पुरावनस्पति विज्ञान
पुरावनस्पत्ति विज्ञान (Paleobotany / palaeobotany) भूवैज्ञानिक अतीत के पादपों से संबंधित विज्ञान है। यह पादप जीवाश्मों अथवा शैलों में सुरक्षित पादप अवशेषों पर आधारित है।
इसके अंतर्गत उन पौधों का अध्ययन किया जाता है, जो करोड़ों वर्ष पूर्व पृथ्वी पर रहते थे, पर अब कहीं नहीं पाए जाते और अब फॉसिल बन चुके हैं। उनके अवशेष पहाड़ की चट्टानों, कोयले की खानों इत्यादि में मिलते हैं। चूँकि पौधे के सभी भाग एक से जुड़े नहीं मिलते, इसलिये हर अंग का अलग अलग नाम दिया जाता है। इन्हें फॉर्मजिनस कहते हैं। पुराने समय के काल को भूवैज्ञानिक समय कहते हैं। यह कैंब्रियन-पूर्व-महाकल्प से शुरु होता है, जो लगभग पाँच अरब वर्ष पूर्व था। उस महाकल्प में जीवाणु शैवाल और कवक का जन्म हुआ होगा। दूसरा पैलियोज़ोइक कहलाता है, जिसमें करीब 60 करोड़ से 23 करोड़ वर्ष पूर्व का युग सम्मिलित है। शुरू में कुछ समुद्री पौधे, फिर पर्णहरित, पर्णगौद्भिद और अंत में अनावृतबीजी पौधों का जन्म हुआ है। तदुपरांत मध्यजीवी महाकल्प (Mesozoic era) शुरू होता है, जो छह करोड़ वर्ष पूर्व समाप्त हुआ। इस कल्प में बड़े बड़े ऊंचे, नुकीली पत्तीवाले, अनेक अनावृतबीजी पेड़ों का साम्राज्य था। जंतुओं में भी अत्यंत भीमकाय डाइनासोर और बड़े बड़े साँप इत्यादि पैदा हुए। सीनाज़ोइक कल्प में द्विवीजी, एवं एकबीजी पौधे तथा स्तनधारियों का जन्म हुआ।