बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी

यह बांग्लादेश का एक राजनीतिक दल है।

भारत विभाजन से पहले 1941 में बनी जमात-ए-इस्लामी के संस्थापक सैयद अबुल अला मौदूदी थे। विभाजन के बाद यह पाकिस्तान चले गए और फिर पार्टी के पूर्वी धड़े से बांग्लादेश जमात ए-इस्लामी का जन्म हुआ।[1] जमात-ए-इस्लामी एक इस्लामिक राजनीतिक पार्टी है, जिसकी स्थापना 1941 में इस्लामी विचारक मौलाना अबुल आला मौदूदी ने खुदा की सल्तनत स्थापित करने के मकसद से की थी। उन्होंने इस्लाम को धार्मिक मार्ग से परे एक राजनीतिक विचारधारा प्रदान करने वाले रास्ते के रूप में देखा था।2 Mar 2019 जमात-ए-इस्लामी की स्थापना एक इस्लामिक-राजनीतिक संगठन और सामाजिक रूढिवादी आंदोलन के तौर पर ब्रिटिश भारत में 1941 में की गई थी. इसकी स्थापना अबुल अला मौदूदी ने की थी जो कि एक इस्लामिक आलिम (धर्मशात्री) और सामाजिक-राजनीतिक दार्शनिक थे जमात-ए-इस्लामी एक इस्लामिक राजनीतिक पार्टी है, जिसकी स्थापना 1941 में इस्लामी विचारक मौलाना अबुल आला मौदूदी ने खुदा की सल्तनत स्थापित करने के मकसद से की थी। उन्होंने इस्लाम को धार्मिक मार्ग से परे एक राजनीतिक विचारधारा प्रदान करने वाले रास्ते के रूप में देखा था।

राजनीति में स्थान

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जमात-ए-इस्लामी देश की सबसे बड़ी इस्लामी राजनीतिक पार्टी है। 1971 में होने वाली स्वतंत्रता युद्ध में इस दल ने पाकिस्तान का समर्थन किया था। बाद में यह बांग्लादेश के इस्लामिकरन के प्रयास में जुटकर एक सक्रिय दल के रूप में उभरी।[1] भारत की राजनीति संविधान के ढाँचे में काम करती हैं। जहाँ पर राष्ट्रपति सरकार का प्रमुख होता हैं और प्रधानमंत्री कार्यपालिका का प्रमुख होता हैं। भारत एक संघीय संसदीय, लोकतांत्रिक गणतंत्र हैं, भारत एक द्वि-राजतन्त्र का अनुसरण करता हैं, अर्थात, केन्द्र में एक केन्द्रीय सत्ता वाली सरकार और परिधि में राज्य सरकारें। भारत के चुनाव आयोग के अप्रैल 2023 के नवीनतम प्रकाशनों और उसके बाद की अधिसूचनाओं के अनुसार, 8 राष्ट्रीय पार्टियाँ, 55 राज्य पार्टियाँ और 2,597 गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियाँ हैं। चुनाव लड़ने वाली सभी पंजीकृत पार्टियों को चुनाव आयोग द्वारा उपलब्ध उपलब्ध प्रतीकों की सूची में से एक प्रतीक चुनना होगा।

साल 2010 में अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल ने पार्टी के आठ नेताओं को 1971 युद्ध के अपराध का दोषी पाया। भारत में बाबरी मसजिद गिराने के बाद पार्टी के नेताओं और छात्र संगठन पर बांग्लादेश में हिन्दू-विरोधी दंगे भड़काने का भी आरोप है।[1]

पंजीकरण रद्द

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बांग्लादेश की एक अदालत ने जमात-ए-इस्लामी का पंजीकरण रद्द कर दिया, जिससे भविष्य में यह दल चुनावों में हिस्सा नहीं ले सकेगा।[2]

  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 15 मई 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 मार्च 2014.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 27 मार्च 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 मार्च 2014.