बुनाई (weaving) वस्त्र बुनाई की वह विधि है जिसमें ताना एवं बाना नामक दो भिन्न तथा परस्पर लम्बवत धागों का समूह को आपस में गूंथकर वस्त्र बनाया जाता है। बुनाई के अलावा भी कई विधियों से वस्त्र बनाये जाते हैं, जैसे- निटिंग (knitting), लेस बनाना (lace making), फेल्टिंग (felting), तथा ब्रेडिंग या प्लेटिंग (braiding or plaiting)। ताना (warp) वह है जो लम्बाई की दिशा में लगता है तथा बाना (weft or filling) वह है जो चौढ़ाई की दिशा में लगता है। ताना और बाना को विभिन्न तरीकों से परस्पर गुंथा जा सकता है। वस्त्र के गुणधर्म इससे ही निर्धारित होते हैं कि ताना और बाना को किस प्रकार परस्पर बुना गया है।

सबसे सरल बुनाई
ताना और बाना (वार्प तथा वेफ्ट)
प्रागैतिहासिक बुनाई की कुछ पद्धतियाँ

वस्त्र प्रायः करघा (लूम) पर बुना जाता है। करघा तानों को अपनी जगह पर बनाए रखता है और बानों को उनमें से होकर बुना जाता है। ताना और बाना के उपयोग से बुनाई का काम करघा के अतिरिक्त दूसरी विधियों द्वारा भी किया जा सकता है, जैसे- मेज पर बुनाई, बैक-स्ट्रैप, आदि।

बुनाई से निर्मित अधिकांश वस्त्र मुख्यतया तीन प्रकार की बुनाई में से किसी एक विधि से बनते हैं- सादा बुनाई, सतिन बुनाई (satin weave) तथा ट्विल (twill)।

भारत में कोरी,बलाई, मोमिन,जुलाहे,खत्री,साली प्रमुख बुनकर जातियां है जिन्होंने बुनाई कला का विकास किया ।

इन्हें भी देखें

संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ

संपादित करें