवे स्टेशन और बस टर्मिनल से नजदीक है, इसलिए एयरपोर्ट तक रेलवे लाइन बिछाने की योजना बनाई जा रही है। वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग से यहां पहुचनें के लिए सिक्स लेन हाइवे पहले ही बनाया जा चुका है। यह एयरपोर्ट 71000 वर्ग मीटर में बना है और पैसेंजर टर्मिनल पूरी तरह से वातानुकूलित है। इसके चार तल्ला भवन में अंतरराष्ट्रीय और घरेलू पैसेंजर रुक सकते हैं। इस एयरपोर्ट की एक और खास बात यह है कि हज यात्रियों के लिए यहां एक अलग टर्मिनल है। करीब 1500 वर्ग मीटर के इस टर्मिनल में 600 यात्री एक साथ समा सकते हैं। शहर से एयरपोर्ट पहुंचने के लिए आप टैक्सी का सहारा ले सकते हैं।

रेल मार्ग

बेंगलुरु में दो प्रमुख रेलवे स्टेशन है:- क्रांतिवीर संगोली रायण्णा रेलवे स्टेशन और यशवंतपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन। यह स्टेशने भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़े हुए है। देश के कई शहरों से नियमित रूप से एक्सप्रेस रेल बेंगलुरु के लिए चलती है। बेंगलुरु में त्वरित यातायात सेवा भी है, जिसे बेंगलुरु मेट्रो या नम्मा मेट्रो कहा जाता है।

सड़क मार्ग

बेंगलुरु में काफी संख्या में बस टर्मिनल है। जो कि रेलवे स्टेशन के समीप ही है। बीएमटीसी के किराये देश में सबसे ज्यादा माना जाता है। पहले चरण में एक किलोमीटर 4 रुपए है, दूरी बढ़ने के साथ - रू 1 /प्रति किलोमीटर हो जता है। बीएमटीसी का मुख्य आकर्षण 60 पर प्रदान की दैनिक पास है।

बेंगलुरु में शॉपिंग का अपना ही एक अलग मजा है। यहाँ आपको कांचीपुरम सिल्क या सावोरस्की क्रिस्टल आसानी से मिल सकता है। बेंगलुरु विशेष रूप से मॉलों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ स्थित मॉल भारत के कुछ खूबसूरत और बड़े मॉल में से एक है। कमर्शियल स्ट्रीट बेंगलुरु से सबसे व्यस्त और भीड़-भाड़ वाले शॉपिंग की जगहों में से है। यहाँ आपको जूते, ज्वैलरी, स्टेशनरी, ट्रैवल किट और स्पोाट्स वस्तुएं आसानी से मिल जाएगी। ब्रिटिश काल के दौरान के दक्षिण परेड को आज एम॰ जी॰ रोड के नाम से जाना जाता है। यहाँ आपको शॉपिंग के लिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, किताबें और मैगजीन, सिल्क साड़ी, कपड़े, प्राचीन और फोटोकारी की जुड़ी विशेष चीजें मिल सकती है। एम॰ जी॰ रोड के काफी नजदीक ही ब्रिगेड रोड है यह जगह इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे टेलीविजन, फ्रिज, म्यूजिक सिस्टम, कम्प्यूटर और वाशिंग मशीन आदि के लिए प्रसिद्ध है।

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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  1. "It is official: Bangalore becomes Bengaluru". The Times of India. मूल से 20 मार्च 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 अप्रैल 2017.
  2. "Lonely Planet South India & Kerala," Isabella Noble et al, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012394
  3. "The Rough Guide to South India and Kerala," Rough Guides UK, 2017, ISBN 9780241332894
  4. "Evolution of Bangalore: From Garden City to Silicon Valley, how immigrants made the city their own".
  5. "'Bangalore will become the world's largest IT cluster by 2020'".
  6. "IT employees get nod to set up trade union in Karnataka". मूल से 9 नवंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 जून 2020.
  7. "Bengaluru is fast running out of water, and a long, scorching summer still looms".