प्रथम बल्गेरियाई साम्राज्य
प्रथम बुल्गारिया साम्राज्य, 681 से 1018 तक, डेन्यूब नदी के पास पूर्वी बाल्कन क्षेत्र में स्थापित एक प्रमुख मध्यकालीन साम्राज्य था। इस साम्राज्य ने स्लाव, थ्रेसियन और बुल्गार जनजातियों को एकजुट किया और बीजान्टिन साम्राज्य के साथ राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रतिस्पर्धा में अपनी पहचान बनाई।
प्रथम बुल्गारिया साम्राज्य Българска държава | |||||
साम्राज्य | |||||
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राजधानी | प्लिस्का, प्रिस्लाव | ||||
भाषाएँ | पुरानी चर्च स्लावोनिक, बुल्गारियन | ||||
धार्मिक समूह | प्रारंभ में बुतपरस्ती, बाद में ईसाई धर्म | ||||
शासन | राजशाही | ||||
त्सार (सम्राट) | असपरुख (पहला शासक) | ||||
सैम्युल (अंतिम स्वतंत्र शासक) | |||||
इतिहास | |||||
- | असपरुख द्वारा साम्राज्य की स्थापना | 681 | |||
- | बीजान्टिन साम्राज्य द्वारा विजय | 1018 | |||
आज इन देशों का हिस्सा है: | बुल्गारिया, सर्बिया, उत्तर मैसेडोनिया, रोमानिया, ग्रीस | ||||
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स्थापना और प्रारंभिक इतिहास
संपादित करेंइस साम्राज्य की स्थापना असपरुख ने 681 ईस्वी में की। उन्होंने अपने पिता कुब्रत की मृत्यु के बाद डेन्यूब नदी के दक्षिण में बसेरा किया। बीजान्टिन सम्राट कॉन्सटेंटाइन IV के साथ उनकी विजय के बाद, मोज़िया क्षेत्र में प्लिस्का राजधानी स्थापित की गई।[1]
प्रारंभ में, साम्राज्य का क्षेत्र डेन्यूब और बाल्कन पहाड़ों के बीच स्थित था। असपरुख और उनके उत्तराधिकारियों ने कुशल नेतृत्व के माध्यम से बाल्कन में अपनी शक्ति मजबूत की। तर्वेल, जिन्होंने 694 से 715 तक शासन किया, ने बीजान्टिन सम्राट जस्टिनियन II को सहायता प्रदान की और "कैसर" की उपाधि प्राप्त की।[2]
विस्तार और स्वर्ण युग
संपादित करेंक्रुम (796–814) ने साम्राज्य का विस्तार दक्षिण और उत्तर-पश्चिम में किया। उन्होंने बीजान्टिन सम्राट नाइकेफोरोस I को हराया और साम्राज्य को सुदृढ़ किया। उनके पुत्र ओमुरटाग (814–831) ने शांति समझौते किए और साम्राज्य के प्रशासनिक ढांचे को मजबूत किया।[1]
864-865 में बोरिस I ने ईसाई धर्म अपनाया और स्लाव संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए चर्च स्लावोनिक भाषा को अपनाया। उन्होंने धार्मिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता हासिल करने के लिए अपनी नीतियों को आगे बढ़ाया। उनके प्रयासों से स्लाव भाषा और सिरिलिक लिपि का विकास हुआ, जो आज भी पूर्वी यूरोप की भाषाओं में प्रचलित है।[1]
साइम्युल I (893–927) के शासनकाल को बुल्गारिया का "स्वर्ण युग" कहा जाता है। उन्होंने प्रिस्लाव को राजधानी बनाया और साहित्य, कला, और स्थापत्य में योगदान दिया।[2]
ईसाईकरण और सांस्कृतिक योगदान
संपादित करेंसाइम्युल के शासनकाल में बुल्गारिया ने ईसाईकरण और सांस्कृतिक प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया। चर्च स्लावोनिक भाषा और सिरिलिक लिपि का विकास बुल्गारिया की प्रमुख उपलब्धियां थीं। साइम्युल ने बीजान्टिन सम्राट निकोलस मिस्टिकोस से "बुल्गारों के सम्राट" की उपाधि प्राप्त की।[2]
पतन और बीजान्टिन विजय
संपादित करेंसाइम्युल के शासन के बाद, बुल्गारिया कमजोर हो गया। 1014 में बीजान्टिन सम्राट बासिल II ने सैम्युल की सेना को हराया और उन्हें "बुल्गार-स्लेयर" के रूप में जाना गया। 1018 में, बीजान्टिन साम्राज्य ने बुल्गारिया पर विजय प्राप्त की और इसे अपने प्रांतों में विभाजित कर दिया।[2]
विरासत
संपादित करेंप्रथम बुल्गारिया साम्राज्य ने बाल्कन क्षेत्र में सांस्कृतिक, धार्मिक, और भाषाई प्रभाव छोड़ा। सिरिलिक लिपि और स्लावोनिक भाषा ने क्षेत्र की भाषाओं और संस्कृतियों पर स्थायी प्रभाव डाला। बुल्गारिया की धार्मिक और सांस्कृतिक उपलब्धियां इसे यूरोप के मध्यकालीन इतिहास में महत्वपूर्ण बनाती हैं।[1]
संदर्भ
संपादित करें- ↑ अ आ इ ई Angelov, Alexander (2016), "Bulgarian Medieval Empire (First and Second)", The Encyclopedia of Empire (अंग्रेज़ी में), John Wiley & Sons, Ltd, पपृ॰ 1–6, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-118-45507-4, डीओआइ:10.1002/9781118455074.wbeoe184, अभिगमन तिथि 2025-01-20
- ↑ अ आ इ ई "प्रथम बल्गेरियाई साम्राज्य", विकिपीडिया, 2025-01-19, अभिगमन तिथि 2025-01-20