बृहस्पति देवता

बृहस्पति देवता को देवताओं का गुरु माना जाता है। इन्हे देवगुरु के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यदि किसी भी व्यक्ति पर देवगुरु बृहस्पति की कृपा दृष्टि हो जाए तो उस व्यक्ति को जीवन में हर प्रकार के सुख सहज ही सुलभ हो जाते है।

पुराणों में बृहस्पति देवता को महर्षि अंगिरा का पुत्र बताया गया है।

ज्योतिष शास्त्र में भी देवगुरु बृहस्पति की बहुत महिमा बताई गई है। यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में बृहस्पति देवता अर्थात गुरु ग्रह अच्छी स्थिति में है तो अकेला यही योग उस व्यक्ति को बुलंदियों पर पहुंचा सकता है। मान सम्मान और धन दौलत के साथ हर प्रकार का सुख उसे सहज ही सुलभ हो जाता है।

हिंदू शास्त्रों और ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार गुरुवार के दिन बृहस्पति देवता की पूजा अर्चना और व्रत का विधान बताया गया है। बृहस्पति देवता की पूजा से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है जो कि इस ब्रह्मांड के पालनहार है।

यदि किसी जातक की जन्म कुण्डली में ब्रहस्पति अर्थात गुरु ग्रह कमजोर अवस्था में या वक्री है तो उस का प्रभाव उसके जीवन में स्पष्ट रूप से दिखलाई पड़ेगा।

अशुभ ब्रहस्पति का प्रभाव या लक्षण कुछ इस प्रकार से हो सकते है।

गुरु ग्रह ज्ञान के कारक है। अशुभ ब्रहस्पति के प्रभाव से शिक्षा में बाधा उत्पन्न हो सकती है जिसका कारण कुछ भी हो सकता है।

पेट संबंधित शारीरिक व्याधियां ऐसे जातक को परेशान कर सकती है जैसे गैस, एसिडिटी, अपच और लगातार पेट में दर्द का बना रहना।

जीवन में भरपूर मेहनत और कार्य करने की इच्छाशक्ति के बावजूद भाग्य का साथ न मिलना। बनते कार्यों में अनावश्यक बाधाएं आना।

अच्छा खासा चलता हुआ व्यवसाय अचानक से ठप्प पड़ जाना या बंद हो जाना। अचानक से नौकरी में परेशानी आना या नौकरी का छूट जाना। भरपूर योग्यता और परिश्रम के बावजूद आपके अधीनस्थ का कम योग्यता के बावजूद आपको दरकिनार कर प्रमोशन होना।

समाज और रिश्तेदारों में मान सम्मान में कमी आना और मनमुटाव होना। भाइयों से सहयोग न मिलना या टकराव होना।

रात को सोते हुए स्वप्न में आपको बार बार सांप दिखाई देना भी आपके ब्रहस्पति ग्रह की अशुभता का कारण हो सकता है।

बृहस्पति देवता की कृपा प्राप्ति के कुछ उपाय बताए गए है जैसे अपने से बड़े और बुजुर्गों का मान सम्मान करना, अपने माता पिता और गुरुओं का आदर करना, धर्म के अनुसार आचरण करना और गुरुवार को गुरुवार व्रत रखना आदि।

बृहस्पतिवार को आप आप केले के वृक्ष की पूजा करें तो आपको ब्रहस्पति देवता और जगत के पालनहार भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और गुरु ग्रह की शुभता प्राप्त होती है।

गुरुवार को नहाने की बाल्टी में एक चुटकी हल्दी पाउडर मिला कर नहाने से भी ब्रहस्पति देवता के शुभ फलो की प्राप्ति होती है।

पीला रंग बृहस्पति देवता का प्रतीक माना जाता है। गुरुवार को पीले रंग के वस्त्र डालने से भी गुरु ग्रह की शुभता प्राप्त होती है। पुरुष पीले रंग की कमीज और महिलाएं पीले रंग की साड़ी या सलवार कमीज डाल सकती है।

बृहस्पतिवार के दिन 'ॐ ग्रां ग्रीं ग्रों स: गुरवे नम:' ब्रहस्पति देवता के मंत्र का जाप 3, 5 या 16 माला करने से बृहस्पतिदेव की कृपा दृष्टि प्राप्त होती है।

हिंदू शास्त्रों और ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार पीला रंग बृहस्पति देवता का प्रतिनिधित्व करता है। बृहस्पति देवता की कृपा और शुभता पाने के लिए आप किसी योग्य ज्योतिषी की सलाह से पीला पुखराज भी धारण कर सकते है।

बृहस्पतिवार (गुरुवार) की व्रत कथा आरती सहित