फोतियोस प्रथम (यूनानी : Φώτιος Ι) का जन्म लगभग ८१० या ८२० ईस्वीं में क़ुस्तुंतुनिया में हुआ था और उनकी मृत्यु 891 ई. में बोर्दी (आर्मीनिया) में हुई थी। वह ८५८ से ८६७ तक तथा ८७७ से ८८६ तक क़ुस्तुंतुनिया के विश्वव्यापी कुलपति थे। पूर्वी रूढ़िवादी चर्च में उन्हें संत फोतियोस महान कहा जाता है। फोतियोस क़ुस्तुंतुनिया के एक शक्तिशाली और प्रभावशाली कुलपति थे । एक विद्वान के रूप में फोतियोस को यूनानी साहित्य का ज़बरदस्त ज्ञान था।[1] वे अपने समय के एक अग्रणी बुद्धिजीवी थे, "नौवीं सदी के पुनर्जागरण के अग्रणी प्रकाश"।[2][3] वे स्लावों के ईसाई धर्म में धार्मिक रूपांतरण और फ़ोतियाई विवाद दोनों में एक केंद्रीय व्यक्ति थे।[4]

जॉन स्काईलिट्ज़ द्वारा सिंहासन पर बैठे कुलपति फोतियोस
  1. Makrides, Vasilios (2009). Hellenic Temples and Christian Churches: A Concise History of the Religious Cultures of Greece from Antiquity to the Present. New York: New York University Press. पृ॰ 164.
  2. Louth, Andrew (2007). , Greek East and Latin West: The Church, AD 681-1071. New York: St Vladimir’s Seminary Press. पृ॰ 159.
  3. Mango, Cyril A. (1980). Byzantium: The Empire of New Rome. New York: Charles Scribner's Sons. पृ॰ 168.
  4. Treadgold, Warren T. (October 1983). Review: Patriarch Photios of Constantinople: His Life, Scholarly Contributions, and Correspondence together with a Translation of Fifty-Two of His Letters by Despina Stratoudaki White; The Patriarch and the Prince: The Letter of Patriarch Photios of Constantinople to Khan Boris of Bulgaria by Despina Stratoudaki White; Joseph R. Berrigan JrSpeculum. 58. United States of America: Medieval Academy of America. पपृ॰ 1100–1102. JSTOR 2853829.