बाघदेव सिंह उत्तरी छोटा नागपुर में रामगढ़ रियासत के संस्थापक थे। वह खैरागढ़ के शासक भी थे, जो खयारवाला राजवंश की राजधानी थी। उन्हें नागवंशी शासक के अधीन कर्रा परगना का फौजदार बनाया गया था। उन्होंने कर्णपुरा के शासक राजा कर्पूरदेव की हत्या कर खुद को कर्णपुरा का राजा घोषित किया और रामगढ़ रियासत की स्थापना की।[1] उन्होंने कर्णपुरा के उर्दा को अपनी राजधानी बनाई। बाघदेव सिंह ने 1368 से 1402 तक रामगढ़ पर शासन किया।

बाघदेव सिंह
राजा
कर्णपुरा के राजा
शासनावधि1368-1402
पूर्ववर्तीकर्पूरदेव
उत्तरवर्तीकिरत सिंह
राजवंश
धर्महिंदू धर्म

बेनीराम मेहता द्वारा लिखित 'नाग वंशावली' के अनुसार, घाटवार राजाओं ने नागवंशी शासकों के खिलाफ विद्रोह कर दिया और तमाड़ का राजा लूट में लिप्त था। खुखरागढ़ में उसने नागवंशी राजा के किले पर कब्जा कर लिया। नागवंशी ने खैरागढ़ के राजा बाघदेव से मदद मांगी।[2] नागवंशी शासक ने उनको कर्रा परगना का फौजदार बनाया, उन्होंने तमाड़ के विद्रोह को दबा दिया। नागवंशियों ने तमाड़ के राजा के पुत्र को कर्णपुरा का राजा बनाया लेकिन उसने कई वर्षों तक कर नहीं दिया। बाघदेव को कर वसूलने के लिए कर्णपुरा भेजा गया। बाघदेव ने कर्णपुरा के राजा कर्पूरदेव को हराया और उसे मार डाला। उसने उनके महुदीगढ़ किले को भी नष्ट कर दिया। बाघदेव सिंह, जो वैसे भी विद्रोह को दबाने के बाद क्षेत्र के नियंत्रण में था, वहां बस गए और खुद को उस क्षेत्र का राजा घोषित कर दिया।

1402 में राजा बाघदेव सिंह की मृत्यु हो गई। उनके पुत्र किरत सिंह को रामगढ़ रियासत का राजा बनाया गया।

  1. BIRENDRA (IAS) (2020-03-21). Jharkhand Samagra (Prabhat Prakashan): Bestseller Book JHARKHAND SAMAGRA Prabhat Prakashan. Prabhat Prakashan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-90101-16-0.
  2. TL, Prabhu (2019-08-04). Majestic Monuments of India: Ancient Indian Mega Structures (अंग्रेज़ी में). Nestfame Creations Pvt. Ltd.