पोटो हो

भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने 1837 में हो आदिवासियों के साथ ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के व


पोटो हो या पोटो सरदार एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने 1837 में हो आदिवासियों के साथ ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के विरुद्ध विद्रोह किया था।[1] वे ब्रिटिश शासन के खिलाफ वर्तमान झारखण्ड के सेरेंगसिया घाटी युद्ध के नायक थे।[2][3]

पोटो हो
Poto Ho
मृत्यु - 1 जनवरी 1838
उपनाम : पोटो सरदार
जन्मस्थल : राजाबासा, जगन्नाथपुर, ब्रिटिश भारत (अब झारखण्ड)
मृत्युस्थल: जगन्नाथपुर, ब्रिटिश भारत (अब झारखण्ड)
आन्दोलन: हो विद्रोह (1837)
राष्ट्रीयता: भारतीय

पोटो हो जगन्नाथपुर के राजाबासा गांव के निवासी थे।[4] पोटो हो ने 18 नवंबर 1837 को टोंटो प्रखंड की सेरेंगसिया घाटी में अंग्रेजी फौज के साथ हुए भीषण छापामार युद्ध का नेतृत्व किया था।[5] पोटो सरदार और उनके साथियों को कुचलने के लिए ब्रिटिश कंपनी ने कैप्टन आर्मस्ट्रांग को 400 फायरमैन, 60 घुड़सवार और 2 बंदूकों की टुकड़ी सौंपी गई थी।[6] अंग्रेजों की सहायता के लिए सरायकेला के जमींदार ने अपने 200 पाइक (सिपाही) भी भेजे थे।[7]

8 दिसंबर 1837 को पोटो हो, नारा हो, पांडुआ हो, बोड़ाय हो और बोड़ा हो सहित 25 साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया था।[8][9] 1 जनवरी 1838 को पोटो हो, नारा हो और बोड़ोय हो को जगन्नाथपुर में एक पेड़ पर फांसी दी गई। 2 जनवरी 1838 को बोड़ा हो और पांडुआ हो को सेरेंगसिया गांव में फांसी दी गई।[10]

इन्हें भी देखें

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  1. "Poto Ho and the Battle of Seringsia (in HO language) – WAKKAMAN" (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-06-29.
  2. https://lagatar.in (2022-12-28). "चाईबासा : सेरेंगसिया घाटी युद्ध के नायक थे पोटो हो, अंग्रेजों से लिया था लोहा". Lagatar (अंग्रेज़ी में). मूल से 29 जून 2023 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2023-06-29.
  3. Mahto, Shailendra (2021-01-01). Jharkhand Mein Vidroh Ka Itihas: Bestseller Book by Shailendra Mahto: Jharkhand Mein Vidroh Ka Itihas. Prabhat Prakashan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-90366-63-7.
  4. Pandey, Binay Kumar (2022-03-19). Jharkhand Ke Veer Shaheed: Bestseller Book by Binay Kumar Pandey: Jharkhand Ke Veer Shaheed. Prabhat Prakashan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-5562-010-1.
  5. Behera, Maguni Charan (2022-03-25). Tribe, Space and Mobilisation: Colonial Dynamics and Post-Colonial Dilemma in Tribal Studies (अंग्रेज़ी में). Springer Nature. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-981-19-0059-4.
  6. Paty, Chittaranjan Kumar (2002). History of Seraikella and Kharsawan States (अंग्रेज़ी में). Classical Publishing Company. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7054-359-6.
  7. Sinha, Anuj Kumar (2019-01-01). Jharkhand ke Adivasi : Pahchan ka Sankat: Bestseller Book by Anuj Kumar Sinha: Jharkhand ke Adivasi : Pahchan ka Sankat. Prabhat Prakashan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-5322-547-6.
  8. Rycroft, Daniel J.; Dasgupta, Sangeeta (2011-03-29). The Politics of Belonging in India: Becoming Adivasi (अंग्रेज़ी में). Taylor & Francis. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-136-79115-4.
  9. Dharmavīra (2007). Dalita civila kānūna. Vāṇī Prakāśana. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-8143-634-4.
  10. Dharmavīra (2007). Dalita civila kānūna. Vāṇī Prakāśana. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-8143-634-4.